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MP : पीएचई राज्यमंत्री के गांव में ही नहीं है पीने के पानी का इंतजाम, जल जीवन मिशन की खुली पोल

भोपाल । जिस PHE राज्य मंत्री के अंडर में हजारों करोड़ की लागत से घर-घर पानी पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने बजट दे रखा है, उनके ही गांव में पीने का पानी नही है। यानी दीया तले अंधेरा है. ।

प्रदेश के पीएचई राज्य मंत्री राव बृजेंद्र सिंह यादव के खुद के गांव में पानी के लिए लोग तरस रहे हैं. उनके घर के सामने लोगों को सिर पर रखकर पानी ढोना पड़ रहा है. केंद्र सरकार की मंशा थी कि हर घर तक पानी पहुंचे. लेकिन खुद मंत्री जी के गांव में लोग पानी के लिए तरस रहे हैं। जिले में 2700 करोड़ रुपये से गांव-गांव पानी भेजने की कवायद जारी बताई जा रही है।

गांव के लोगों को घर से काफी दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है. बच्चों महिलाओं को पीने का पानी भरकर लाना होता है. स्थिति यह होती है कि कभी-कभी बच्चे दो-दो दिन तक नहीं नहा पाते, क्योंकि उनको पानी लाने के लिए कोसों दूर जाना होता है. 

मंत्री के गांव सुरेल में जब हमने लोगों से बात की तो उन्होंने कहा कि मंत्री ने गांव में कोई विकास नहीं किया. कई घरों में टोंटियां तो लगी है, पर उनमें आज तक पानी नहीं आया. मंत्री के सुरेल ग्राम पंचायत में तीन गांव आते हैं. इनमें से सुरेल और नीमखेड़ा गांव में तो पानी की टंकी बन चुकी है. लेकिन एक गांव और है- सुनपुरा. जहां पर अभी तक पानी की टंकी नहीं बन पाई है।

मंत्री राव बृजेंद्र सिंह यादव का कहना है कि सुरेल व नीमखेड़ा में टंकी बनकर तैयार हो गई. लेकिन जैसे ही सुनपुरा का नंबर आया तो समूह योजना आ गई. इसकी वजह से वहां काम नहीं हो पाया. ठेकेदार को कह दिया जल्द से जल्द काम शुरू करे।

जिन दो गांवों की बात मंत्री बृजेंद्र सिंह कर रहे हैं, उनमें भी कई इलाके ऐसे हैं जहां की टोंटियों में अभी तक पानी नहीं आया. जिन टोटियों में पानी आता भी है, तो कभी एक महीने तो कभी 15 दिन और कभी 8 दिन इस तरह से पानी सप्लाई होता है।

सुरेल गांव में जो पानी की टंकी बनी हुई है, वह मंत्री के घर के कैम्पस में ही बनी हुई है. हालांकि यह टंकी 5 साल पहले ही बनकर तैयार हो गई थी. उस दौरान बृजेंद्र सिंह यादव मंत्री तो नहीं थे, मगर विधायक जरूर बन गए थे।

मंत्री के घर में पानी की टंकी.

बता दें कि मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का खास माना जाता है. वह 5 साल में 03 वार विधायक बन चुके हैं, लेकिन उनके विभाग से जनता काफी नाराज दिखी. अगर उनको इस बार फिर से टिकिट मिलता है तो जनता की नाराजगी का खमियाजा शायद उन्हें आगामी विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है.  

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