संजय सक्सेना
मध्यप्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से युवाओं का प्रतिशत लगातार कम होता जा रहा है। यहां कांग्रेस की कमान अधिकांश बुजुर्गों के हाथों में ही रही है। यह बात और है कि बीच में कभी-कभार किसी युवा को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया, लेकिन तब भी उसका रिमोट कंट्रोल बुजुर्ग नेताओं के हाथों में ही रहा। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस साठ साल से ऊपर के नेताओं की मुट्ठी में है। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी। चाहे पीसीसी के पद हों या जिलों की कमान, या फिर टिकट वितरण, इन नेताओं के हिसाब से ही नब्बे प्रतिशत टिकट बांटे जाते हैं। ये परस्पर विरोधी दिखते हैं, लेकिन वितरण एक टेबल पर बैठकर ही करते हैं।
अब जबकि कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र के नेताओं को देने की बात कही है, मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा नेताओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यहां के युवा नेताओं ने दिल्ली दरबार के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। खडग़े की घोषणा यदि एआईसीसी की टीम बनाने के क्राइटेरिया में तब्दील हुई, तो मध्यप्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं को जगह मिल सकती है।
मप्र कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी अध्यक्ष पद के चुनाव में सक्रिय रहे। अध्यक्ष के दावेदारों अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह से लेकर मुख्य उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खडग़े से जीतू चुनाव के दौरान मिले। इसके बाद खडग़े के शपथ ग्रहण समारोह में भी जीतू शामिल हुए। इसके बाद जीतू खास दोस्त और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने पहुंचे। जीतू ने तीन दिन तक राहुल के साथ कदमताल कर पदयात्रा की। जीतू की राष्ट्रीय नेताओं के साथ बढ़ी सक्रियता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खडग़े की नई टीम में पटवारी को पद से नवाजा जा सकता है।
पिछड़े वर्ग के नेताओं की लंबी लाइन
मप्र के पिछड़े वर्ग के नेताओं को नई टीम में जगह मिल सकती है। यहां इनकी काफी लंबी लाइन है। इनमें पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, जीतू पटवारी, सचिन यादव शामिल हैं। 43 साल के महेश परमार उज्जैन जिले की तराना से विधायक हैं। 40 साल के कुणाल शाजापुर जिले की कालापीपल से विधायक हैं। 43 साल के विशाल पटेल इंदौर जिले की देपालपुर से विधायक हैं। मनोज चावला रतलाम जिले की आलोट से विधायक हैं। 50 साल के रविन्द्र तोमर मुरैना जिले की दिमनी से 2020 के उपचुनाव में विधायक बने थे। सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह भी लाइन में हैं, लेकिन पिछले दिनों एक ट्रेन में उनके द्वारा महिला से किए गए कथित अभद्र व्यवहार के चलते उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आधा दर्जन युवा महिलाएं भी दावेदार हैं, जिनमें दो तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं।
आदिवासी युवा नेताओं की उम्मीद
15 साल बाद 2018 में प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी में आदिवासी वर्ग का बड़ा योगदान था। 47 सीटों में से कांग्रेस को करीब 30 सीटें मिली थीं। अब कांग्रेस अगले साल के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आदिवासी वर्ग को साधे रखना चाहती है, लेकिन आदिवासी वर्ग के युवाओं का जयस संगठन के प्रति बढ़ता आकर्षण चुनौती बन सकता है। लिहाजा, ्रढ्ढष्टष्ट की नई टीम में जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा को शामिल कर आदिवासी युवा नेताओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा, पूर्व डिप्टी सीएम जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंघार, सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, हिना कांवरे, विक्रांत भूरिया, डॉ. अशोक मर्सकोले, पांचीलाल मेड़ा की भी उम्मीदें बढ़ी हंै।
अब जबकि कांग्रेस के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े ने 50 प्रतिशत पद 50 साल से कम उम्र के नेताओं को देने की बात कही है, मध्यप्रदेश में कांग्रेस के युवा नेताओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। यहां के युवा नेताओं ने दिल्ली दरबार के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं। खडग़े की घोषणा यदि एआईसीसी की टीम बनाने के क्राइटेरिया में तब्दील हुई, तो मध्यप्रदेश कांग्रेस के कई नेताओं को जगह मिल सकती है।
मप्र कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक जीतू पटवारी अध्यक्ष पद के चुनाव में सक्रिय रहे। अध्यक्ष के दावेदारों अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह से लेकर मुख्य उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खडग़े से जीतू चुनाव के दौरान मिले। इसके बाद खडग़े के शपथ ग्रहण समारोह में भी जीतू शामिल हुए। इसके बाद जीतू खास दोस्त और कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने पहुंचे। जीतू ने तीन दिन तक राहुल के साथ कदमताल कर पदयात्रा की। जीतू की राष्ट्रीय नेताओं के साथ बढ़ी सक्रियता से अंदाजा लगाया जा सकता है कि खडग़े की नई टीम में पटवारी को पद से नवाजा जा सकता है।
पिछड़े वर्ग के नेताओं की लंबी लाइन
मप्र के पिछड़े वर्ग के नेताओं को नई टीम में जगह मिल सकती है। यहां इनकी काफी लंबी लाइन है। इनमें पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल, जीतू पटवारी, सचिन यादव शामिल हैं। 43 साल के महेश परमार उज्जैन जिले की तराना से विधायक हैं। 40 साल के कुणाल शाजापुर जिले की कालापीपल से विधायक हैं। 43 साल के विशाल पटेल इंदौर जिले की देपालपुर से विधायक हैं। मनोज चावला रतलाम जिले की आलोट से विधायक हैं। 50 साल के रविन्द्र तोमर मुरैना जिले की दिमनी से 2020 के उपचुनाव में विधायक बने थे। सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाह भी लाइन में हैं, लेकिन पिछले दिनों एक ट्रेन में उनके द्वारा महिला से किए गए कथित अभद्र व्यवहार के चलते उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आधा दर्जन युवा महिलाएं भी दावेदार हैं, जिनमें दो तो राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हैं।
आदिवासी युवा नेताओं की उम्मीद
15 साल बाद 2018 में प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी में आदिवासी वर्ग का बड़ा योगदान था। 47 सीटों में से कांग्रेस को करीब 30 सीटें मिली थीं। अब कांग्रेस अगले साल के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आदिवासी वर्ग को साधे रखना चाहती है, लेकिन आदिवासी वर्ग के युवाओं का जयस संगठन के प्रति बढ़ता आकर्षण चुनौती बन सकता है। लिहाजा, ्रढ्ढष्टष्ट की नई टीम में जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा को शामिल कर आदिवासी युवा नेताओं की भागीदारी बढ़ाई जा सकती है। इसके अलावा, पूर्व डिप्टी सीएम जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंघार, सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, हिना कांवरे, विक्रांत भूरिया, डॉ. अशोक मर्सकोले, पांचीलाल मेड़ा की भी उम्मीदें बढ़ी हंै।
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