MP : नर्मदापुरम जिले में गधों की संख्या सबसे,अधिक, छतरपुर में खच्चर ज्यादा…

भोपाल। मध्य प्रदेश में नर्मदापुरम जिले में गधों की संख्या सबसे अधिक है, जबकि छतरपुर में खच्चर और सूअर अधिक हैं। उज्जैन में घोड़ों की तादाद सबसे ज्यादा है। ये संख्या प्रदेश में हर 5 साल में कराई जाने वाली पशुओं की गणना की रिपोर्ट के हैं। पशु गणना पिछले साल 25 अक्टूबर से शुरू हुई थी। पशु गणना के आंकड़ों के मुताबिक पूरे प्रदेश में 3 करोड़ 75 लाख 92 हजार 771 पशु हैं। धार जिला गोवंश और बकरियों के मामले में पहले नंबर पर है। भैंस वंशीय पशुओं में मुरैना जिला टॉप पर है। शिवपुरी जिले में भेडे़ सबसे ज्यादा हैं। टीकमगढ़ में टट्‌टू अधिक हैं।
सीएम के गृह जिले में सबसे ज्यादा घोड़े
जानवरों की गिनती में पता चला है कि सीएम डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में सबसे ज्यादा 618 घोडे़ हैं। दूसरे नंबर पर छतरपुर में 592, मंदसौर में 513, इंदौर में 491 और सागर जिले में 411 घोड़े हैं। सबसे कम मात्रा में घोडे़ उमरिया जिले में मिले हैं। मऊगंज में 10, सिंगरौली में 12, शहडोल में 13 और अनूपपुर में मात्र 14 घोडे़ मिले हैं।
मुरैना में सबसे ज्यादा भैंस वंशीय जानवर
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि मंत्री एदल सिंह कंसाना के गृह जिले मुरैना में सबसे ज्यादा भैंस वंशीय जानवर मिले हैं। मुरैना जिले में सबसे ज्यादा 6,86,079 भैंस वंशीय जानवर मिले हैं।
दूसरे नंबर पर शिवपुरी में 4 लाख 77 हजार 351, राजगढ़ में 4 लाख 74 हजार 404, भिंड में 3 लाख 86 हजार 231 और छतरपुर जिले में 3 लाख 52 हजार 342 भैंस वंशीय पशु पाए गए हैं।
सबसे कम 12715 भैंस वंशीय जानवर पांढुर्णा जिले में मिले हैं। बुरहानपुर में 34567, उमरिया में 58867, मऊगंज में 63324, अनूपपुर जिले में 67675 भैंसवंशीय पशु मिले हैं।
9 जिलों में एक भी गधा नहीं
मध्य प्रदेश में 3052 गधे मिले हैं। इनमें सबसे ज्यादा 335 नर्मदापुरम जिले में हैं। दूसरे नंबर पर छतरपुर में 232, मुरैना में 228, दतिया में 183 और श्योपुर में 176 गधे मिले हैं। 9 जिले ऐसे हैं जहां एक भी गधा नहीं मिला। अनुपपुर, बालाघाट, दमोह, डिंडोरी, हरदा, मंडला, निवाड़ी, सिवनी और उमरिया में घोड़ों की संख्या शून्य है।
सबसे ज्यादा सुअर छतरपुर में, झाबुआ में मात्र 4 मिले
पशु गणना में ये पता चला है कि सबसे ज्यादा सुअर छतरपुर जिले में हैं। छतरपुर में 9113, सीधी में 6880, रीवा में 6468, डिंडोरी में 4599, राजगढ़ में 4279 सुअर हैं। सबसे कम सुअरों वाले जिलों में झाबुआ सबसे अच्छा जिला है। झाबुआ जिले में मात्र 4 सुअर मिले हैं। बुरहानपुर में 29, आलीराजपुर में 38, पांढुर्णा में 161, और निवाड़ी में मात्र 169 सुअर मिले हैं।
सबसे कम गाय बैल जैसे गोवंश वाले जिलों में भोपाल
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का गृह जिला धार गौ वंशीय पशुओं के मामले में सबसे आगे है। धार जिले में सर्वाधिक 652253 गोवंश मिला है। दूसरे नंबर पर सागर में 562282, खरगोन में 501941, बालाघाट में 498971 और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के गृह जिले बैतूल में 495188 गोवंश मिला है। गाय, बैल जैसे गौवंश की सबसे कम संख्या वाले जिलों में निवाड़ी जिले का नाम आता है। निवाड़ी जिले में 52657, दतिया में 77998, भोपाल में 81777, पांढुर्णा में 93701 और बुरहानपुर में 105109 गोवंश मिला है।
शिवपुरी में सबसे ज्यादा भेड़ें
शिवपुरी जिले में सबसे ज्यादा भेड़ें मिलीं हैं। शिवपुरी में 53962, टीकमगढ़ में 28899, खरगोन में 27584, धार में 27342 और इंदौर में 25049 भेड़ें मिली हैं। सबसे कम भेड़ की आबादी वाले जिलों में अनूपपुर जिले में मात्र 4 भेड मिली हैं। सिवनी में 22, बालाघाट में 52, मंडला में 90, डिंडोरी जिले में मात्र 230 भेड़ मिली हैं।
सबसे कम बकरी भोपाल में
एमपी में सबसे ज्यादा बकरियां धार जिले में मिली हैं। और सबसे कम बकरियां राजधानी भोपाल में मिली हैं। धार जिले में 729356, आलीराजपुर में 609695, बड़वानी में 445367, झाबुआ में 439066 और छतरपुर में 404306 बकरियां मिली हैं। सबसे कम मात्र 41185 बकरियां भोपाल में मिली हैं। पांढुर्णा में 66411, मऊगंज में 76128, हरदा में 80168, डिंडोरी में 82262 बकरियां मिली हैं।
टीकमगढ़ टट्‌टुओं वाला जिला
एमपी में कुल 216 टट्‌टू मिले हैं। टीकमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 54 टट्‌टू मिले हैं। दूसरे नंबर पर नरसिंहपुर में 18, खरगोन में 16, ग्वालियर में 14, शहडोल में 14 टट्‌टू मिले हैं। 33 जिले ऐसे हैं जहां टट्‌टुओं की संख्या शून्य है।
खच्चरों में छतरपुर टॉप पर, 26 जिलों में एक भी नहीं
एमपी में कुल 972 खच्चर मिले हैं। छतरपुर जिले में सबसे ज्यादा 409, ग्वालियर में 168, भिंड में 102, पन्ना में 62, मुरैना में 57 खच्चर मिले हैं। वहीं 26 जिले ऐसे हैं जहां खच्चरों की संख्या शून्य है।
2896 ऊंट, सबसे ज्यादा नीमच में
पशु गणना के दौरान एमपी में 2896 ऊंट मिले हैं। सबसे ज्यादा 332 ऊंट नीमच जिले में मिले हैं। विदिशा में 312, इंदौर में 297, खरगोन में 248 और उज्जैन में 232 ऊंट मिले हैं। 23 जिले ऐसे हैं जहां ऊंटों की संख्या शून्य है। टीकमगढ़,रीवा, नरसिंहपुर में एक-एक, मंडला, रायसेन, जबलपुर में दो-दो, पांढुर्णा में तीन, गुना में चार, श्योपुर में आठ, छतरपुर, भोपाल में नौ, सीहोर में मात्र दस ऊंट मिले हैं।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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