wadra Land Deal: हरियाणा में 2 IAS अधिकारी भिड़े: अशोक खेमका ने लिखा- डील में पापियों की मौज; वर्मा बोले- अपना दोष छिपा रहे

चंडीगढ़। हरियाणा की बहुचर्चित DLF-वाड्रा लैंड डील पर 2 IAS अधिकारी आपस में भिड़ गए हैं। पहले चर्चित IAS अशोक खेमका ने लैंड डील की जांच को लेकर सवाल खड़े किए। इसके बाद IAS संजीव वर्मा ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए उन पर निशाना साधा। हालांकि दोनों ने एक-दूसरे के नाम नहीं लिखे हैं।

इन दोनों IAS अधिकारियों के बीच पहले भी लड़ाई चलती रही है। जिसकी शिकायतें तक सरकार के पास पहुंची।

सोशल मीडिया पर IAS अफसरों की लड़ाई

खेमका ने लिखा- शासक की मंशा कमजोर क्यों? अशोक खेमका ने लिखा था- ‘वाड्रा-DLF सौदे की जांच सुस्त क्यों? 10 साल हुए, और कितनी प्रतीक्षा। ढींगरा आयोग की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में। पापियों की मौज। शासक की मंशा कमजोर क्यों? प्रधानमंत्री का देश को वर्ष 2014 में दिया गया वचन एक बार ध्यान तो किया जाए।”

वर्मा का जवाब- अपने दोष छिपाने के लिए दूसरों के दोष गिना रहे

IAS संजीव वर्मा ने लिखा- “लोग अपने दोष छिपाने के लिए दूसरे के दोष गिनाने लगते हैं, ये भूल कर कि ऐसा करने से वो खुद दोष मुक्त या पवित्र नहीं हो जाते। उन्होंने ऐसे लोगों के लिए एक कहावत भी लिखी है, ‘औरों को बुढ़िया सिखविद दे अपनी खाट भीतरी ले’।”

खेमका का दावा- भाजपा ने राष्ट्रीय मुद्दा बनाया लेकिन कार्रवाई नहीं हुई

अशोक खेमका ने कांग्रेस सरकार के समय वाड्रा डीएलएफ लैंड डील को लेकर सवाल खड़े किए थे। भाजपा ने इसे चुनाव के दौरान राष्ट्रीय मुद्दा बनाया था। 2014 के चुनाव में इस लैंड डील को लेकर पार्टी ने प्रचार सामग्री तक छपवाई थी, लेकिन जब पार्टी सत्ता में आई तो इस मामले में कोई भी कार्रवाई अभी तक नहीं की गई। इसके बाद इस डील को क्लीन चिट देने वाले अधिकारी को दोबारा पद देने पर खेमका का यह दर्द

छलका है।

इससे पहले खेमका ने 11 महीने पहले भी लगातार दो ट्वीट कर इस लैंड डील को लेकर सवाल उठाए थे। खेमका मार्च 2023 में इस मामले में वित्तीय लेन देन की जांच को लेकर सरकार के द्वारा गठित की गई नई SIT पर भी सवाल खड़े कर चुके हैं।

4 महीने पहले दोनों ने लगाए थे आरोप चार महीने पहले हरियाणा के इन दोनों सीनियर आईएएस ने एक दूसरे के खिलाफ आरोप लगाए थे। इसके बाद हरियाणा सरकार की ओर से ASC टीवीएसएन प्रसाद अब मुख्य सचिव भी दोनों के द्वारा एक दूसरे के खिलाफ लगाए गए आरोपों की जांच करने के निर्देश दिए गए थे। सरकार की ओर से इसको लेकर ऑर्डर भी जारी किए गए थे।

हरियाणा के IAS अशोक खेमका और संजीव वर्मा ने एक दूसरे के खिलाफ लॉग बुक में हेराफेरी और फर्जी नियुक्ति किए जाने संबंधी शिकायतें की हैं। IAS अशोक खेमका ने संजीव वर्मा के खिलाफ पांच और संजीव वर्मा ने अशोक खेमका के खिलाफ सरकार में तीन शिकायतें कर चुके हैं।

 क्या है विवाद

वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और प्रमुख भारतीय रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड के बीच हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच ये सौदा फरवरी 2008 में हुआ था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के मानेसरशिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में करीब 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इस प्लॉट का म्यूटेशन अगले ही दिन स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के पक्ष में कर दिया गया और 24 घंटे के अंदर जमीन का मालिकाना हक रॉबर्ट वाड्रा को ट्रांसफर कर दिया गया।

पूर्व सीएम हुड्डा पर क्यों लगे आरोप

जमीन की ये डील जब हुई उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे। माना जाता है कि इस प्रक्रिया में आम तौर पर 3 महीने लग जाते हैं। जमीन खरीदने के करीब एक महीने बाद हुड्डा सरकार वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी को इस जमीन पर आवासीय परियोजना विकसित करने का परमीशन दे देती है।

आवासीय परियोजना का लाइसेंस मिलने के बाद जमीन के दाम बढ़ जाते हैं। लाइसेंस मिलने के मुश्किल से दो महीने बाद ही वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जून 2008 में डीएलएफ ये जमीन 58 करोड़ में खरीदने को तैयार हो जाती है।

यानी मुश्किल से चार महीने में 700 प्रतिशत से ज्यादा का मुनाफा वाड्रा की कंपनी को होता है। वहीं 2012 में हुड्डा सरकार कॉलोनी बनाने वाले लाइसेंस को डीएलएफ को ट्रांसफर कर देती है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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