Editorial : चैटबॉट ग्रोक के खतरे और सकते में सरकार…

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानि एआई चैटबॉट ग्रोक अचानक चर्चा में आ गया है। अपने बेबाक अंदाज और भाषा के इस्तेमाल की वजह से ग्रोक काफी कम समय में ही भारत में लोकप्रिय हो गया है। हालांकि, इसकी बढ़ती लोकप्रियता के बीच कुछ प्रतिक्रियाएं सवालों के घेरे में भी हैं, खासकर भाषा में अपशब्दों और गलत शैली के इस्तेमाल को लेकर आपत्ति जताई जा रही है।
सही बात तो यह है कि सुपरकम्प्यूटर पर चलने वाला ये एडवांस्ड चैटबॉट, यूजर्स को अपशब्द भी कह सकता है । और तो और, ये देसी यूजर्स के टोन और भाषा को कॉपी कर रहा है, जो आपको लोकल चाय की टपरी पर दोस्तों के साथ बेफिक्र बातचीत की याद दिला देता है। एलन मस्क के एआई चैटबॉट ग्रोक से लोग अजीबोगरीब सवाल पूछ रहे हैं। ग्रोक भी उन सवालों के उतने ही अजीब जवाब दे रहा है, जिसके बाद लोग इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर कर रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों में ऐसे लोगों की तादाद काफी बढ़ गई है। इसलिए सरकार ने अब ग्रोक से ऊलजलूल सवाल पूछने वालों के खिलाफ एक्शन लेने का मन बना लिया है। हालांकि, सरकार ऐसे सवालों के जवाब देने पर ग्रोक के खिलाफ भी एक्शन लेने के मूड में है। ये सब ऐसे समय हो रहा है, जब भारत सरकार के आदेश के खिलाफ ग्रोक की मूल कंपनी एक्स पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख कर चुकी है। कंपनी का कहना है कि सरकार की कार्रवाई गैरकानूनी है। ऐसा करके अभिव्यक्ति की आजादी को दबाया जा रहा है है। वहीं, सरकार का कहना है कि एक्स को देश के कानून का पालन करना होगा।
ग्रोक के हिंदी में जवाबों में अनेक आपत्तिजनक शब्द पाए गए हैं। सरकार इस मुद्दे पर एक्शन लेने के मूड में है. हालांकि, एक्स का कहना है कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के तहत सरकार को कंटेंट ब्लॉक करने का अधिकार नहीं है। एक्स का कहना है कि ऐसा आदेश सिर्फ आईटी अधिनियम की धारा 69्र के तहत ही दिया जा सकता है। अब इस मामले में 27 मार्च को सुनवाई होनी है।
सरकार के जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अगर कोई यूजर ग्रोक से ऐसे सवाल पूछता है, जिससे भडक़ाऊ जवाब मिले, तो उस यूजर और त्रह्म्शद्म प्लेटफॉर्म दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सरकार का कहना है कि ऐसे सवाल पूछना और जवाब देना दोनों ही गैरकानूनी हो सकते हैं।
हमारे देश में तो हाल यह है कि लोग गूगल या अन्य प्लेटफार्म पर इतिहास से लेकर तमाम कंटेंट भी फर्जी डाल देते हैं। कई बार तो ये प्लेटफार्म फैक्ट चैक करते हैं, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता या हो पाता है। ऐसे में गूगल से लेकर तमाम मीडिया प्लेटफार्म पर गलत जानकारियों का ढेर लगता जा रहा है। तमाम इतिहास बदला जा रहा है। एआई का चैटबोट भी इसी कारण से भटकता नजर आने लगा है, क्योंकि वह जवाब अपने मन से तो नहीं बनाता, जो कंटेंट कहीं भी पहले से फीड हैं, उन्हीं को जस का तस या थोड़ा बदलकर पेश कर देता है। यही कारण है कि सोशल मीडिया के कई प्लेटफार्म अश्लील संवादों से लेकर गालियां तक सुना रहे हैं।
ग्रोक चैटबोट की बात करें तो मुख्य मुद्दा यह है कि सरकार ऑनलाइन कंटेंट को किस हद तक नियंत्रित कर सकती है? एक्स का कहना है कि सरकार को अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान करना चाहिए। वहीं, सरकार का कहना है कि उसे गैरकानूनी कंटेंट को रोकने का अधिकार है। ये कैसे रुक पाएगा, यह फिलहाल तो समझ से परे है। किसी प्लेटफार्म को प्रतिबंधित करना भी आसान नहीं है। देखना होगा कि इसका हश्र क्या होता है?