Editorial:
जहरीली हवा का हॉटस्पॉट

भोपाल झीलों और शैल शिखरों की नगरी कही जाती है। यहां आबादी को देखते हुए आज भी हरियाली का हिस्सा ज्यादा है। इसके बावजूद शहर के कई हिस्सों में प्रदूषण का प्रतिशत लगातार बढ़ता जा रहा है। हवाएं जहरीली होती जा रही हैं। और नये भोपाल का जो टीटी नगर इलाका कभी शुद्ध हवा और बेहतर पर्यावरण के लिए जाना जाता था, अब जहरीली हवा का हॉटस्पॉट बन गया है। यह हमारे लिये गंभीर चेतावनी भी है।
आज की खबर पर गौर करें तो पता चलता है कि टीटीनगर यानि तात्याटोपे नगर में गुरुवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स अर्थात एक्यूआई 235 दर्ज किया गया। यह खराब श्रेणी में आता है। सबसे खतरनाक स्थिति ओजोन गैस की है। इसकी औसत मात्रा 173.66 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर मापी गई। यह सीधे फेफड़ों पर असर डालती है। यहां पीएम 10 की मात्रा 114.24, पीएम 2.5 की मात्रा 30.90 रही। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा के मुताबिक टीटी नगर में ओजोन का स्तर 214 दर्ज किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक हवा में इतनी अधिक मात्रा में ओजोन होने से यह बुजुर्गों, बच्चों और अस्थमा या दिल के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक हो जाती है।
भोपाल के कुछ अन्य हिस्सों की बात करें तो कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदूषण बढ़ा है। हालांकि, यहां लगे सेंसर बंद हैं। इससे अब वहां प्रदूषण की सही माप भी नहीं हो पा रही। अरेरा कॉलोनी स्थित पर्यावरण परिसर, जिसे ग्रीन जोन कहा जाता है, वहां भी हवा सुरक्षित नहीं रही। यहां भी हवा की स्थिति खराब श्रेणी में रही। यहां ओजोन का स्तर 73 से ऊपर पहुंच गया। पुराने शहर का हमीदिया रोड किसी समय सबसे ज्यादा प्रदूषित हवाओं का इलाका माना जाता था, वहां हालांकि आज भी बहुत हालात नहीं सुधरे हैं, लेकिन नये शहर की हरियाली को हवाओं में बढ़ता जहर चुनौती दे रहा है।

नये भोपाल के इस महत्वपूर्ण इलाके को लेकर डाक्टर तक कहने लगे हैं कि इस तरह के प्रदूषण में लोग खुले में व्यायाम या दौडऩे से बचें। मास्क पहनकर बाहर निकलें। घरों में एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें। सरकार और नागरिकों दोनों को मिलकर कदम उठाने होंगे। पराली जलाना तुरंत रोका जाना चाहिए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का भी कहना है कि पराली और आग लगने की घटनाओं के हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
हालांकि विशेषज्ञ इसे पराली से जोड़ रहे हैं, उनका कहना है कि इन दिनों पराली जलाने की घटनाएं बढ़ी हैं। इससे हवा में पीएम 10, नाइट्रोजन ऑक्साइड, अमोनिया, कार्बन मोनोऑक्साइड और ओजोन जैसी गैसें कई गुना बढ़ जाती हैं। टीटी नगर में ओजोन का बढ़ा स्तर इसका साफ संकेत है, कि रातीबड़, नीलबड़ सहित आसपास के इलाकों में जमकर पराली जलाई जा रही है। पर्यावरण परिसर में कोलार की तरफ जल रही पराली का असर दिखाई दे रहा है।

लेकिन केवल पराली ही इसके पीछे प्रमुख कारण नहीं है। टीटी नगर और अरेरा कालोनी जैसे क्षेत्रों में हरियाली का औसत एक चौथाई भी नहीं रहा है। बड़ी संख्या में पेड़ काटे गये हैं। टीटी नगर को तो पुनर्घनत्वीकरण के तहत स्मार्ट शहर बनाने के प्रयास चल रहे हैं, लेकिन ऐसा स्मार्ट शहर किस काम का,  जहां की हवाओं में जहर घुलता जा रहा हो? जहां सांस लेने के लिए शुद्ध हवा नहीं मिल रही हो?
हमें इस शहर को प्रदूषण से बचाने के प्रयास तो करने ही होंगे। इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा। सरकार को भी नई योजनाओं में पेड़ काटकर विकास करने से बचना होगा। हाल ही में ऐसी एक योजना रोकी गई है। शहर की बची-खुची हरियाली को रोकना होगा। साथ ही प्रदूषण के अन्य कारकों पर भी ध्यान देना होगा। वाहन प्रदूषण से लेकर पराली जलाने तक पर सख्ती करनी होगी, नहीं तो हमारा शहर रहने लायक नहीं बचेगा।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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