3 दिन पहले खबर आती है- सीएम आवास में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की दो घंटे मुलाकात हुई है। प्रशांत किशोर का खंडन आता है, लेकिन शाम होते ही नीतीश मुलाकात का ऐलान कर देते हैं, फिर पीके को भी मानना पड़ता है। दोनों ने सामान्य मुलाकात बताई।
इन दोनों की नजदीकियों से CM नीतीश को फायदा हो सकता है, क्योंकि पीके वो शख्स हैं, जो नीतीश के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। उनके पीएम बनने के सपने को पूरा करने में ब्रह्मास्त्र की तरह काम कर सकते हैं। PK के पास न सिर्फ डेटा एनालिसिस की ताकत है, बल्कि दक्षिण से लेकर दिल्ली तक के नेताओं से उनके संबंध मधुर हैं। वह एक अच्छे चुनावी रणनीतिकार हैं। उनके पास एक बड़ी ट्रेंड टीम है।
यही वजह है कि पीके से दूरी बना लेने वाले नीतीश को अब उन्हीं में भविष्य दिख रहा है। प्रशांत किशोर के पास आखिर कौन-सी सियासी ताकत है, जिसकी वजह से नीतीश एक बार फिर से पीके के नजदीक आ रहे हैं।
पहली बार 2015 में BJP के खिलाफ मोर्चा बनाने की बात प्रशांत किशोर ने ही शुरू की थी। तब नीतीश कुमार ने इस बात से इनकार कर दिया था। पांच साल बाद अब वही PK के बताए रास्ते पर चल निकले हैं। तब प्रशांत किशोर ने कहा था कि BJP को हराने के लिए तीसरे या चौथे मोर्चे की जरूरत नहीं है। कभी तीसरा या चौथा मोर्चा BJP को नहीं हरा सकता है। इसके लिए दूसरे मोर्चे को मजबूत करना होगा। तब नीतीश कुमार ने PK के इस सुझाव को दरकिनार कर दिया था। फिर नीतीश कुमार 2017 में BJP के साथ आ गए और PK से दूरी बढ़ गई।
रणनीतिकार से नेता बनने की राह पर निकले पीके
PK ने भी बिहार में सियासी जमीन की तलाश शुरू कर दी है। वे बिहार के हर जिले का दौरा कर रहे हैं। इधर, नीतीश कुमार भी BJP से अलग होकर बिहार की राजनीति से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों उनका दिल्ली दौरा इसी मुहिम के मद्देनजर था। वे देश में BJP खिलाफ विपक्षी एकता को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने भी ये माना है कि यदि BJP को देश की सत्ता से हटाना है तो कांग्रेस और वाम दल को साथ लेकर विपक्षी एकता को मजबूत करना होगा। सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर आना होगा।
ऐसे में सभी को एकजुट करने के लिए उन्हें अब अपने पुराने रणनीतिकार प्रशांत किशोर की याद आई। पीएम बनने की लड़ाई में PK की रणनीति की ताकत को सीएम अच्छी तरह से जानते हैं। तभी तो विरोधी बन गए पीके को मुलाकात के लिए आवास बुला लिया।
PK अरविंद और ममता को करेंगे तैयार
नीतीश कुमार भले ये कह रहे हों कि वो PM पद के उम्मीदवार नहीं हैं। लेकिन, उनकी तैयारी से लगता है कि वो PM से कम पर मानने वाले भी नहीं हैं। इसको लेकर वो लगातार विपक्षी नेताओं से संपर्क बढ़ा रहे हैं। ऐसे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, नीतीश कुमार की मुहिम में बाधा बन सकती हैं। नीतीश कुमार भले 17 सालों से बिहार के CM रहे हो, लेकिन बंगाल में ममता बनर्जी भी तीसरी बार CM बनी हैं। वहीं दिल्ली में भी केजरीवाल तीन बार से सीएम हैं।
अरविंद केजरीवाल का पक्ष और मजबूत हो जाता है, क्योंकि उनकी पार्टी आप की सरकार पंजाब में भी है। वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय बताते हैं कि PK ही ऐसे व्यक्ति हैं जो नीतीश कुमार के चेहरे पर दोनों नेताओं को राजी कर सकते हैं। क्योंकि PK ने ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को अपनी रणनीति के बदौलत BJP के लहर के बावजूद बंगाल और दिल्ली में सत्ता में वापसी कराई थी।
