Madhya Pradesh भाजपा के सत्ता और संगठन में आमूलचूल परिवर्तन जरूरी है…

संजीव आचार्य
दो दशक से ज्यादा मध्यप्रदेश में सत्तासीन भाजपा, सरकार और संगठन, दोनों स्तर पर पिछले कुछ वर्षों से नियंत्रण खोती जा रही है l पार्टी नैतिकता, शुचिता और अनुशासन का ढोल पीटती आ रही है l जबकि हकीकत इसके जिम्मेदार (? ) नेता अपने बयानो और आचरण से खुद ही दुनिया के सामने रख रहे हैं l
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गृह, खनन, वन सहित कई विभाग अपने पास रखे हुए हैं l क्यों? क्या उन्होंने डीजीपी के साथ राज्य की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को लेकर एक भी बैठक की है? अवैध खनन रोकने के लिये कोई ठोस उपाय किये?
दरअसल सच्चाई यह है की यादव तीन चार आईएस अधिकारीयों के  चुंगल में फंस कर उनके नियोजित खेल में उलझ गये हैं l
ये अधिकारी उनको हर दिन किसी उद्घाटन, शिलान्यास, मेले, झमेले के नाम पर राजधानी से दूर रखते हैं l जिससे कि किसी मुद्दे पर कोई बैठक हो ही न! जहां तक अधिकारीयों की जिम्मेदारी की, परफॉर्मेंस की बात है, कौन करेगा?
कहने को, बहुत चर्चा चली कि मोदी जी ने अंकुश रखने के लिये अनुराग जैन को चीफ सेकरेट्री बना कर भेजा है l लेकिन वल्लभ भवन से यही खबरें मिल रही है कि राजेश राजौरा ही मुख्यमंत्री कार्यालय से सरकार चला रहे हैं l
मुख्यमंत्री के परिजनों के सरकार में खुले हस्तक्षेप को लेकर विपक्ष सार्वजनिक मंच से गंभीर आरोप लगा रहा है l
शराब के ठेकों से लगाकर जमीनों के खेल तक की चर्चाएं इंदौर, झाबुआ-अलीराजपुर से ग्वालियर तक चौराहों-चौपालों तक हो रही है l
सत्ताधारी मंत्री बेलगाम हैं l दो -तीन मुख्यमंत्री से वरिष्ठ नेता मुख्यमंत्री को ही केबिनेट की बैठक से लेकर मिडिया के सामने तक, खरी खोटी सुनाने से चूक नहीं रहे हैं l
कुल मिलाकर, मध्यप्रदेश में सत्ता साकेत में फ्री फॉर आल चल रहा है l केंद्रीय संगठन प्रभारी भी सत्ता की चाशनी से चिपकते दीख रहे हैं l नेताओं -कार्यकर्ताओं को कसने के बजाय सेटिंग बैठाने में लगे हैं l प्रमाण के लिये लखनऊ वाले प्रभारी की फेसबुक वॉल पर पिछले साल भर की पोस्ट देख लो, खुद समझ आ जायेगा वो किस दिशा में सक्रिय हैं l
ये सब देखकर जनता नाराज और इनके अपने कुनबे के उपेक्षित कार्यकर्ताओं की हताशा एफ एम चैनल की तरह चारों तरफ ओटलों पर रेडियो की तरह बज रही हैं l

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