पूरा देश इन दिनों वायरल संक्रमणों की तिहरी मार झेल रहा है। एक साथ तीन-तीन वायरल संक्रमणों ने लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है। कई राज्यों में कोविड-19, एच3एन2 और एच1एन1 के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। संक्रमण के मामलों की निगरानी कर रहे आईडीएसपी के मुताबिक 28 फरवरी तक देशभर में एच1एन1 के 955 मामले दर्ज किए गए, इस संक्रमण को स्वाइन फ्लू भी कहा जाता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने के एक बयान के मुताबिक, देश में एच1एन1 के तमिलनाडु में सबसे ज्यादा 545, महाराष्ट्र और गुजरात में 170, केरल में 42 और पंजाब में 28 मामले सामने आए हैं। इसके अलावा आईडीएसपी के डेटा के अनुसार जनवरी के महीने में देशभर में श्वसन संबंधी बीमारी और इन्फ्लुएंजा के 3 लाख 97 हजार मामले सामने आए थे, जो फरवरी में बढक़र 4 लाख 36 हजार के पार चले गए। एक अधिकारी ने बताया कि मार्च के पहले 9 दिनों में ही इन्फ्लुएंजा के 1 लाख 33 हजार मामले सामने आए हैं।
मंत्रालय ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार एसएआरआई या आईएलआई से पीडि़त मरीजों के सैंपल की टेस्टिंग करने पर करीब 79 फीसदी लोगों में इन्फ्लूएंजा ए की पुष्टि हुई। वहीं करीब 14 फीसदी मामलों में इन्फ्लुएंजा बी विक्टोरिया की पुष्टि हुई। इन्फ्लुएंजा बी भी एक सबवेरिएंट है। इसके अलावा 7 फीसदी लोगों में एच1एन1 यानी स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई, ये तीसरा सबसे ज्यादा पाया जाने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस है। हाल ही में देश के कुछ हिस्सों में कोरोना मामलों में उछाल देखा गया है। उदाहरण के लिए, दिल्ली में 3.24 प्रतिशत कोविड पॉजिटिव रेट दर्ज किया गया है। दिल्ली में 401 सैंपल्स की टेस्टिंग करने पर 13 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को पत्र लिखकर इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी के लिए अलर्ट रहने को कहा। उन्होंने कहा कि इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी या गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण के मामलों की निगरानी करने के लिए गाइडलाइन का पालन किया जाना चाहिए।
मध्यप्रदेश की बात करें तो प्रदेश के अधिकांश शहरों में फ्लू के कारण अस्पतालों में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। आलम यह है कि राजधानी भोपाल में पिछले हफ्ते के मुकाबले अभी ओपीडी में आने वाले मरीज 30 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गए हैं। इसमें दो बातें विशेष हैं। पहली फ्लू की चपेट में बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा आ रहे हैं। दूसरी यह कि संक्रमण फैल तो तेजी से रहा है, लेकिन मरीजों की हालत गंभीर नहीं हो रही है। यानी मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आ रही है।
लोगों को खांसी के साथ ही बुखार भी आ रहा है और वो 4 से 6 दिन में जा रहा है, जबकि खांसी 15 से 20 दिन तक चल रही है। कई बार तो और लंबी खिंच जाती है। तमाम कफ सीरप फेल हो चुके हैं। सामान्य तौर पर फ्लू से पीडि़त मरीजों को खांसी की समस्या बहुत हो रही है। जो 20 दिन तक भी चल रही है। खासकर सोते वक्त खांसी ज्यादा आ रही है। चिकित्सक कहते हैं, लगातार खांसी आए तो पेट के बल लेटेगें तो खांसी में राहत मिलेगी। मुलेठी और लेंडी पीपल का पाउडर शहद में मिलाकर खाने से खांसी में राहत मिल रही है। लेकिन समस्या बढ़े तो चिकित्सक को ही दिखाना बेहतर होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को पत्र लिखा है, लेकिन मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य विभाग कतई सक्रिय नहीं हुआ है। जबकि इन्फ्लुएंजा के मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, वहीं कोविड पाजिटिव भी आने लगे हैं। हाल ही में इन्फ्लुएंजा से दो लोगों की मौत की खबर भी सामने आई थी। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को न केवल अस्पतालों में विशेष व्यवस्था करना चाहिए, अपितु जागरूकता अभियान भी चलाया जाना चाहिए। लोगों को भी अलर्ट रहने की आवश्यकता है, क्योंकि यह बीमारी कोविड को भी आमंत्रण दे सकती है। लोग सावधानी बरतें। किसी भी बीमारी को सामान्य न मानकर गंभीरता से इलाज करवाएं।
-संजय सक्सेना
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