Editorial
जल संकट और फ्लॉप मिशन


देश के अधिकांश हिस्सों में इस समय भीषण गर्मी का दौर चल रहा है। मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। एक तरफ तपती धूप, असहनीय तापमान, उस पर तमाम गांवों-शहरों और कस्बों में जल संकट की शुरुआत हो चुकी है। आज ही एक खबर आई है बड़वानी जिले के पाटी विकासखंड की। वहां गर्मी की शुरुआत में भीषण जलसंकट के हालात हैं। विकासखंड के ग्राम चिकलकुआवाड़ी के उगेवना फलियां में तीन हैंडपंप जलस्तर गिरने से बंद हो चुके हैं। महिलाओं व बच्चों को दो किमी दूर स्थित एक निजी कुएं पर पानी भरने के लिए जाना पड़ता है। महिलाएं और बच्चे 20 फीट गहरे कुएं में उतरकर बर्तनों में पानी भरकर ऊपर लाती हैं। ऐसे में जरा सा भी संतुलन बिगड़ जाए तो बड़ा हादसा हो सकता है।
कहने को गांव छोटा है, 250 लोगों की आबादी है। इस गांव में तीन महीने से जलसंकट का दौर चल रहा है। क्षेत्र के तीन हैंडपंप जलस्तर गिरने की वजह से बंद हो चुके हैं। फलियां के रहवासी दो किमी दूर जाकर एक निजी कुएं में जान जोखिम में डालकर पानी निकाल रहे हैं। जो पानी निकल रहा है वह भी मटमैला है। लेकिन मजबूरी में वही पानी पीने के लिए मजबूर हैं। 25 से 30 परिवार एक ही कुएं पर निर्भर है। यहां पर सुबह से शाम तक पानी के लिए इंतजार करना पड़ता है। फलियां में ना ही चालू स्थिति में हैंडपंप है। न ही शासन से नल जल योजना में पानी की व्यवस्था की गई। जिससे यहां के लोग परेशान हैं। फलियां में एक दबंग व्यक्ति ने एक हैंडपंप पर अपना कब्जा जमा रखा और पानी की मोटर लगाकर खेत में सिंचाई के काम में ले रहा है। लेकिन लोगो को पीने का पानी नहीं दे रहा है
ग्रामीण दो किमी दूर से एक निजी कुएं से पानी ला रहे हैं। उन्होंने कहा पशुओं को 3 किमी दूर बेडदा में बने तालाब में पानी पिलाने ले जा रहे हैं। वहीं निजी कुएं में भी पानी मटमैला आता है फिर भी मजबूरी में उन्हें वहीं पानी पीना पड़ता है। जहां पर पानी की समस्या नहीं है वहा पर जबरन टंकी बनाकर शासन द्वारा नल जल योजना संचालित कर करोड़ों रुपये खर्च कर रही हैं। जबकि हमारे गांव में पानी के लिए तरस रहे हैं यहां पर शासन कोई व्यवस्था नहीं कर रही हैं। फिलहाल 3 हैंडपंप भी सूखे पड़े हुए हैं। रहवासियों का कहना है मौखिक रूप से अधिकारी व जनप्रतिनिधियों को समस्या से अवगत कराया गया लेकिन निराकरण का आश्वासन देकर चले गए। अभी तो गर्मी पूरी तरह से पड़ी भी नहीं है. और पानी की समस्या विकराल हो गई है।
ये तो एक गांव का मामला है। प्रदेश के दर्जनों गांव, शहर और कस्बों में इस समय जबर्दस्त जल संकट का दौर चल रहा है। कहने को राज्य में दसियों साल से जल ग्रहण मिशन चल रहा है। करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं। बुंदेलखंड को तो विशेष पैकेज में रखा गया था। लेकिन हालात में बहुत ज्यादा परिवर्तन दिखा नहीं। पिछले कुछ वर्षों से जल जीवन मिशन भी चल रहा है। हर गांव में पानी पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। कागजों में मिशन को सफल निरूपित कर दिया गया है। लेकिन बड़वानी का ये गांव इस अभियान की असलियत को उजागर करने काफी है।
असल में सरकार में दो हिस्से हैं, एक राजनीतिक और दूसरा प्रशासनिक। प्रशासन में बैठे लोग कागजों में अभियानों की सफलता दिखाने में परफेक्ट हैं। और राजनेताओं को भी वे आसानी से संतुष्ट कर देते हैं। जब खबर आती है या कोई शिकायत करता है, आंदोलन होता है, तभी उन्हें असलियत का अंदाजा हो पाता है। अब इसकी किसे फुर्सत है कि दूरदराज के गांवों में जाए और लोगों की समस्याओं से रूबरू हो। कई बार तो चुनाव में भी नेताओं का ऐसे इलाकों में भ्रमण नहीं होता। उनके चेले-चपाटे वहां जाकर लोगों से वायदा करके आ जाते हैं। किसी भी तरह से उन्हें वोट के लिए तैयार कर लेते हैं। समस्याएं जहां की तहां ही रह जाती हैं।
– संजय सक्सेना

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

Related Articles