Editorial
एक प्रस्ताव से बदल सकते हैँ एशिया के समीकरण…

भारत में दुर्लभ खनिजों का भंडार तो है, लेकिन हम इनका सही उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। दूसरी तरफ चीन अपने भंडारों का न केवल व्यावसायिक उपयोग कर लेता है, अपितु उनके आधार पर देशों को चेतावनी देकर अपनी मनमानी थोपने में भी सक्षम है। लेकिन हाल ही में एक ऐसा प्रस्ताव सामने आया है, जिसमें चीन को झटका लग सकता है।
चीन ने इस साल की शुरुआत में परमानेंट मैग्नेट या रेयर अर्थ मैग्नेट की सप्लाई चेन ब्रेक करके दुनिया भर में हडक़ंप मचा दिया था। असल में, परमानेंट मैग्नेट अर्थात रेयर अर्थ मैग्नेट के बाजार में चीन का दुनिया के बाजार में एकाधिकार है और यह रेयर अर्थ मिनरल्स पर निर्भर है। चीन के पास दुनिया में सबसे ज्यादा रेयर अर्थ मिनरल्स का भी भंडार है। भारत के पास भी विश्व में इसका तीसरा सबसे बड़ा भंडार है, लेकिन इससे परमानेंट मैग्नेट बनाने की टेक्नोलॉजी हमारे पास नहीं है, यह हमारा नकारात्मक पहलू है।
अमेरिका और अन्य विकसित देश भी अब इसपर काम में जुटे हैं। इन परिस्थितियों में चीन के सबसे बड़े दुश्मन ताइवान ने भारत को खुला ऑफर दिया है। वह चाहता है कि भारत रेयर अर्थ मिनरल्स दे और बदले में सेमीकंडक्टर और उसकी अन्य टेक्नोलॉजी ले सकता है। यदि यह टेक्नालाजी भारत के पास आ जाए तो उसे काफी फायदा हो सकता है।
आज के जमाने में लगभग हर अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक चीजों के लिए सेमीकंडक्टर जरूरी है। चाहे कंप्यूटर हो या स्मार्टफोन या फिर एलईडी लाइट्स, सोलर पैनल और इलेक्ट्रिक कार से लेकर घरेलू इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद तक या फिर रक्षा निर्माण बिना सेमीकंडक्टर के मुश्किल है। नई दिल्ली में ताइवान एक्सपो 2025 के दौरान उसकी ओर से भारत को बहुत बड़ा संदेश मिला है, जो दोनों देशों के लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। ताइवान एक्सटर्नल ट्रेड डेवलपमेंट काउंसिल के डिप्टी डायरेक्टर केवन चेंग ने एक एजेंसी से कहा कि उनका देश हाई-टेक उद्योगों के लिए भारत से रेयर अर्थ मिनरल्स लेने के लिए बहुत ज्यादा इच्छुक है। उन्होंने कहा, हमारे पास उत्पाद बनाने के लिए टेक्नोलॉजी है, लेकिन हमें भारत से मिनरल्स चाहिए, ताकि हम साथ में काम कर सकें।
भारत में करीब 6.9 मिलियन मीट्रिक टन दुर्लभ खनिज के भंडार होने का अनुमान है। भारत से आगे सिर्फ चीन और ब्राजील जैसे मुल्क हैं। इंडिया ब्रैंड इक्विटी फाउंडेशन के मुताबिक भारत के बाद ऑस्ट्रेलिया, रूस, वियतनाम, अमेरिका और ग्रीनलैंड के पास इसका भंडार है। लेकिन, भारत इतने बड़े दुर्लभ खनिज भंडार होने के बावजूद इसे संशोधित करके उससे परमानेंट मैग्नेट या रेयर अर्थ मैग्नेट बनाने की तकनीक में अभी शुरुआती पायदान पर ही है। जबसे चीन ने टेंशन देना शुरू किया है, तब से भारत समेत दुनिया के कुछ और देशों को भी इसकी खामी महसूस हुई है।
भारत सरकार खनन मंत्रालय के माध्यम से क्रिटिकल मिनरल्स की सप्लाई चेन को दुरुस्त करने के लिए लगातार काम में जुटी हुई है। इसकी ग्लोबल वैल्यू चेन तैयार करने के लिए इसने मिनरल्स सिक्योरिटी पार्टनरशिप, इंडो पेसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क और इनिशिएटिव ऑन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के साथ भी तालमेल बिठा रहा है। साथ ही यह स्वदेशी कंपनियों को इंसेंटिव देकर भारत में ही ज्यादा से ज्यादा परमानेंट मैग्नेट बनाने की कोशिश में जुटा हुआ है। अभी इसमें बहुत अधिक सफलता नहीं मिली है, लेकिन शुरुआत हो गई है।
ताइवान ने भारत को एक और अच्छा ऑफर दिया है। इसके अनुसार सेमीकंडक्टर बनाने वाली ताइवानी कंपनियां भारत में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बना रही हैं। इसमें से एक पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्पोरेशन टाटा समूह के साथ मिलकर अगले साल से भारत में बड़े पैमाने पर चिप उत्पादन की दिशा में भी काम पर जुटी हुई है।
आज की तारीख में दुनिया में जितने सेमीकंडक्टर बनते हैं, उनमें से 60 प्रतिशत ताइवान ही बनाता है। लेकिन, अमेरिका से मिली टैरिफ की चुनौतियों को देखते हुए उसके लिए भारत बहुत ज्यादा महफूज लग रहा है, जिसकी घरेलू खपत भी बहुत ज्यादा है और साथ ही यहां न तो स्किल की कमी है और न ही टैलेंट का लोचा है। सामरिक नजरिए से भी भारत और ताइवान के बीच तालमेल दक्षिण एशिया की सामरिक राजनीति में नया अध्याय जोड़ सकता है।
जहां तक भारत की बात है तो इस क्षेत्र में हर प्रगति उसकी स्वच्छ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। दूसरी तरफ ताइवान के लिए अपनी सप्लाई चेन को भविष्य में बनाए रखने के लिए एक बड़ा बाजार मिल रहा है। देखा जाए तो यह प्रस्ताव न केवल दोनों देशों के लिए आर्थिक रूप से फायदे का सौदा रहेगा, अपितु एशिया की राजनीति में भी इसके दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं। भारत तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की जो कहानी लिख रहा है, एक कड़ी यह भी उसमें जुड़ जाएगी। इससे कम से कम हम अपने खनिज भंडारों का उपयोग कर उसका अधिकतम लाभ उठा पाएंगे। 

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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