MP : कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर मंत्री विजय शाह का विवादित बयान, ‘कटे-पिटे लोगों को उनकी बहन भेजकर…’ नेता प्रतिपक्ष ने जताया विरोध

भोपाल। मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार में मंत्री कुंवर विजय शाह ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने कर्नल सोफिया कुरैशी का बिना नाम लिए आपत्तिजनक बयान दिया. विजय शाह ने कहा कि ‘जिन लोगों ने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे, पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हीं कटे-पिटे लोगों को उनकी एक बहन को भेजकर ऐसी तैसी करवा दी.’इस पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कड़ा विरोध जताया है।
मानपुर (महू विधानसभा क्षेत्र) में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान विजय शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि मोदी जी समाज के लिए जी रहे हैं और समाज के लिए ही अपना जीवन कुर्बान कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि “जिन्होंने हमारी बेटियों के सिंदूर उजाड़े थे, उन्हीं पर हमने उनकी बहन को भेज कर उनकी ऐसी की तैसी कर दी”। उन्होंने (आतंकवादियों ने) हमारे हिंदुओं को कपड़े उतारकर मारा और मोदी जी ने उनकी बहन (कर्नल सोफिया कुरैशी) को उनके घर भेजकर उन्हें मरवाया।
उमंग सिंघार ने की कड़ी आलोचना

कर्नल सोफिया पर मंत्री विजय शाह की अपमानजनक टिप्पणी पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मंत्री विजय शाह का सेना के आला अधिकारी पर दिया गया बयान न केवल शर्मनाक है, बल्कि यह सेना और महिलाओं दोनों का अपमान है।
सेना का कोई अधिकारी हो या सैनिक, उसका कोई धर्म नहीं होता, उन्हे हिंदू या मुसलमान के रूप में नहीं गिना जाता। उनका केवल एक ही धर्म होता है — “देश”। मजहब की बात बार-बार भारतीय जनता पार्टी करती है और इस तरह की भाषा भाजपा की सोच को उजागर करती है।
यह बयान अत्यंत निंदनीय है, मैं विजय शाह जी के इस बयान की घोर निंदा करता हूं। उन्हें इस बयान पर तत्काल माफी मांगनी चाहिए!
पहले भी ऐसे विवादों से घिर चुके हैं मंत्री विजय शाह
विजय शाह का विवादों से पुराना नाता रहा है। 2013 में उन्होंने एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी, साधना सिंह, पर डबल मीनिंग टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था, “भैय्या के साथ तो रोज जाती हो, कभी देवर के साथ भी चली जाया करो।” इस बयान के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
2013 के इस बयान के बाद जब विरोध तेज हुआ तो विजय शाह ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए कहा कि वह “दस बार क्षमा चाहते हैं” और उनका उद्देश्य किसी को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि यह बात मजाक में कही गई थी। इसके बावजूद पार्टी पर दबाव बढ़ा और उन्हें मंत्री पद से हटाया गया।
विवादों के बावजूद बना रहा राजनीतिक रसूख
हालांकि मंत्री शाह ज्यादा दिन तक कैबिनेट से बाहर नहीं रहे। आदिवासी समाज में उनके प्रभाव को देखते हुए उन्हें चार महीने बाद ही पुनः मंत्रीमंडल में शामिल कर लिया गया। पार्टी को आशंका थी कि उन्हें अलग करने से आदिवासी वोट बैंक खिसक सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी शाह को माफ करते हुए उनके बयान को “हास-परिहास” की श्रेणी में डाल दिया था।