Bhopal Aiims : दवा और जांच उपकरण खरीदी में घोटाला…? निदेशक अजय सिँह का इस्तीफ़ा..

भोपाल। अच्छे इलाज के साथ ही अनियमितताओं के बीच एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यहाँ खास बात ये है कि उनका कहना है कि उन्होंने यह फैसला व्यक्तिगत कारणों से लिया है। लेकिन ऐम्स में दवा से लेकर जांच उपकरण खरीदने में अनियमितताओं का खुलासा हुआ हैँ, इस बारे में न तो निदेशक कुछ बोल रहे हैँ और ना ही अधीक्षक। एम्स के चेयरमैन की भूमिका भी संदिग्ध बताई जा रही है।

एम्स भोपाल के निदेशक डॉ. अजय सिंह का कार्यकाल 31 अगस्त 2025 तक था, उन्हें दिसंबर 2021 में नियुक्त किया गया था। उन्होंने बताया कि इस्तीफा उन्होंने 15 दिन पहले ही सौंप दिया था और छुट्टी पर चले गए थे। अब उनका इस्तीफा औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है। इस बीच, एम्स भोपाल में दवाओं की खरीदी समेत आठ अलग-अलग शिकायतों की जांच रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने तीन दिन तक दस्तावेजों की छानबीन की थी। जांच में सामने आया कि कुछ इंजेक्शन जिनकी बाजार कीमत करीब 400 रुपए थी, उन्हें 2100 रुपये में खरीदा गया था। अब जांच रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप दी गई है और मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी। बताया जा रहा है कि जांच के बाद ही डॉ. अजय सिंह का इस्तीफा मंजूर किया गया है।

11 करोड़ की मशीन 22 करोड़ में खरीदी
इधर, भोपाल एम्स एक बार फिर विवादों में है। पहले दवाइयों की मनमानी दरों पर खरीद और अब 22 करोड़ में खरीदी गई स्पाइन रोबोटिक सर्जरी मशीन को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मशीन को अमेरिकी मेडिकल डिवाइस कंपनी मेडट्रोनिक इंडिया के अधिकृत डीलर से खरीदा गया, लेकिन आरोप है कि यह मशीन अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन की रिपोर्ट में 71 फीसदी मामलों में विफले एडवर्स रहे है। इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक यूजर ने एम्स भोपाल समेत स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों को दस्तावेजों के साथ शिकायत करते हुए टैग किया है।

कई तकनीकी खामियों का खुलासा
यूएसएफडीए की रिपोर्ट के मुताबिक, मेडट्रोनिक इंडिया के मैजोर एक्स स्पाइन रोबोटिक सर्जरी मशीन में गंभीर तकनीकी कमियां दर्ज की गई हैं। बताया जा रहा है कि रोबोट के संचालन में रुकावट, सॉफ्टवेयर एरर, स्क्रू डैमेज और मिसिंग, जैसी गड़बड़ियां शामिल हैं। अब सवाल यह है कि कंपनी ने इस रिपोर्ट की जानकारी एम्स प्रबंधन को दी है या नहीं।

आधी कीमत पर सप्लाई
यह भी आरोप है कि नारायणा हेल्थ जैसे निजी अस्पतालों को यही मशीन महज 11 करोड़ में सप्लाई की गई थी। यानी, एम्स में इसकी कीमत दोगुनी 22 करोड़ में चुकाई गई। जानकारी के अनुसार, जब आरटीआई के माध्यम से मशीन के क्रय से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे, तो एम्स प्रशासन ने इसे थर्ड पार्टी जानकारी बताकर देने से इंकार कर दिया। आरोप यह है कि यह जानकारी जानबूझकर छिपाई जा रही है, जिससे गड़बड़ी सामने ना आ सके। एम्स भोपाल ने यह मशीन पटना के एक चैनल पार्टनर (वेंडर) के माध्यम से खरीदी है।

टेंडर प्रक्रिया में भी गड़बड़ियां
टेंडर प्रक्रिया को लेकर भी गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि इस टेंडर में तीन तरह के उपकरण को एक साथ मांगा गया, जिससे सिर्फ चहेती कंपनी की क्वालिफाई हो सके और दूसरी कंपनियां टेंडर में भाग ना ले पाए। एक कंपनी ने इस पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई, जिसके पास तीन में से एक उपकरण उपलब्ध नहीं था। उनका आरोप है कि एम्स प्रशासन ने उनकी आपत्ति पर कोई विचार नहीं किया। टेंडर के नियमों के अनुसार, मशीन की आपूर्ति से पहले कंपनी को पूर्व में की गई सप्लाई का पर्चेस आॅर्डर प्रस्तुत करना होता है। इसमें आरोप है कि बहुराष्ट्रीय मेडट्रोनिक इंडिया कंपनी ने गुमराह करते हुए नियमों का पालन नहीं किया।

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अज्ञात व्यक्तियों ने की शिकायत
कुछ शिकायतें अज्ञात व्यक्तियों द्वारा की गई हैं, जिनमें एम्स प्रबंधन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इनमें क्रिटिकल केयर यूनिट, महंगे उपकरणों की खरीद, गेस्ट हाउस का निजी उपयोग और फैकल्टी पर मनमानी कार्रवाई जैसे आरोप शामिल हैं।

GFR नियमों का पालन नहीं करता एम्स
शिकायत में कहा गया है कि अमृत फार्मेसी से केवल आपात स्थिति में दवाएं खरीदने की अनुमति थी। न कि पूरी सप्लाई के लिए। अन्य सभी एम्स डायरेक्ट टेंडर के जरिए दवाएं खरीदते हैं, लेकिन भोपाल एम्स अकेला ऐसा संस्थान है जो पूरी खरीद अमृत फार्मेसी से करता है और GFR नियमों का पालन नहीं करता।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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