चंडीगढ़। ढाई करोड़ मामले में फंसे ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर विशालदीप और उसके भाई विकासदीप के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई ने 21 अगस्त को दोनों के खिलाफ प्राथमिक जांच शुरू कर दी थी और दोनों की एक मार्च 2024 से 31 मार्च 2024 तक की आय और खर्चों का पूरा रिकॉर्ड हासिल किया। इस दौरान पता चला कि दोनों ने इन नौ महीनों में मिलकर आय से 231.48 प्रतिशत अधिक संपत्ति बनाई। जिसके बाद अब दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया गया।
पिछले साल सीबीआई को हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपितों ने शिकायत दी थी। उनका कहना था कि ईडी शिमला में तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर विशालदीप उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाकर उनसे करोड़ों रुपये रिश्वत मांग रहा था। उनकी शिकायत पर सीबीआई ने विशालदीप को पकड़ने के लिए जाल बिछाया था।
यह ट्रैप 25 दिसंबर 2024 को पंचकूला और जीरकपुर में लगाया गया था, जहां विशालदीप तो हाथ नहीं आया था, लेकिन सीबीआई ने उसके भाई विकासदीप को गिरफ्तार कर लिया था। विकासदीप पंजाब नेशनल बैंक, नई दिल्ली में सीनियर मैनेजर था। कुछ दिनों बाद विशालदीप को पंचकूला पुलिस ने शिकायतकर्ताओं को धमकाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद सीबीआई ने भी उसे हिरासत में लिया। फिर दोनों भाइयों के खिलाफ सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति की भी जांच शुरू कर दी।
ऐसे बनाई आय से अधिक संपत्ति
सीबीआई ने एक मार्च 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक का उनका रिकार्ड हासिल किया। एक मार्च 2024 तक विशालदीप और विकासदीप के पास 9.20 लाख रुपये की संपत्ति थी। उस दिन तक विशालदीप के बैंक खाते में मात्र 64150 रुपये थे जबकि विकासदीप के अकाउंट में 501429 रुपये थे। फिर 31 मार्च तक दोनों की संपत्ति 9.20 लाख रुपये बढ़कर 44.44 लाख रुपये हो गई।
इस दौरान उन्हें 40.28 लाख रुपये इनकम हुई जिसमें विशालदीप की सेलरी 10.67 लाख और विकासदीप की 12.88 लाख थी। इसके अलावा उन्होंने एक प्रापर्टी भी बेची थी। फिर जब सीबीआई ने इनके नौ महीनों में हुए खर्चों का ब्यौरा निकाला तो वह 98.29 लाख रुपये निकला। यानी इन्हें सेलरी और अन्य स्त्रोतों से 40.28 लाख रुपये आय हुई और 98.29 लाख रुपये खर्चे हो गए। ऐसे में इनके पास आय से 231.48 प्रतिशत अधिक संपत्ति निकली।
रिश्वत मामले में आया था नाम
हिमाचल प्रदेश के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर विशालदीप के पास थी। वह तब शिमला में तैनात था। आरोप है कि उसने घोटाले में फंसे आरोपितों रजनीश बंसल और भूपेंद्र शर्मा से गिरफ्तारी का डर दिखाकर ढाई करोड़ रुपये रिश्वत मांगी। इन दोनों ने इस बारे में सीबीआई को शिकायत दे दी। दोनों को रिश्वत की रकम के साथ जीरकपुर और पंचकूला बुलाया गया।
सीबीआई की टीम भी वहां पहुंच गई। यहां विशालदीप तो फरार हो गया, लेकिन विकासदीप पकड़ा गया था। जांच के दौरान सीबीआई को पता चला था इस पूरे खेल का मास्टर माइंड तो सीबीआई का ही डीएसपी बलबीर शर्मा था। वह रिश्वत की रकम में से 10 प्रतिशत कमीशन मांग रहा था। ऐसे में सीबीआई ने डीएसपी बलबीर को भी गिरफ्तार कर लिया था। विशालदीप और बलबीर कई महीनों तक जेल में रहे और फिर दोनों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली।
