Vyapam का जिन्न: CBI और मप्र सरकार को नोटिस:पारस सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
नई दिल्ली। बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और मप्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पूर्व विधायक और व्यापमं कांड के व्हिसिल ब्लोअर पारस सकलेचा की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
जुलाई 2009 में व्यापम घोटाला शासन के संज्ञान में आया था। 17 दिसंबर 2009 को इस मामले की जांच कमेटी गठित करने के बाद भी 2010 से 2013 तक घोटाला होने पर जिम्मेदारों से पूछताछ कराने के लिए पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने याचिका लगाई थी। इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश संजीव खन्ना तथा न्यायाधीश संजय कुमार ने सुनवाई करते हुए शासन और सीबीआई को नोटिस जारी करने का आदेश दिया है।
इंदौर हाईकोर्ट से खारिज हो गई थी याचिका
पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में पिटीशन लगाई थी। सकलेचा का कहना है कि उन्होंने STF को 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज के आवेदन पर कार्यवाही की मांग की थी । जिसे बीते 19 अप्रैल 2024 को उच्च न्यायालय इंदौर ने निरस्त कर दिया था। सकलेचा ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने शासन को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट में सकलेचा की ओर राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट विवेक तन्खा और ऋतम खरे ने बहस की।
सकलेचा बोले- बयानों के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
सकलेचा ने अपने आवेदन में कहा कि एसटीएफ द्वारा 27 नंबर 2014 को विज्ञप्ति क्रमांक 21503/14 जारी कर व्यापमं की जांच में बिंदु शामिल करने हेतु दस्तावेज सहित आवेदन आमंत्रित किए जाने पर उन्होंने 11 दिसंबर 2014 को दस्तावेज सहित 350 पेज का आवेदन दिया था । एसटीएफ को 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के अलावा 71 पेज का लिखित बयान और 240 पेज के दस्तावेज दिये।
11 से 13 सितंबर 2019 को एसटीएफ में पुनः 13 घंटे तक बयान देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की । सीबीआई में अक्टूबर 2016 में बयान देने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव मध्य प्रदेश शासन को कार्यवाही करने हेतु भेजा , जिस पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई ।
छोटे लोगों पर हुई कार्रवाई
सकलेचा ने अपने आवेदन में व्यापम घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री जिनके पास चिकित्सा शिक्षा विभाग भी था, मुख्य सचिव , पुलिस महानिदेशक , प्रमुख सचिव सचिव चिकित्सा शिक्षा , चिकित्सा शिक्षा संचालक , व्यापम के अध्यक्ष आदि जिम्मेदारों अधिकारियो की फर्जीवाड़े में भूमिका पर दस्तावेज पेश कर उनसे पूछताछ की मांग की थी।
दिसंबर 2009 में शासकीय तथा निजी चिकित्सा महाविद्यालय में भर्ती की जांच के आदेश के बाद भी निजी चिकित्सा महाविद्यालय की भर्ती की जांच नहीं करने का भी अपने आवेदन में उल्लेख किया था ।
CBI और STF ने जांच में की गड़बड़ी
सकलेचा ने आवेदन में कई दस्तावेजों का हवाला देकर कहा कि सीबीआई तथा एसटीएफ ने व्यापम फर्जीवाड़े की जांच में काफी लीपापोती की है । और अनेकों महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच में शामिल न कर बड़े लोगों को बचाने का कार्य किया है । तथा मात्र रेकेटीयर , दलाल, स्कोरर, साल्वर , छात्र , अभिभावक तथा नाम मात्र के छोटे सरकारी अधिकारियों को आरोपी बनाया है। उन्होंने अपने आवेदन में कहा कि इतना बड़ा रैकेट लगातार 10 साल तक चलना सरकार और प्रशासन के सहयोग के बिना संभव नहीं है। सकलेचा ने अपने आवेदन में लगभग 850 पेज के दस्तावेजी साक्ष्य अपने तथ्यो के प्रमाण के तौर पर पेश कर निर्धारित समय सीमा में जांच करने कार्यवाही करने की गुहार कोर्ट में लगाई है।