इंदौर बावड़ी हादसे में प्रशासन को हाईकोर्ट की फटकार, पूछा-जिम्मेदारों पर आपराधिक केस क्यों नहीं दर्ज किया, मजिस्ट्रियल जांच की विश्वसनीयता पर भी उठाए सवाल

इंदौर। रामनवमी के दिन बेलेश्वर महादेव मंदिर की बावड़ी के हादसे को लेकर हाईकोर्ट ने प्रशासन को फटकार लगाई है। इसमें 36 लोगों की मौत हो गई थी। कोर्ट ने पूछा है कि जिम्मेदारों पर अपराधिक केस दर्ज क्यों नही किए गए? कोर्ट ने मजिस्ट्रियल जांच की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए हैं।
 इसे लेकर पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका लगाई थी। याचिका में जांच अधिकारी पर भी सवाल उठाते हुए आरोप लगाया कि इस मामले की निष्पक्ष मजिस्ट्रियल जांच संभव नहीं है। हाईकोर्ट को खुद की निगरानी में इसकी जांच कराना चाहिए। कोर्ट ने मंदिर ट्रस्ट और जांच अधिकारी को भी नोटिस जारी किया है।
जांच अधिकारी के यहां काम कर रहे निगम कर्मचारी
पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने वरिष्ठ एडवोकेट डॉ. मनोहर दलाल के द्वारा लगाई गई इस याचिका में सिस्टम और जिम्मेदारों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी के पास ही निगम से 3 कर्मचारी काम कर रहे हैं। अपर कलेक्टर से लेकर अन्य राजस्व अधिकारियों के यहां नगर निगम के 47 ड्राइवर, कर्मचारी नि:शुल्क काम कर रहे हैं। इनके साथ ही बाकी राजस्व अधिकारियों के यहां भी निगम से सभी सेवाएं ले रहे हैं, तो ऐसे में निगम और निगमायुक्त के खिलाफ निष्पक्ष जांच कैसे हो सकती है? याचिका में तो जांच अधिकारी के यहां काम करने वाले निगम सेवादारों के नाम भी लिखे हुए हैं।
निगम के रिकॉर्ड में इस मंदिर की बावड़ी नहीं
याचिकाकर्ता का कहना है कि निगम के रिकॉर्ड में 629 कुएं व बावड़ी हैं, लेकिन इसमें मंदिर की बावड़ी नहीं है। खुद मंदिर ट्रस्ट ने 25 अप्रैल 2022 को निगम के नोटिस के जवाब में बावड़ी के बारे में लिखा था। ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी और सचिव मुरली सबनानी ने जो जवाब दिया इसमें लिखा है कि बावड़ी जर्जर है, इसे ठीक करना है। इस काम में निगम से मदद चाहिए। इसके बाद भी निगम के पास इसका रिकॉर्ड नहीं है।
मंदिर ट्रस्ट को दिए नोटिस दिए, कार्रवाई नहीं की
23 अप्रैल को मंदिर को नोटिस दिया गया। 25 अप्रैल को मंदिर ट्रस्ट ने जवाब दिया। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 11 मई 2022 को फिर खुद स्नेह मंडल विकास समिति के मंच के तहत रहवासियों ने निगमायुक्त प्रतिभा पाल से मुलाकात कर अवैध निर्माण की बात कहीं, लेकिन कुछ नहीं किया। 30 जनवरी को भी अंतिम आदेश जारी किया, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।

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