बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को ठग बताने वाले श्याम मानव अब तक 200 से ज्यादा बाबाओं के पाखंड को उजागर कर चुके हैं। 8 जनवरी को श्याम मानव ने बागेश्वर सरकार के दिव्य दरबार की पुलिस में शिकायत की थी। इसके बाद 15 दिन में उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है। उन्हें फोन पर रोज धमकियां मिल रही हैं। वे पुलिस के कड़े पहरे में हैं। उनसे मिलने वालों को तलाशी के बाद ही उन तक पहुंचने दिया जाता है। पत्रकारों को भी उनसे इंटरव्यू लेने की परमिशन तभी मिलती है, जब समिति के कार्यकर्ता या खुद श्याम मानव उन्हें परमिट करते हैं।
दैनिक भास्कर ने जाना धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को चुनौती देने के बाद आखिर कैसे बदली श्याम मानव की जिंदगी?
नागपुर के सरकारी रेस्ट हाउस में ठहरे श्याम मानव को मिल रही धमकियों के बाद उनकी सुरक्षा में 10 से ज्यादा पुलिस वाले लगा दिए गए हैं। पत्रकारों को भी तलाशी के बाद ही उन तक पहुंचने दिया जा रहा है। धमकी देने वाले श्याम मानव से पूछ रहे हैं कि उन्हें हिंदू धर्म से क्या ऐतराज है? वे दूसरे धर्मों के बाबाओं पर सवाल क्यों नहीं उठाते। फोन करने वाले ये भी आरोप लगाते हैं कि ऐसा वे हिंदू विरोधी होने के कारण कह रहे हैं।
दैनिक भास्कर रिपोर्टर की मौजूदगी में श्याम मानव को एक कॉल आया। खुद को उत्तराखंड का महेंद्र शर्मा बताने वाले उस शख्स ने सवाल किया कि आखिर उन्हें हिंदू धर्म से क्या तकलीफ है? वे मजारों में क्यों नहीं देखते, वहां क्या हो रहा है। जहां गाय काटी जाती है, वहां वे क्यों नहीं जाते। श्याम मानव की संस्था के कार्यकर्ता कहते हैं कि उनके फोन पर रोजाना ऐसे कॉल्स आते हैं। अब तो इसकी आदत हो गई है। ऐसे कॉल्स से उनका ये आंदोलन थमने वाला नहीं है।
उधर, 71 साल के श्याम मानव कहते हैं कि नागपुर को पोल खोल शहर इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां कई बाबाओं की पोल खुल चुकी है। इंटरनेशनल बाबा कृपालुजी महाराज हों या शकुंतला देवी...सबकी पोल इसी नागपुर में खुली है। दीक्षा के नाम पर स्त्रियों से संबंध बनाने वाले सुंदरदास बाबा और 13 से 14 साल की लड़कियों को राधा कहकर उनसे संबंध बनाने वाले कृपालुजी महाराज की पोल भी उन्होंने ही खोली है।
मैंने दिसंबर 1982 में ये काम शुरू किया था। हमने कई बड़े-बड़े बाबाओं को एक्सपोज किया है। 200 बाबा थे जो चमत्कार का दावा करते थे। हम उनका नाम लेकर बोलते थे। शुरू से ही उस गांव में भक्तों का विरोध होता था। भाषण के आधार पर ही हमें जो जानकारी मिलती थी, उस आधार पर हम उन्हें एक्सपोज करते थे। ऐसे अनगिनत बाबाओं को हमने एक्सपोज किया है। मैं पत्रकार भी था। अखबार में अंधविश्वास पर एक कॉलम लिखता था। बहुत बड़े नाम है, जिसके कारण नागपुर को पोल खोल शहर कहा जाने लगा। उसमें सबसे पहला बड़ा नाम है शकुंतला देवी।
ह्यूमन कम्प्यूटर शकुंतला देवी को प्रोग्राम छोड़कर भागना पड़ा था
