MP : सरकार और प्रशासन के बीच खींचतान बढ़ी…! मंत्री सम्पतिया उइके के खिलाफ जाँच के आदेश पर भड़के मंत्री, मुख्य सचिव से जवाब तलब..

भोपाल। क्या मध्य प्रदेश में सरकार और प्रशासन के. बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? तबादलों के बाद मंत्री सम्पतिया उइके के खिलाफ जाँच के आदेश को लेकर मंत्रियों का गुस्सा फट पड़ा है। कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री को सभी मंत्रियों को आश्वासन देना पड़ा और मुख्य सचिव से भी इस मामले में जवाब तलब किया।

पहले बात करते हैँ कैबिनेट की। मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में जल जीवन मिशन से जुड़े 1000 करोड़ रुपये के कथित कमीशन मामले पर जोरदार हंगामा हुआ। पीएचई मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ जांच आदेश को लेकर कई मंत्रियों ने विरोध दर्ज कराया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पर सहमति जताते हुए न सिर्फ जांच का आदेश दिया, बल्कि इस पूरे प्रकरण की गहराई से पड़ताल कराने के निर्देश भी दिए।मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि कोई अधीनस्थ अधिकारी किसी मंत्री के खिलाफ जांच का आदेश कैसे दे सकता है? उन्होंने मुख्य सचिव से नाराजगी जताते हुए पूछा कि इतनी गंभीर बात उन्हें पहले क्यों नहीं बताई गई। सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में शामिल जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।

ईएनसी को अनुशासनहीनता का नोटिस
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख अभियंता संजय अंधवान को इस पूरे घटनाक्रम को लेकर विभागीय प्रमुख सचिव पी. नरहरि ने अनुशासनहीनता के लिए नोटिस जारी किया है। बताया गया कि ईएनसी ने बिना उच्चस्तरीय निर्देश के जांच बैठा दी थी, जिसके बाद मामला तूल पकड़ गया।

ईई को नोटिस देकर खुद को बचाने की कोशिश
ईएनसी संजय अंधवान ने जांच के आदेश पर सवाल उठने के बाद कार्यपालन यंत्री मनोज अवस्थी को कारण बताओ नोटिस थमा दिया। माना जा रहा है कि अंधवान ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए यह कदम उठाया।

सोशल मीडिया पर आदेश वायरल होते ही पलटा विभाग
ईएनसी द्वारा जारी जांच आदेश में जल जीवन मिशन के 30 हजार करोड़ रुपये के खर्च, मंडला जिले के इंजीनियर की संपत्तियों और प्रोजेक्ट डायरेक्टर्स से रिपोर्ट की मांग शामिल थी। लेकिन जैसे ही यह आदेश सार्वजनिक हुआ, विभाग ने तत्काल पलटी मारते हुए प्रेस नोट जारी किया। इसमें कहा गया कि मंत्री पर लगाए गए सभी आरोप तथ्यहीन और मनगढ़ंत हैं तथा शिकायतकर्ता ने कोई ठोस सबूत नहीं दिया।

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