कर्नाटक और महाराष्ट्र सीमा मुद्दे पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दोनों राज्यों के बीच बढ़ते तनाव पर अब शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता संजय राउत ने एक ऐसा बयान दिया है जिससे सियासी बवाल होना तय है। दरअसल, राउत ने कहा कि हम कर्नाटक में उसी तरह से प्रवेश करेंगे जैसे चीन देश में प्रवेश कर गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर किसी की अनुमति की जरूरत नहीं है। संजय राउत ने आगे कहा कि हम इसे चर्चा के जरिए सुलझाना चाहते हैं लेकिन कर्नाटक के मुख्यमंत्री आग लगा रहे हैं। महाराष्ट्र में एक कमजोर सरकार है और इस पर कोई स्टैंड नहीं ले रही है।
अमित शाह के आदेश का उल्लंघन कर रहे कलेक्टर: राउत
राउत ने कहा कि विपक्ष के नेता अजीत पवार ने पहले विधानसभा में सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और कहा कि महाराष्ट्र के एक लोकसभा सदस्य को बेलगावी में प्रवेश करने से रोक दिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह के साथ बैठक में तय हुआ कि किसी को वहां जाने से नहीं रोका जाएगा, फिर वहां के कलेक्टर ऐसा फैसला कैसे ले सकते हैं।
सीमा विवाद मुद्दे पर एकनाथ शिंदे ने दिया था ये बयान
महाराष्ट्र विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बीते सोमवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा मुद्दा बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि पहली बार, केंद्रीय गृह मंत्री ने अंतर्राज्यीय सीमा विवाद (महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच) में मध्यस्थता की है। इस मुद्दे पर अब राजनीति नहीं होनी चाहिए। हमें सीमावर्ती निवासियों के साथ एक साथ खड़ा होना चाहिए। बता दें कि महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद पर गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की थी। बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने हिस्सा लिया था।
जानें क्या है दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद
महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी व कारवार के कुछ गांवों को लेकर सीमा विवाद है। कर्नाटक में आने वाले इन गांवों की आबादी मराठी भाषी है। महाराष्ट्र में लंबे समय से इन गांवों को राज्य में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है। 1960 में महाराष्ट्र की स्थापना के बाद से यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
बोम्मई ने कही थी यह बात
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने का कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोगों के बीच बहुत ही सौहार्दपूर्ण संबंध है, दोनों पक्षों की शांति को भंग करने के लिए कुछ भी नहीं किया जाना चाहिए। दोनों राज्यों से मंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई है जो छोटे-छोटे मुद्दों को सुलझाने का काम करेगी।
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