1985 की बात है शकुंतला देवी की भविष्यवाणी की चर्चा पूरे देश में थी। शंकुतला का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। उसे ह्यूमन कम्प्यूटर कहा गया। रोटरी क्लब ने 1985 में नागपुर में उनका एक कार्यक्रम आयोजित किया था। वह बहुत ही तेजी से गुणा-भाग करती थीं। हमने उनके गणित के कार्यक्रम का विरोध नहीं किया था। कहा जाता था कि वह ऐसा भविष्य बताती हैं कि भगवान के जैसा करेक्ट होता है। हमने उनका भांडाफोड़ किया। पुलिस में शिकायत दर्ज की। एफआईआर भी लिखी गई। तब हमें पता नहीं था कि उनके दिल्ली में भी बड़े कॉन्टैक्ट है। दिल्ली से फोन आया और शिकायत के अगले ही दिन कमिश्नर साहब ने उन्हें हवाई जहाज में बैठाकर दिल्ली रवाना कर दिया। जिस कार्यक्रम के लिए वो नागपुर आई थीं, उस कार्यक्रम को छोड़कर उन्हें भागना पड़ा। ये पहला बड़ा केस था। शकुंतला के चमत्कार और उसकी भविष्यवाणी सब बंद हो गई।
पायलट बाबा को कांच के चैंबर में 30 मिनट रहने का चैलेंज दिया, आए ही नहीं
सुंदरदास बाबा कोलकाता का था। रामस्नेही पंत के व्यापारियों का वह प्रमुख था। वह बताता था कि पुरुषों को 9 मार्ग से मोक्ष प्राप्त होता है और स्त्रियों को दसवें मार्ग से। दसवें मार्ग से अगर स्त्री मोक्ष प्राप्त करती है तो मोक्ष उसके अलावा उसके पति को, उसके पिता को और बेटे को भी मिलता है।
दसवां मार्ग था उन स्त्रियों के साथ शारीरिक संबंध बनाना। इसे वह दीक्षा देना कहता था। दीक्षा देने के बाद उसका प्रोसेशन निकलता था, जिनको दीक्षा दी गई उस महिला का नाम सबको पता चलता था, लेकिन दीक्षा का मतलब किसी को मालूम नहीं होता था। वो स्त्रियां जरूर जानती थीं कि उनके साथ दीक्षा के नाम पर क्या हुआ। 1988 में ऐसी एक शिकायत हम तक पहुंची तो हमने पुलिस में उसकी शिकायत की। इसके बाद सुंदरदास बाबा को नागपुर छोड़कर भागना पड़ा था। सुंदरदास मिलिट्री का अफसर रहा था। उसका सगा भाई राजस्थान में डीजी रैंक का अफसर था।
13 से 14 साल लड़की की फरमाइश करता था कृपालु महाराज
30 साल पहले की बात है। कृपालु महाराज का अध्यात्म की दुनिया में बड़ा नाम था। कृपालु महाराज खुद को कृष्ण का अवतार कहता था और लड़कियों को राधा। वो रोज अपने सेवादारों से कहता था कि उसे 13 से 14 साल के बीच की नई राधा चाहिए। सेवादार कहते थे कि महाराज जी को भोग लगता है। मुझे ऐसी दो लड़कियों की शिकायत मिली। इसके बाद हमने कृपालु महाराज के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्हें जेल जाना पड़ा। कृपालु के लाखों अनुयायी थे, लेकिन कोई नीयत पर शक नहीं करता था। ठान लिया कि हम इसे एक्सपोज करके ही रहेंगे।
बेबीकिशन राठौर ने लिया था चैलेंज, मुंह और कपड़ों में छिपा रखे थे फूल-ताबीज
1986 की बात है। नागपुर में बेबीकिशन राठौर नाम की महिला चमत्कार के दावे करती थी। दावा था कि वो चमत्कार से फूल, प्रसाद और ताबीज उपलब्ध कराती है। हमने चैलेंज किया कि यदि चमत्कार सिद्ध हुआ तो एक लाख रुपए नकद देंगे। उसके पति ने चैलेंज स्वीकार किया और पत्नी को बुलाया। 5 हजार लोग जुटे थे वहां। हमने सबसे पहले बेबीकिशन का एक्सरे करवाया तो पता चला कि उसने मुंह में फूल छिपा रखे हैं। हमारी महिलाकर्मियों ने उसकी तलाशी ली तो उसके कपड़ों से ताबीज मिले। फिर भी वो मंच पर पहुंची। हालांकि मंच पर पहुंचकर सिर्फ यही बोल पाई कि 4 बजे की आरती में सब खत्म हो गया। इसके बाद उसके चमत्कार हमेशा के लिए खत्म हो गए।
4 विदेशी मिशनरी को पहली बार जेल जाना पड़ा
5 मिशनरी नागपुर में आए थे। चंगाई सभा करते थे। अंधा देखने लगता है, बहरा सुनने लगता है। ऐसे चमत्कार का दावा करते थे। तब तक 1986 में हमें ड्रग एंड रेमेडीज एक्ट मिल गया था। उसका उपयोग करना हमने शुरू किया। उसी कानून के तहत इन्हीं 5 मिशनरी के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई। दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ कि 4 विदेशी मिशनरी को अरेस्ट किया गया।