दक्षिण और पश्चिम में भी पीके की मजबूत पकड़
PK ने 2015 में ही विपक्षी एकता की परिकल्पना की थी। इसको लेकर वो आगे भी बढ़े थे, लेकिन BJP के बढ़ते कद के सामने सभी विपक्षी दल अपने क्षेत्र में ही सिमटे रहे। 2017 के बाद भी PK ने स्टालिन, शरद पवार, ममता बनर्जी से बात की थी तब, ममता बनर्जी के अलावा किसी ने कोई सहमति नहीं दी थी। अब जब सब-कुछ PK के मुताबिक हो रहा है तो वो इस मुहिम में शामिल हो सकते हैं।
इसमें विपक्षी दलों को एकजुट कर सकते हैं। PK के संबंध तेलंगाना के KCR, आंध्र प्रदेश के सीएम जगमोहन रेड्डी, तमिलनाडु के स्टालिन, महाराष्ट्र के शरद पवार से भी काफी अच्छे रहे हैं। नीतीश कुमार के चेहरे पर PK इन सभी को राजी, इस शर्त पर कर सकते हैं कि देश की सत्ता से BJP को हटाना है तो यह जरूरी है। इसके अलावा राहुल गांधी और अखिलेश यादव से भी प्रशांत किशोर के अच्छे रिश्ते हैं।
PK विपक्षी एकता के बन सकते हैं रणनीतिकार
PK के पास पंजाब से लेकर आंध्र प्रदेश तक और पश्चिम बंगाल से लेकर महाराष्ट्र तक की पार्टियों के लिए रणनीति बनाने का अनुभव है। यही नहीं BJP के लिए लोकसभा चुनाव के दौरान उनकी कंपनी I-Pac के पास देश की नब्ज पकड़ने के लिए डेटा भी है। विपक्षी पार्टियों के नेता भी ये जानते हैं। इससे उनकी बात को काटने से पहले कोई भी नेता एक बार अवश्य सोचेगा।
ऐसे उनकी नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद ये भी चर्चा तेज हो गई है कि विपक्षी एकता के लिए PK रणनीति बनाएंगे। CM से मुलाकात को PK ने भले औपचारिक बताया है। लेकिन, यह भी तय है कि दोनों नेताओं के बीच चले डेढ़ से दो घंटे की मुलाकात में सिर्फ शराबबंदी और नीतीश कुमार की कमियों पर चर्चा नहीं हुई होगी। सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार के साथ-साथ विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए PK रणनीति बनाएंगे।
नीतीश कुमार के बुलावे पर प्रशांत किशोर उनके आवास पर मिलने बुधवार को एक अन्ने मार्ग पहुंच गए। दो घंटे तक चली इस मुलाकात में क्या बात हुई? दोनों नेता अपने-अपने तरीके से बता रहे हैं। PK ने पहले तो इस बात से इनकार किया कि उनकी मुलाकात नहीं हुई। लेकिन इसकी पोल खुद नीतीश कुमार ने खोल दी। नीतीश कुमार ने इस पर ज्यादा कुछ नहीं बोलते हुए कहा कि उनसे ही पूछ लीजिए कि क्या बातें हुई।
पत्रकारों ने जब नीतीश कुमार से पूछा कि प्रशांत किशोर से क्या बातचीत हुई? इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई खास बातचीत नहीं हुई, किसी से मिलने में क्या दिक्कत है? कोई कहेगा आपसे मिलना है, तो हम क्यों नहीं मिलेंगे? मेरा तो पहले से संबंध है। हालांकि, कोई खास बातचीत नहीं हुई है। नीतीश कुमार ने कहा कि पवन वर्मा मिलने आए हुए थे। उनसे हमारा पुराना नाता है। पवन वर्मा ने फोन किया था कि प्रशांत किशोर मिलना चाहते हैं।
बयान देने पर मजबूर हुए पीके
नीतीश कुमार ने इतना जरूर कहा था कि उनसे रिश्ते पुराने हैं। जब बात सार्वजनिक हुई तो PK ने भी अपना मुंह खोला। उन्होंने कहा कि औपचारिक मुलाकात थी। PK के मुताबिक उन्होंने शराबबंदी की विफलता और कई क्षेत्रों जो कमियां हैं, उसके बारे में अवगत कराया है। लेकिन, इस मुलाकात के बाद जिस मुहिम को लेकर PK बिहार का भ्रमण कर रहे थे। इसमें नीतीश कुमार ने सेंध लगा दी।
Post a Comment