MP: महाकाल में आग…प्रशासन ने माना कपूर पर गुलाल फेंकने से भड़की आग, ढाई क्विंटल गुलाल कौन लाया..?

उज्जैन। महाकालेश्वर मंदिर में आज सुबह 5.49 बजे भस्म आरती के दौरान गर्भगृह में आग कपूर आरती पर गुलाल फेंकने के कारण आग भड़की थी। कलेक्टर नीरज सिंह ने इसकी पुष्टि की। लेकिन ढाई क्विंटल गुलाल कौन लाया? और क्या पहली बार गुलाल फैंका गया? इससे पहले कभी ऐसी घटना क्यों नहीं हुई..?

और भी ऐसे कई सवाल हैं, जो महाकाल मंदिर में लगी आग से उठ रहे हैं। ये मुद्दे सामने आ रहे हैं…
• मंदिर के गर्भगृह में बड़ी मात्रा में गुलाल उड़ाया जा रहा था। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था, जबकि गर्भगृह निरीक्षक और सहायक प्रशासक वहीं मौजूद थे।
• महाकाल मंदिर समिति ने सुप्रीम कोर्ट को मंदिर के गर्भगृह में हर्बल गुलाल के उपयोग करने का सुझाव दिया था। इसके बाद भी स्प्रे गुलाल और केमिकल रंग कैसे उपयोग होता रहा?
• बड़ी संख्या में भक्त मौजूद थे। सभी को गुलाल उड़ाने के लिए किस पंडे-पुजारी ने दिया, इसकी भी जांच होनी चाहिए।
दावा है कि कपूर आरती के समय गर्भगृह में किसी ने गुलाल संजय पुजारी के ऊपर फेंका, जिससे आग भड़क गई। आखिर वो कौन है, जिसने गुलाल फेंका।
• होली के लिए मंदिर में ढाई क्विंटल गुलाल लाया गया। ये गुलाल हर्बल था या केमिकल युक्त, इसकी जांच क्यों नहीं की गई?
गुलाल के सफेद केमिकल ने पकड़ी आग
घटना के वक्त गर्भगृह में मौजूद पुजारी के सेवक ने बताया, ‘मैं गर्भगृह में था। कपूर आरती खत्म होने वाले थी। उस दौरान किसी ने गुलाल डाला, जिससे वहां आग लग गई। गर्भगृह में मौजूद कई लोग झुलस गए। इसके बाद चांदी को बचाने के लिए आसपास लगे पर्दों में आग लग गई। मैं पार्वती माता जी के यहां खड़ा था। बहुत ज्यादा गुलाल उड़ रहा था, इसलिए पंप देख नहीं पाया। गुलाल में सफेद केमिकल होता है, उसने आग पकड़ ली।’
स्प्रे से गुलाल उड़ाया जा रहा था…
छत्तीसगढ़ के रायपुर से आई एक महिला भक्त का कहना था, ‘आरती शुरू होने के कुछ देर पहले ही पंडों ने गुलाल के पैकेट बांटने शुरू कर दिए थे। सब कुछ ठीक चल रहा था। चारों ओर सिर्फ शिव नाम की गूंज सुनाई दे रही थी। 5 बजकर 27 मिनट पर आरती शुरू होते ही लोगों ने गुलाल उड़ाना शुरू कर दिया। कुछ ही सेकेंड में पूरा दरबार रंग गया। इस कदर गुलाल छा गया कि कुछ भी स्पष्ट नहीं दिख रहा था। सिक्योरिटी में मौजूद लोग कपाट बंद करने लगे। मालूम हुआ कि आग लगी है। इसके बाद हम भी निकास द्वार की ओर भागे।
सुप्रीम कोर्ट के सुझावों का क्या हुआ?
साल 2013 में शिवलिंग क्षरण को लेकर उज्जैन की सारिका गुरु ने याचिका लगाई थी। इसके बाद मंदिर समिति ने सुप्रीम कोर्ट के सामने क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव रखे थे। बताया गया कि मंदिर में सिर्फ हर्बल गुलाल का उपयोग किया जाएगा, वो भी सीमित मात्रा में। हालांकि समय के साथ सभी नियम शिथिल हो गए। पिछले दो-तीन साल से मंदिर में बिना जांच के रंग और गुलाल आने लगा। इसका उपयोग होली पर गर्भगृह में भी होने लगा।