अभी तक अलग- अलग चुनाव में राहुल गांधी या प्रियंका गांधी पार्टी का कैंपेन लीड करते रहे हैं। चुनाव में हार के बाद सीधा ब्लेम राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर आता था। भाजपा और अन्य पार्टियां इसको लेकर कांग्रेस के इन दोनों प्रमुख नेताओं पर सवाल उठाने लगती थीं। अब जबकि सोनिया ने राजनीति से संन्यास का संकेत दे दिया है तो राहुल और प्रियंका की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। ऐसे में पार्टी नहीं चाहेगी कि उनके इन दो प्रमुख नेताओं की छवि किसी तरह से धूमिल हो।
अगला लोकसभा चुनाव रायबरेली से कौन लड़ेगा?
अगर सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति से पूरी तरह से संन्यास ले लेती हैं तो फिर रायबरेली से अगला चुनाव कौन लड़ेगा? यह सवाल कांग्रेस पार्टी के साथ-साथ गांधी परिवार को भी परेशान करेगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में प्रियंका गांधी सबसे उपयुक्त उम्मीदवार होंगी। गांधी परिवार सदस्य और सोनिया गांधी की बेटी के रूप में प्रियंका के लिए रायबरेली एक सेफ ऑप्शन साबित हो सकती है। अगर प्रियंका रायबरेली से नहीं उतरती हैं तो ऐसी हालत में गांधी परिवार के पास एक और भी ऑप्शन है। यह ऑप्शन है शीला कौल के किसी रिलेटिव को टिकट दे दिया जाए। बता दें कि शीला कौल जवाहर लाल नेहरू की रिश्तेदार थीं और रायबरेली से एमपी रिपोर्ट में भी इस बात पर मुहर लगी थी कि अगर सोनिया रायबरेली से चुनाव नहीं लड़ती हैं तो उनकी जगह प्रियंका या शीला कौल के रिश्तेदार को टिकट देना चाहिए।
बढ़ती उम्र और बीमारी बनी वजह?
सोनिया गांधी का राजनीति का संन्यास से संकेत एक तरह से चौंकाने वाला ही है। इसकी वजह यह है कि बीते दिनों भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वह काफी ऐक्टिव नजर आई थीं। हालांकि बढ़ती उम्र और बीमारी उनके रास्ते का रोड़ा माने जा रहे थे। सोनिया करीब 76 वर्ष की हैं और बीते कुछ समय वह इलाज के लिए कई बार विदेश जा चुकी हैं। ऐसे में उनकी लिए राजनीति में सक्रिय तौर पर बड़ी भागीदारी करना बेहद मुश्किल होता जा रहा था। माना जा रहा है कि इसीलिए सोनिया से सियासत से दूरी बनाने का फैसला किया होगा। गौरतलब है कि जब मल्लिकार्जुन खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के बाद जब सोनिया से पूछा गया कि वह कैसा महसूस कर रही हैं तो उन्होंने कहा था कि वह इसका लंबे वक्त से इंतजार कर रही थीं। यानी साफ संकेत था कि वह राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी से मुक्ति चाहती थीं।
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