cosmic void research: एक विशाल स्पेस बबल में फंसी है धरती, वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा..

Indranil Banik cosmic void research: क्या आपने कभी सोचा है कि इंसानों को अब तक एलियंस क्यों नहीं मिले? अरबों तारे और आकाशगंगाएं होने के बावजूद हम अकेले क्यों लगते हैं? अब वैज्ञानिकों ने इसका चौंकाने वाला कारण बताया है…संभव है कि धरती और हमारी मिल्की वे एक विशाल ‘कॉस्मिक वॉइड’ यानी स्पेस बबल में फंसी हुई है.

हालिया शोध में दावा किया गया है कि पृथ्वी और मिल्की वे गैलेक्सी एक विशाल कॉस्मिक वॉइड (Cosmic Void) में मौजूद हैं. यह क्षेत्र लगभग एक अरब प्रकाश-वर्ष चौड़ा है और इसमें सामान्य ब्रह्मांड की तुलना में करीब 20% कम पदार्थ (matter) है. इस खोज का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के डॉ. इंद्रनील बनिक ने किया.

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ‘स्पेस बबल’ के कारण धरती बाकी घनी आबादी वाले कॉस्मिक क्षेत्रों से अलग-थलग है. इसी वजह से ऐसा प्रतीत होता है कि इंसान ब्रह्मांड में अकेले हैं, मानो हमें बाकी से ‘दूर’ कर दिया गया हो. हालांकि, इसका सीधा संबंध एलियंस से नहीं है, लेकिन यह हमारे ‘कॉस्मिक एरिया’ को और ज्यादा सुनसान बनाता है.

हबल टेंशन का हल? (Hubble Tension solution)
ब्रह्मांड की फैलने की दर (Hubble Expansion Rate) को लेकर दशकों से वैज्ञानिकों में असहमति रही है. दूर की आकाशगंगाएं धीमी विस्तार दर दिखाती हैं, जबकि स्थानीय माप तेज दर बताते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि मिल्की वे इस कॉस्मिक वॉइड में है, तो आस-पास के घने क्षेत्रों का गुरुत्वाकर्षण बाहर की ओर खिंचाव करेगा. इससे हमें लगेगा कि ब्रह्मांड तेज़ी से फैल रहा है. यह सिद्धांत हबल टेंशन (Hubble Tension) को समझाने का एक मजबूत आधार बन सकता है.

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ब्रह्मांड की नई तस्वीर
यह खोज ब्रह्मांड के बारे में हमारी सोच बदल सकती है. अब तक वैज्ञानिक मानते थे कि बड़े पैमाने पर ब्रह्मांड समान (uniform) है. लेकिन यदि धरती वास्तव में एक कॉस्मिक वॉइड में है, तो यह मान्यता चुनौतीपूर्ण हो जाएगी. इससे भविष्य की भविष्यवाणियों पर भी असर पड़ेगा, खासकर ब्रह्मांड की ‘हीट डेथ’ (Heat Death) को लेकर.

सच में इंसान अकेले हैं?
डॉ. बनिक की टीम का कहना है कि यह शोध बिग बैंग के शुरुआती कंपन (Baryon Acoustic Oscillations) पर आधारित है और पिछले 20 साल के आंकड़ों से मेल खाता है. हालांकि, अभी और डेटा की जरूरत है, लेकिन यह संभावना अब और भी मजबूत हो गई है कि धरती वास्तव में एक विशाल कॉस्मिक शून्य में मौजूद है.

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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