मध्यप्रदेश में BJP और कांग्रेस दोनों के पास 80-80 सीटों का बेस है। बहुमत 116 सीट पर है। यहां लड़ाई इन्हीं 36 सीटों के लिए है, जो सरकार बनवाएंगी। स्टेट BJP के एक सीनियर लीडर कहते हैं ‘मुख्यमंत्री, प्रदेश संगठन और हाईकमान तक लगातार अपना-अपना सर्वे करवा रहे हैं। इनके आंकड़े तो हमें पता हैं, पर वे ऐसे नहीं हैं कि हम आपसे शेयर कर पाएं। अभी तो सीटें 100 के अंदर ही आते दिख रही हैं, इसलिए इस बार बहुत बड़े पैमाने पर विधायकों की टिकट काटी जाएंगी।'
पिछले विधानसभा चुनाव में ही 50 विधायकों की टिकट कटनी थी, लेकिन एक बड़े नेता अड़ गए। उनकी जिद की वजह से किसी की टिकट नहीं काट पाए। इस बार संगठन किसी के दवाब में नहीं आएगा, क्योंकि पिछला चुनाव हार गए थे। इसीलिए मल्टिपल लेवल पर सर्वे करवाए जा रहे हैं। टिकट देने का एक ही पैमाना होगा और वो है जीत। फिर इससे फर्क नहीं पड़ता कि कैंडिडेट किस गुट से है।'
CM शिवराज सिंह को हटाने पर वे कहते हैं, ‘ये कोई नहीं जानता कि कल BJP में क्या हो जाए। आज तक शिवराज सिंह चौहान ही पार्टी का चेहरा हैं, लेकिन दिल्ली में क्या चल रहा है, ये मध्यप्रदेश BJP के नेता भी नहीं जानते।
शिवराज सिंह चौहान 23 मार्च 2020 को चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। 30 नवंबर 2005 से 17 दिसंबर 2018 तक लगातार 13 साल 17 दिन तक वे CM रहे। फिर करीब डेढ़ साल कांग्रेस की सरकार रही और कमलनाथ CM बने। 23 मार्च 2020 से एक बार फिर CM की कुर्सी शिवराज के पास आ गई। उन्हें मुख्यमंत्री रहते हुए करीब 16 साल हो चुके हैं। अब तक प्रदेश में कोई भी इतने समय तक मुख्यमंत्री नहीं रहा है।
2018 में BJP 107 सीटों पर रुक गई थी। इस बार भी हालात ज्यादा नहीं बदले हैं। कांग्रेस पिछली बार से ज्यादा इस बार संगठित दिख रही है। BJP ने भी ‘लाडली बहना’ जैसी योजना के साथ हिंदुत्व की धार तेज कर दी है। इस बार के बजट में भी धर्म और महिलाओं से जुड़ी योजनाओं के अलावा ज्यादा कुछ खास नहीं था।’
छत्तीसगढ़ : CM फेस नहीं, PM मोदी पर ही भरोसा
BJP के लिए मध्यप्रदेश से ज्यादा मुश्किल वाला राज्य छत्तीसगढ़ है। यहां वह सत्ता में नहीं, बल्कि विपक्ष में है। राज्य में वापसी के लिए BJP ने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। तीन बार के विधायक नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष और बिलासपुर से सांसद अरुण साव को प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई पर भी पार्टी की नजर है, लेकिन BJP अब तक कांग्रेस के खिलाफ कोई मूवमेंट खड़ा नहीं कर पाई है।
CM भूपेश बघेल लगभग हर वर्ग के लिए स्कीम अनाउंस कर चुके हैं, इन्हें लागू भी कर दिया गया है। कर्ज माफी से लेकर बेरोजगारी भत्ता तक इसमें शामिल है। यहां BJP के लिए चुनौती CM फेस की भी है। कोई नहीं जानता कि BJP जीती, तो CM कौन होगा। BJP ने यहां अब तक कोई सर्वे नहीं करवाया है। पार्टी ने ओम माथुर को जब से प्रभारी बनाकर भेजा है, तब से वे संगठन के साथ बूथ लेवल तक काम कर रहे हैं, लेकिन आज की स्थिति में चुनाव होते हैं तो कांग्रेस ज्यादा मजबूत दिख रही है। अगले 6 महीने में राज्य में क्या स्थिति बनेगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
कर्नाटक : संघ की रिपोर्ट में 70 से 75 सीटें
कर्नाटक में BJP 20 जुलाई 2019 से सत्ता में है। इन 4 साल में उसे एक बार मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। 28 जुलाई 2021 से यहां बसवराज बोम्मई CM हैं। कर्नाटक में फरवरी में RSS ने एक सर्वे रिपोर्ट BJP को सौंपी है। इसमें उसे 70 से 75 सीटें जीतते बताया गया। बहुमत के लिए 113 सीटें जरूरी चाहिए।
येदियुरप्पा लिंगायत वोटों को एकजुट कर सकते हैं, लेकिन अकेले पूरे राज्य में BJP को नहीं जिता सकते। मुख्यमंत्री की रैलियों में लोग नहीं पहुंच रहे। प्रदेश में कांग्रेस का प्रचार अभियान बहुत आक्रामक है। वह करप्शन के मुद्दे पर BJP को घेर रही है।'
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