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ED निदेशक संजय मिश्रा के मामले में केंद्र को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल, पूछा – क्या एक ही अधिकारी काबिल है?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के निदेशक संजय मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ा दिया है. कोर्ट ने साफ किया कि इसके बाद उनके सेवा विस्तार का कोई आवेदन स्वीकार नहीं होगा।

इससे पहले कोर्ट ने उन्हें 31 जुलाई को पद से हटने के लिए कहा था, लेकिन केंद्र सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय एफएटीएफ (FATF) रिव्यू का हवाला देते हुए उन्हें 15 अक्टूबर तक पद पर बनाए रखने का अनुरोध किया था.


केंद्र सरकार ने क्या कहा?
केंद्र सरकार ने नया आवेदन दाखिल कर कहा था कि दुनिया भर में आर्थिक अपराध और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर निगरानी रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ (फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स) को इस साल भारत में मनी लॉन्ड्रिंग अपराध की जांच की वर्तमान व्यवस्था का मूल्यांकन करने वाली है।

एफएटीएफ की टीम नवंबर में इसके लिए भारत का दौरा करेगी. संजय कुमार मिश्रा ने 2020 से ही इससे जुड़ी तैयारियों की कमान संभाल रखी है. इस अहम मौके पर उनको पद से हटाना उचित नहीं होगा। केंद्र की तरफ से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और एडिशनल सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने दलीलें रखीं. उन्होंने बताया कि एफएटीएफ रिव्यू का सीधा असर देश की क्रेडिट रैंकिंग पर भी पड़ता है. ऐसे में ईडी के काम में निरंतरता बनाए रखना देशहित में है।

क्या एक ही अधिकारी काबिल है?’
मामले के मुख्य याचिकाकर्ताओं के लिए पेश अभिषेक मनु सिंघवी और प्रशांत भूषण ने केंद्र की मांग का कड़ा विरोध किया. जजों ने भी सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या ईडी में बाकी अधिकारी अयोग्य हैं? सिर्फ एक ही व्यक्ति काम करने में सक्षम है? तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि बाकी अधिकारी योग्य नहीं है, लेकिन एक असाधारण स्थिति के चलते देशहित में सरकार सुप्रीम कोर्ट आई है।

कोर्ट ने बदला आदेश
आखिरकार जस्टिस बी आर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की बेंच ने केंद्र का अनुरोध मान लिया. हालांकि, कोर्ट ने मिश्रा को 15 अक्टूबर की बजाय 15 सितंबर तक ही पद पर बनाए रखने की अनुमति दी। जजों ने साफ किया कि वह देशहित की दलील के चलते यह मोहलत दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद कोई आवेदन नहीं सुना जाएगा. 15 सितंबर की आधी रात से संजय कुमार मिश्रा ईडी निदेशक नहीं रहेंगे. पहले 31 जुलाई तक ही पद पर रहने की दी थी इजाज़त।

11 जुलाई को सीबीआई से जुड़े दिल्ली पुलिस स्पेशल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट और ईडी से जुड़े सीवीसी एक्ट में बदलाव को सही करार दिया था. इन कानूनों में सरकार को यह शक्ति दी गई है कि वह ईडी और सीबीआई के निदेशकों का कार्यकाल 5 साल तक कर सकती है, लेकिन जजों ने मौजूदा ईडी निदेशक को और अधिक समय तक पद पर बने रहने की अनुमति देने से मना कर दिया था।

कोर्ट ने कहा था, “हमने 2021 में ही आदेश दिया था कि मिश्रा का कार्यकाल आगे न बढाया जाए. फिर भी कानून लाकर उसे बढाया गया. उनका कार्यकाल बढाने के आदेश इस लिहाज से अवैध थे. वह 31 जुलाई तक अपने पद पर रह सकते हैं. इस दौरान केंद्र सरकार नए निदेशक का चयन कर ले.”

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