भोपाल। हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत के दरबार में हाजिरी लगाई, तब से राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मची हुई है। हालांकि संघ के पदाधिकारी कह रहे हैं कि सीएम की भागवत जी से मुलाकात ही नहीं हुई, वे भैयाजी जोशी से मिलकर लौट आए। इस मुलाकात के बाद एक ओर जहां कैबिनेट फेरबदल की चर्चाएं तेज हुई हैं वहीं लोग ये तक दावा कर रहे हैं कि शिवराज कैबिनेट सहित इस्तीफा देकर जल्द चुनाव की सिफारिश कर सकते हैं।
चर्चाओं का क्या है, चलती रहती हैं। लेकिन होता वही है जो तय होता है। पिछले छह महीने से मध्य प्रदेश में गुजरात मॉडल की बात चल रही है। अभी तक पता नहीं है। शिवराज को हर दूसरे महीने हटाए जाने की चर्चा होती है, पीएम मोदी और अमित शाह उनसे नाराज बताए जाते हैं, अभी तक कुछ नहीं हुआ।फेरबदल की भी कवायद और चर्चा जब तब गूंजती है।
हां कहा ये जाता है कि मध्यप्रदेश में कैबिनेट विस्तार और निगम-मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां पेंडिंग है।
असल में शिवराज की अचानक नागपुर यात्रा ने चर्चाओं को पंख लगाए हैं।और शिवराज भी इन्हे हवा देते दिखे, वे नागपुर से भोपाल नहीं आए, बल्कि रीवा चले गए, जहां उन्होंने एयरपोर्ट निर्माण का भूमिपूजन किया। उन्होंने भोपाल लौटने से पहले रीवा से ही सभी मंत्रियों को एक लाइन का संदेश भिजवाया कि 19 फरवरी (रविवार) को सुबह 9 से रात 9 बजे तक अनिवार्य रूप से भोपाल में रहें।
फिर क्या था, कई मंत्री बड़े बदलाव की संभावना को लेकर दिल्ली तक संगठन में अपने संपर्कों से पता करने की कोशिश में लग गए। यह भी खबर फैली कि रीवा में शिवराज और सिंधिया की इस बारे में बात हो चुकी है। निश्चित ही कैबिनेट विस्तार होगा और कई मंत्रियों की छुट्टी हो जाएगी। चाहते तो भोपाल लौट कर संदेश भेज देते उन्नीस तारीख दूसरे दिन तो नहीं थी।
हालांकि संघ को करीब से जानने वाले कहते हैं कि ऐसी मुलाकातें राजनीति विषय को लेकर नहीं होती। ऐसे में कयास लगाए गए कि 3 मार्च को सांची में धर्म-धम्म सम्मेलन होने वाला है। जिसमें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू का शामिल होना प्रस्तावित है। फिर यह भी कहा गया कि 19 फरवरी को मुख्यमंत्री के पौधारोपण अभियान के दो साल पूरे होने वाले हैं। जिसमें भागवत को आमंत्रित किया गया।
बहरहाल, संघ प्रमुख से शिवराज की मुलाकात अब भी एक राज है। क्योंकि उनके साथ गए एक अधिकारी को भी नहीं पता कि आखिर संघ मुख्यालय में शिवराज को क्यों बुलाया गया था और भागवत से मुलाकात के दौरान उनकी क्या बात हुई? भागवत से मुलाकात वास्तव में हुई या नहीं? वैसे सवाल तो और भी हैं। क्या एमपी के गुजरात मॉडल लागू हो पाएगा? क्या मोदी और शाह यहां अपनी रणनीति लागू कर पाएंगे? क्या सरकार बनवाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की भूमिका आगामी चुनाव में नगण्य हो जाएगी..?
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