Bhopal : जवाहर लाल कैंसर अस्पताल बना अनियमितताओं का केंद्र, सरकार तत्काल अधिग्रहित करे, माकपा ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

भोपाल। राजधानी में कैंसर पीड़ित मरीजों को समुचित उपचार उपलब्ध कराने के लिए बने जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के चलते इस अस्पताल को सरकार के द्वारा अधिग्रहित करने की मांग तेज हो गई है। असल में ये अस्पताल अपने उद्देश्य से भटक गया है और यहां सामान्य रोगियों को इलाज मिल ही नहीं पा रहा है। खास तौर पर गैस पीड़ितों के साथ यहाँ उचित व्यवहार नहीं किया जा रहा है।
अस्पताल को लेकर माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिँह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखा है और इसे अधिग्रहित करने का अनुरोध किया है। पत्र में उन्होंने लिखा है, भोपाल गैस त्रासदी के बाद शहर के प्रमुख समाजसेवियों और आम नागरिकों ने राजधानी में आधुनिक कैंसर अस्पताल स्थापित करने का संकल्प लिया था, जिसे प्रदेश सरकार के सहयोग से कैंसर के अग्रणी उपचार केन्द्र के रूप में विकसित किया गया। लेकिन विगत वर्षों में यहाँ दवाओं की खरीदी में करोड़ों की कमीशन खोरी, हाउस कीपिंग और भवन निर्माण कार्य में गड़बड़ी और पदाधिकारियों के भ्रष्टाचार की अनेक शिकायतें सामने आई हैं। भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण अस्पताल की सेवाएँ बुरी तरह प्रभावित हुई है।
पिछले तीन वर्ष में अस्पताल में कार्यरत 22 प्रमुख डॉक्टर्स विशेषज्ञ अस्पताल छोड़ कर जा चुके हैं. सर्जरी विभाग में मेजर ऑपरेशन प्रायः बंद है. कैन्सर के निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण न्यूक्लिअर मेडिसिन विभाग डेढ़ साल से बंद है। रेडियोथैरेपी विभाग पुरानी मशीनों और रखरखाव में में कमी की वजह से विभाग की कार्य क्षमता पर बुरा असर पड़ा है। जिसके कारण प्रदेश के दूरस्थ स्थान से आने वाले ऐसे मरीजों और स्थानीय नागरिकों खास कर गैस पीड़ित मरीजों की परेशानी बढ़ गई है जो उपचार के लिए बड़े शहरों में असमर्थ हैं।
एक तरफ तो अस्पताल में कैंसर मरीजों के उपचार की व्यवस्था अस्तव्यस्त है तो दूसरी तरफ प्रबंधन में भी गड़बड़ी और उथल पुथल चल रही है. इन्दौर के एक दवा कारोबारी ने समिति पर कब्जा कर लिया है और शासकीय लीज की जमीन पर बिना शासकीय अनुमति के बिना गैरकानूनी ढंग से मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के लिए ताबड़तोड़ निर्माण कार्य शुरू कर दिया है… जाहिर है इस कारण कैन्सर मरीजों की और भी उपेक्षा होगी।
अतएव आपसे अनुरोध है कि इस महत्वपूर्ण संस्थान को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए इस अस्पताल का सरकार अधिग्रहण करें और हजारों कैंसर मरीजों को अत्याधुनिक उपचार उपलब्ध कराने की दिशा में एक समग्र योजना क्रियान्वित करें. इसके साथ ही मध्य प्रदेश कैंसर चिकित्सा एवं सेवा समिति की प्रबंध समिति को तत्काल प्रभाव से भंग कर यहाँ प्रशासक नियुक्त किए जाने तथा अस्पताल की उच्चत्तर जांच का भी आग्रह हैं।







