MP: Bank अधिकारियों की निरंकुशता का शिकार हुआ एक परिवार…

भोपाल। बैंक अधिकारी किस तरह आम आदमी से व्यवहार करते हैं और किस तरह घर से बेघर कर देते हैं, इसके उदाहरण बार बार सामने आते रहते हैं। राजधानी भोपाल में आवास ऋण की वसूली के मामले में बैंक द्वारा अमानवीय व्यवहार अपनाए जाने की घटना सामने आई है। बैंक वो अधिकारियों ने कर्जदार का फ्लैट बिना सूचना के औने पौने दाम में बेच दिया। जबकि कर्जदार से यही कहा जाता रहा कि समझौते का प्रयास कर रहे हैं।
कर्ज लेने वाले ज्योति खरे ने मानव अधिकार आयोग, बैंकिंग जुल, रिजर्व बैंक आदि को पत्र लिख कर आप बीती बताई है। साथ ही न्याय की गुहार की है। उन्होंने पत्र में बताया कि….
यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया, अरेरा हिल्स शाखा, भोपाल से दिनांक 16 अक्टूबर 2017 को Ref. No.: 5565990002862 द्वारा आवास ऋण प्राप्त किया था । कोरोना संक्रमण काल के समय से मेरा व्यवसाय पूर्ण रूप से बंद हो गया था, जिस कारण परिवार के भरण पोषण के साथ बैंक की किस्त समय सीमा में चुकता नहीं कर पाया, इस कारण बैंक ने मुझे दिवालिया घोषित कर दिया!
बैंक के अधिकारी श्री राजीव झा प्रबंधक महोदय से लगातार संपर्क करते हुए मानवीय आधार पर रकम चुकता करने हेतु अतिरिक्त समय की मांग की गई, जिसे उन्होंने अभद्रता करते हुए अपशब्द कहे और समझौता करने हेतु दिए जा रहे निवेदन पत्र को लेने से साफ मना कर दिया। तदोपरांत संदर्भित पत्र को दिनांक 06/07/2023 स्पीड पोस्ट एवं मेल द्वारा संबंधित समस्त अधिकारियों को प्रेषित किया गया जिसका जवाब आज दिनांक तक नहीं दिया गया।n
मेरे द्वारा श्री झा साहब को दिए जा रहे समझौता निवेदन पत्र, जिसमें साफ तौर पर दर्शित किया गया था कि मैं रकम जमा करने हेतु तैयार हूं, लेने से मना कर दिया गया इसके साथ ही तुरंत बैंक नीलामी की प्रक्रिया अपनाता रहा, मेरे पूछने पर उन्होंने बताया की इसके बाद ही समझौता रकम जमा कराई जाएगी, यह प्रक्रिया का एक हिस्सा है । लेकिन इसके बाद भी मुझे अनभिज्ञ रखते हुए मेरे पति की अनुपस्थिति में कई बार बैंक द्वारा भेजे व्यक्तियों द्वारा मेरे हस्ताक्षर यह कहते हुए कराए गए कि अब आपसे रकम जमा करा दी जाएगी। ऐसा करने से बैंक समझौता हेतु तैयार हो जाएगा। मैंने बैंक के ऊपर विश्वास रखते हुए अपने हस्ताक्षर कर दिए।
इसी क्रम में दिनांक 8 फरवरी 2024 को सायं काल समय श्री कमलेश त्रिपाठी और उनके तीन साथी मेरे घर आते हैं और मेरे सभी परिवार सदस्यों को धमकाते हुए कहने लगे कि हम लोग बैंक के द्वारा अधिकृत व्यक्ति हैं । आप लोग मकान खाली कर दो वरना हम लोग बल पूर्वक खाली करा लेंगे और आपके साथ अच्छा नहीं होगा। यह मकान हमने बेच दिया है। मेरे बार-बार आग्रह करने पर उन्होंने इस संदर्भ में कोई भी कागजात प्रस्तुत नहीं किये।
इसके पश्चात अगले दिन 9 फरवरी 2024 को मुझे अपने ऑफिस बुलाया और साथ में लेकर बैंक गए जहां उन्होंने बैंक के अधिकारी श्री अजय कुमार जी, मुख्य प्रबंधक, ऋण वसूली एवं विधि विभाग द्वारा संपर्क कराया। संबंधित अधिकारी ने भी इस संबंध में कोई भी दस्तावेज दिखाने से मना करते हुए यह कहा कि आप लोग तुरंत मकान खाली कर दें वरना बल पूर्वक खाली करा लेंगे। हमने 14 (1) की कार्यवाही करा दी है, जिसमें आपको बताना जरूरी नहीं समझा गया। ऐसे ही सभी लोग मिलकर लगातार धमकियां देकर दबाव बना रहे हैं। कल पुनः श्री कमलेश त्रिपाठी ने फोन करके बुलाया और अपने साथियों के साथ मकान खाली करने के लिए दबाव बनाने की कोशिश करते रहे
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि बैंक अधिकारियों द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर एवं संवैधानिक शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल करते हुए साजिशन, वर्तमान बाजार मूल्य (25 लाख से अधिक कीमत) से कम (करीब 15 लाख मूल्य) कीमत में मकान बेचकर किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से छल-प्रपंच द्वारा विक्रय पत्र निष्पादित करने की कोशिश कर रहा है, जो की बैंक के नैसर्गिक सिद्धांत के अनुरूप नहीं है। ऐसी स्थिति में मकान की की गई रजिस्ट्री को शून्य माना जाएगा। यह तब, जबकि मैंने आज दिनांक तक बैंक को पैसे जमा करने हेतु कभी भी अपनी असमर्थता जाहिर नहीं की है।
बैंक के द्वारा अपनाए जा रहे ऐसे व्यवहार से हम सभी मानसिक रूप से तनाव में है। मेरे बच्चों के Exam का समय है और वह भयभीत और तनाव में अध्यापन करने हेतु बाध्य हैं और जीवन यापन हेतु अन्य कार्य को करने की मन: स्थिति में भी नहीं है । ऐसी स्थिति में मेरी पारिवारिक एवं आर्थिक हानि हेतु बैंक स्वंय जिम्मेदार होगा।
श्रीमान जी से विनम्र अनुरोध है कि बैंक अधिकारियों एवं संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का कष्ट करें।