Yogi सरकार के विधायक ही विरोध में उतरे…! नजूल विधेयक बना मुसीबत…
लखनऊ। उत्तर प्रदेश भाजपा में सब कुछ सही नहीं चल रहा है, ये अब कोई ढंकी छुपी बात नहीं है. पर इस हफ्ते की शुरुआत में ऐसा लगा था कि केंद्र के हस्तक्षेप से सब कुछ सुलझा लिया गया है. पर मर्ज की जितनी दवा हो रही है उतनी ही बढता जा रहा है. मामला इतना उलझ गया कि यूपी सरकार द्वारा पेश नजूल भूमि विधेयक को विधानसभा में पास होने के बाद विधान परिषद में रोक दिया गया. जब कि विधानपरिषद में भी सरकार को पूर्ण बहुमत है।
सीएम योगी ने नजूल संपत्ति बिल पेश किया है जिसे लेकर हंगामा मचा हुआ है। इस बिल पर भाजपा और सहयोगी दलों ने भी विरोध जताया है। लोकसभा चुनाव के बाद ये तीसरा ऐसा मामला है जिस पर हंगामा मचा है। हालांकि नजूल संपत्ति विधेयक को अभी प्रवर समिति के पास भेजा गया है लेकिन इसके अटकने से एक बार फिर यूपी में सियासी घमासान की संभावनाएं हैं।
विधानसभा में यूपी के संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को नजूल संपत्ति विधेयक को रखा जो काफी हंगामे के बीच विधानसभा से पारित हो गया। इस बिल को पटल पर रखने के साथ ही सपा-कांग्रेस समेत बीजेपी के कई बड़े नेता और विधायक इसके विरोध में नजर आए। इतना ही नहीं, इनमें एडीए के सहयोगी भी शामिल थे, जो विरोध जता रहे थे। इसके बाद जब इस विधेयक को विधानपरिषद में पेश किया गया, लेकिन एक रणनीति के तहत विधानपरिषद में इसे अटका दिया गया। अब बताया जा रहा है कि विधेयक से नाराज कई विधायकों ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाक़ात की और इससे बीजेपी को नुकसान होने की आशंका जाहिर की है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इस बात से सहमत दिखे कि इस बिल से मुश्किलें सामने आएंगी। बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी और पूर्व मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने भी इस बिल पर आपत्ति जताई है।
इसके साथ ही नजूल विधेयक पर एनडीए के सहयोगी भी नाराज दिखे, जिसमें कुंडा से विधायक राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह ने इसका विरोध करते हुए कहा कि ये जनता के हित में नहीं है इससे लोग जमीन से बेदखल होंगे और उनके घर टूटेंगे। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने इसे जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की। तो वहीं कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर और कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने भी नजूल विधेयक का खुलकर विरोध किया और कहा कि अगर हम किसी को उजाड़ेंगे तो लोग हमें उखाडक़र फेंक देंगे। कहा जा रहा है कि कई बीजेपी विधायकों ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से भी मुलाकात की और इस बिल को रोकने की मांग की. जिसके बाद ये तय हुआ कि नजूल विधायक को विधान परिषद में रोका जाएगा। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने सदन में खड़े होकर इस विधेयक पर आपत्ति जताई और इसे प्रवर समिति में भेजने को कहा।
नजूल संपत्ति विधेयक 2024 क्या है?
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक, 2024 का उद्देश्य नजूल भूमि को निजी स्वामित्व में बदलने से रोककर उसे विनियमित करना है। नजूल भूमि सरकारी स्वामित्व वाली है लेकिन सीधे राज्य संपत्ति के रूप में प्रबंधित नहीं की जाती है। सरल शब्दों में, यह वह भूमि है जिसे सरकार सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नियंत्रित करती है और उपयोग करती है, जैसे कि बुनियादी ढांचे या प्रशासनिक कार्यालयों का निर्माण। इस विधेयक में प्रस्ताव है कि नजूल भूमि को निजी व्यक्तियों या संस्थानों को हस्तांतरित करने के लिए किसी भी अदालती कार्यवाही या आवेदन को रद्द कर दिया जाएगा और खारिज कर दिया जाएगा। यह सुनिश्चित करते हुए कि ये भूमि सरकारी नियंत्रण में रहेगी। यदि भुगतान स्वामित्व परिवर्तन की प्रत्याशा में किया गया था, तो बिल जमा तिथि से भारतीय स्टेट बैंक की सीमांत निधि आधारित ऋण दर (एमसीएलआर) पर गणना की गई ब्याज के साथ रिफंड अनिवार्य करता है। यह सरकार को अच्छी स्थिति वाले वर्तमान पट्टाधारकों के लिए पट्टे का विस्तार करने की शक्ति देता है, जो नियमित रूप से किराए का भुगतान करते हैं और पट्टे की शर्तों का पालन करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आज्ञाकारी पट्टाधारक भूमि को सरकारी संपत्ति के रूप में बनाए रखते हुए इसका उपयोग जारी रख सकते हैं। विधेयक का उद्देश्य नजूल भूमि प्रबंधन को सुव्यवस्थित करना और अनधिकृत निजीकरण को रोकना है।