5 पैसे का पत्थर 20 रुपए में बेचने वाले पटवर्धन को भेजा था जेल
रत्न वाले पत्थर बेचने वाले बोलका पटवर्धन का भी बड़ा बोलबाला था। गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में बड़ा कारोबार था। अखबारों में पूरे के पूरे पन्ने में उसके विज्ञापन होते थे। उसे चैलेंज किया था नागपुर आने का। हमने पहले पत्थर बेचे। जो पत्थर वाले रत्न वो 20 रुपए में बेचता था। हम 20 पैसे में बेचते थे।
एक पत्थर 5 पैसे में मिलता था। खंबात से हमने पत्थर मंगाए थे। फिर हमारे ज्ञान में आया कि इससे तो अंधविश्वास और बढ़ेगा। हमारे वकील मित्र के साथ डीसीपी विजय कांबले के पास गए। कांबले लॉ ग्रेजुएट थे। शनिवार की शाम को 5 बजे उसे गिरफ्तार किया गया, ताकि दो दिन जमानत न मिल सके।
गुलाब बाबा के लाखों अनुयायी थे, लेकिन पोल खुल गई
महाराष्ट्र में अपने चमत्कारों के लिए पहचाने जाने वाले गुलाब बाबा के लाखों अनुयायी उनको सुनने आते थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे शंकरराव चव्हाण भी उनके अनुयायी थे। मुख्यमंत्री उनके भक्त थे, तो सारे मंत्री और अफसर भी उनके दरबार में पहुंचते थे। इसी नागपुर में उनके चमत्कारों को भी चैलेंज किया गया, फिर वे भी चमत्कार भूल गए।
विवेकानंद का अवतार बताने वाले शुभदास भी एक्सपोज हुए
शुभदास महाराज को विवेकानंद का अवतार कहा जाता था। सरकार के बड़े-बड़े मंत्री उनके दरबार में माथा टेकने आते थे। वे सिर्फ चौथी क्लास पास थे, लेकिन दवाओं के बारे में मेडिसिन के प्रोफेसर को वे सलाह देते थे। हमने उन्हें बहुत बुरी तरह एक्सपोज किया। दुनिया में हम ऐसा बोलने वाले पहले लोग थे। शुरुआत में उनका खूब नाम चला, लेकिन उन्हें भी हमने एक्सपोज किया।
बागेश्वर 'सरकार' को श्याम मानव ने ठग कहा
बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को ठग कहने वाले श्याम मानव की भी इन दिनों खूब चर्चा हो रही है। अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति से जुड़े श्याम मानव ने ही महाराष्ट्र में जादू टोना के खिलाफ 2013 में कानून बनवाया था। उन्होंने बागेश्वर सरकार के दिव्य दरबार में हो रहे कथित चमत्कारों को ठगी कहते हुए इसी कानून के तहत शिकायत की है, लेकिन 200 से ज्यादा बाबाओं का भांडाफोड़ कर चुके श्याम की शिकायत पर इस बार महाराष्ट्र सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया।
बागेश्वर सरकार ने स्वीकारा नागपुर की समिति का चैलेंज
बागेश्वर धाम के कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने नागपुर की समिति की चुनौती को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने समिति के 30 लाख रुपए के ऑफर को भी ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि वे फ्री में ही उनके सभी सवालों के जवाब देंगे। बस इसके लिए समिति के सदस्यों को रायपुर में 20 और 21 जनवरी को होने वाले दरबार में पहुंचना होगा। उनके आने-जाने का खर्च भी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने देने को कहा है। हालांकि समिति के प्रो. श्याम मानव ने रायपुर आने से इनकार कर दिया है।
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