विकास यात्राओं के विरोध में बीजेपी नेताओं का सर दर्द बढ़ाया....टिकट काटने का आधार ना बन जाए..


भोपाल। प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने विधायकों की जमीनी हकीकत देख ली है। विकास यात्रा के जरिए यह भी देख लिया कि एंटी इनकंबेंसी कितनी है? इसकी रिपोर्ट भी तैयार हो रही है, जो इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट का एक आधार भी बनेगी। 
5 से 25 फरवरी तक चली विकास यात्रा का मकसद लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देना था। इस सरकारी इवेंट के दौरान विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया गया। इस अभियान का फॉर्मेट इस तरह बनाया गया था कि इसमें विधायक, मंत्री अपने क्षेत्र में लोगों से सरकारी योजनाओं के बारे में बात करें।

कांग्रेस का दावा है कि 172 विधानसभा क्षेत्रों में लोगों ने विकास यात्रा का विरोध किया, लेकिन बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा इस विरोध को पार्टी के लिए संजीवनी बता रहे हैं। दैनिक भास्कर ने इसी दावे-प्रतिदावे को जानने के लिए प्रदेशभर में विधायकों की विकास यात्रा की पड़ताल की। इसमें सामने आया कि 23 विधायकों के सामने लोगों ने बिजली, सड़क, पानी और आवास जैसे मुद्दे को लेकर नाराजगी जाहिर की। कहीं-कहीं तो विधायकों को अप्रिय स्थिति का सामना भी करना पड़ा।

टिकट बंटवारे का बनेगा आधार

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक विकास यात्रा के बहाने पार्टी ने अपने विधायकों और टिकट के दावेदारों की लोकप्रियता का आकलन किया है। इसके आधार पर भाजपा को चुनाव से जुड़े कुछ बड़े फैसले लेने में आसानी होगी। यात्रा के दौरान दो तरह की एंटी इनकंबेंसी सामने आई। एक सीधे विधायक को लेकर, दूसरी सिस्टम को लेकर। विधायकों को लेकर एंटी इनकंबेंसी का आकलन संगठन स्तर पर किया जा रहा है। बीजेपी का आकलन है कि कुछ विरोध पार्टी की गुटबाजी तो कुछ कांग्रेस प्रायोजित भी रहा है। विरोध गुटबाजी या कांग्रेस प्रायोजित निकला तो ठीक, वरना प्रत्याशी बदलने पर विचार किया जा सकता है। सिस्टम को लेकर एंटी इनकंबेसी पर जल्द ही उच्च स्तर पर रिव्यू होगा। इसके बाद बड़ी प्रशासनिक सर्जरी भी हो सकती है।

विकास यात्रा में विरोध के कैसे-कैसे रंग

पहले बात करते हैं कि बीजेपी की विकास यात्रा में लोगों के विरोध की। लोगों ने कैसे-कैसे विरोध किया। कहीं सड़क को लेकर नाराजगी दिखी तो कहीं महिलाओं ने पानी न मिलने पर मंत्री को घेर लिया। जंगल में हो रहे कब्जे को लेकर भी ग्रामीण गुस्से में हैं। विकास यात्रा में सबसे अधिक विरोध मालवा-निमाड़ खासकर खंडवा, धार, बुरहानपुर और देवास में दिखा। विंध्य के सतना, रीवा, उमरिया, शहडोल में भी पार्टी विधायकों और दावेदारों का विरोध हुआ।

कई स्थानों पर भीड़ नहीं जुटाने पर डांस तक कराने पड़े। पन्ना में तो बीजेपी के मंच से कलेक्टर राजनीतिक भाषण देकर फंस गए। एक विधायक ने गले में सांप लपेट लिया। वहीं, एक मंत्री पर भीड़ ने खुजली वाली फली लगा दी। उन्हें मौके पर कुर्ता निकालकर हाथ-पैर धोने पड़े। कई स्थानों पर विरोध के चलते विधायक और दावेदारों को लौटना पड़ा।

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