मोदी और शाह पर भारी पड़ते शिवराज..! आखिर क्यों बार बार आ रहे अमित शाह…?

भोपाल। खबरें कुछ भी चलें, चलाई जाएं, लेकिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी क्षमताओं और अपने राजनीतिक कौशल से पीएम नरेंद्र मोदी एवम अमित शाह को नचा दिया है। अमित शाह ना तो सीएम बदल पाए और ना ही प्रदेश अध्यक्ष को हटा सके। हालात ये हो गए हैं कि एमपी के चुनाव के लिए अमित शाह को बार बार मध्य प्रदेश की दौड़ लगानी पड़ रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया खुद पछता रहे हैं कि क्यों उन्होंने शिवराज को सीएम बनाने की सहमति दे दी?
एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपनी राजनीतिक काबिलियत साबित कर दी। चुनाव हारने के बाद फिर से सीएम बनने का रिकॉर्ड शिवराज के नाम ही है। सरकार सिंधिया ने बनवाई और आज सिंधिया ही विस्थापितों को तरह अपने अस्तित्व की तलाश में घूमते नजर आ रहे हैं। जिन सिंधिया के विधायकों के कारण सरकार बनी, उन्हें आज बीजेपी में जगह नहीं मिला पा रही। उन्हें टिकट ले लाले पड़ रहे हैं।
गुजरात चुनाव के बाद से ही बीजेपी में चर्चाओं का दौर चल निकला था कि मध्य प्रदेश में भी चुनाव पूर्व गुजरात मॉडल लागू होगा।यानी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष दोनो ही बदले जाएंगे। लेकिन सीएम तो ठीक, प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी वीडी शर्मा को हाई कमान नही हटा सका। पीएम और शाह के पास एमपी में भयंकर एंटी इनकंबेंसी होने की सूचनाएं आज भी आ रही हैं, लेकिन वो निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। अब स्थिति ये हो गई है कि अमित शाह ने एमपी की कमान कथित तौर पर अपने हाथ में ले।ली है। पर चुनाव प्रबंध समिति का अध्यक्ष सीएम की पसंद से ही नरेंद्र तोमर को बनाना पड़ा। सिंधिया और प्रह्लाद पटेल अभी तक किसी भूमिकाएं नजर नहीं आए, क्योंकि यही शिवराज की मर्जी है। अब अमित शाह बार बार आ रहे हैं , बस माहोल बनाने के लिए, यही चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही है। अमित शाह ने अपनी पसंद के भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव को एमपी का प्रभारी, सह प्रभारी बना कर तैनात कर दिया, फिर भी खुद शाह की आन पड़ रहा है, इसके राजनीतिक अर्थ सभी समझते हैं। सीएम शिवराज अपने हिसाब से ही चल रहे हैं, चलते रहेंगे।