Mahakal Fire: चर्चाओं का दौर… बाबा की नाराजगी का संदेश या कोई अपशकुन तो नहीं..?

जितने मुंह उतनी बातें। कोई घटना हुई कि लोगों ने अपने अपने तथ्य, अपने अपने कारण बताना शुरू कर दिए। कई बार उनका आधार भी होता है। और बात भी तर्क संगत होती है। ईश्वर न करे कि ये आशंकाएं ही रहें, सच न हों..।

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फिलहाल मामला बाबा महाकाल के आंगन में हुई आगजनी की घटना का है। पिता यानी बाबा भोले शंकर कर यहां चौदह लोग घायल हो गाएं इसी के आस पास उनके पुत्र यानी गणेश जी के इंदौर स्थित खजराना मंदिर में भी आरती के समय ज्वाला भभक गई। सौभाग्य से बड़ी घटना नहीं हुई। लेकिन बाबा के आंगन की घटना तो बड़ी ही कही जाएगी। 

दो महत्वपूर्ण बातें हैं। एक तो महाकाल मंदिर से जुड़ा मुद्दा है। सवाल तो उठता है कि  क्या धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल बनाना उचित है? क्या महाकाल मंदिर को भव्यता देने  दौरान बे ईमानी और भ्रष्टाचार नही हुआ? लोकायुक्त जांच किस बात की चल रही है? मूर्तियां खंडित होने का क्या मामला है?

इसी से जुड़ा एक बड़ा और महत्वपूर्ण मुद्दा उज्जैन के मिथक से भी जुड़ा है। दबी जुबान में लोग कह रहे हैं कि कोई सम्राट विक्रमादित्य जैसा न्यायप्रिय और ईमानदार नहीं हो सकता? महाकाल की नगरी का राजा कौन? क्या मिथक को तोड़ना अशुभ या अनिष्टकारक तो नही हो रहा? हम धार्मिक लोग हैं और इस तरह की बाते किसी के भी मन मस्तिष्क में आ सकती हैं।

दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा अग्नि तत्व से जुड़ा है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा अग्नि तत्व के केंद्र में की गई, ऐसा कहा जा रहा है। हम इसे आर भारत से जोड़ रहे हैं। परंतु क्या अग्नि तत्व को सम्हाल कर रख पाना किसी के वश की बात है? क्या इसके बाद देश में अग्निकांड की घटनाओं अचानक वृद्धि नही हुई..?  इस तरह की भविष्यवाणी भी की गई थी। और शंकराचार्य जी ने प्रक्रिया और कुछ अन्य मुद्दों पर असहमति भी व्यक्त की थी. हम धार्मिक मुद्दों पर भी शंकराचार्यों को नजरंदाज करके कोई अच्छा कर रहे हैं? चर्चा ये भी, कल रात से ग्रहण योग बना आज दोपहर तक। गोचर और गृह दशाओंके जानकार अग्निकांड से इसे भी जोड़ रहे हैं।

अग्नि तत्व, मिथक, अपशकुन…! हम वैज्ञानिक युग में हैं, परंतु इन बातों को अपने मन मस्तिष्क से नही निकाल पाए हैं। सच क्या है , कोई नहीं जानता। परंतु घटनाओं से हम अंदाजा अवश्य लगाते आए हैं। अब ये लोगों पर निर्भर है कि वे किस बात को मानते हैं। फिलहाल इन चर्चाओं को विस्तार तो दिया जा रहा है। जगत जगह चल रही हैं।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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