Loksabha election: स्मृति ईरानी को चुनौती देने आएंगे राहुल गांधी? संशय बरकरार…

अमेठी। देश में आम चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां सबकी निगाहें हैं. ऐसी ही एक वीवीआईपी सीट है यूपी की अमेठी. वही अमेठी जहां से राहुल गांधी ने चुनावी राजनीति की शुरुआत की. पिछला चुनाव राहुल गांधी हार गए. ऐसे में इस बार सबको इंतज़ार है ये जानने का कि क्या राहुल गांधी एक बार फिर स्मृति ईरानी के सामने दिखेंगे या अमेठी छोड़कर सिर्फ वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगे?
अमेठी से नेहरू-गांधी परिवार के कई नेताओं ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की है. राहुल गांधी ने भी और उनके पिता राजीव गांधी ने भी. 2019 में स्मृति ईरानी ने यहां राहुल गांधी को हरा दिया. अब इस बार सवाल ये उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी फिर अमेठी लौटेंगे?

अमेठी सीट 1967 में अस्तित्व में आई. इसके बाद यहां की जनता ने बड़े बड़ों को हराया भी और जिताया भी. इस सीट से चुनाव हारने वालों में संजय गांधी, मेनका गांधी, शरद यादव, राजमोहन गांधी, कांशीराम, सतीश शर्मा, संजय सिंह, स्मृति इरानी, कुमार विश्वास और राहुल गांधी भी शामिल हैं. वहीं इस सीट से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी चुनाव जीते, लेकिन 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर यहां का राजनैतिक समीकरण बदल दिया।
राहुल गांधी अमेठी से 3 बार सांसद रहे, लेकिन 2019 में वो चुनाव हार गए. इस बार फिर से राहुल गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगे, इसकी घोषणा हो चुकी है, लेकिन अमेठी को लेकर अभी भी संशय बना हुआ है. इसी संशय की वजह से अमेठी के कांग्रेस दफ़्तर में भी सन्नाटा पसरा हुआ है. सभी कमरों में ताला लगा है, लेकिन कार्यकर्ता से लेकर समर्थकों तक में ये उम्मीद है कि यहां से राहुल गांधी के नाम का ऐलान जल्द होगा।
गांधी परिवार का अमेठी से पांच दशक पुराना नाता है. संजय गांधी और राजीव गांधी के दौर में अमेठी में कुछ बड़ी और छोटी इंडस्ट्रीज़ स्थापित की गईं. भेल और एचएएल जैसी बड़ी इंडस्ट्रीज़ यहां लगाई गईं, वहीं रोज़गार देने के लिए कुछ छोटी इंडस्ट्रीज़ भी लगीं. इन्हीं में से एक है अमेठी की कम्बल फैक्ट्री. ये कम्बल फैक्ट्री 1988 में स्थापित हुई, लेकिन वक्त के साथ इसकी हालत खराब होती गई. हाल ये है कि आज यहां सिर्फ 2 कर्मचारी काम कर रहे हैं. यहां रोज़गार भी बड़ा मुद्दा है।
वीवीआईपी ज़िला होने के बावजूद अमेठी की कई ऐसी बुनियादी दिक्कतें हैं, जिनकी शिकायत यहां रहने वाले लोग अक्सर करते हैं. इसमें टूटी और पतली सड़कें, शहर का जाम, बेरोजगारी, गंदगी या आवारा पशु, ये तमाम ऐसे मुद्दे हैं जिसकी शिकायत लोग नेताओं से अक्सर करते हैं, लेकिन संसद पहुंचने वाले कई बड़े नेताओं के यहां से चुने जाने के बाद भी कई काम हैं, जो पहले हो जाने चाहिए थे, लेकिन नहीं हो पाए।
जनता अपनी पसंद और नापसंद के हिसाब से बात करती है, लेकिन अभी सवाल ये उठता है कि स्मृति ईरानी के सामने कौन? क्या राहुल गांधी एक बार फिर अमेठी से चुनाव लड़ने आएंगे या फिर गांधी परिवार के बाहर से कोई चुनाव लड़ने आने वाला है? ये एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब अगले कुछ दिनों में मिल जाएगा, लेकिन अमेठी के लोगों में इस वक्त सबसे ज़्यादा कौतूहल इसी सवाल को लेकर दिखाई दे रहा है.