Raisen : करोड़ों की बर्बादी, बीस साल पहले बना डैम आज भी किसानों के लिए बेकार, नहरें सूखी और सिस्टम खामोश…!

सुल्तानपुर बना भ्रष्टाचार का गढ़, सिंचाई विभाग की लापरवाही से किसान बेहाल
रायसेन। जिले का सुल्तानपुर क्षेत्र इन दिनों भ्रष्टाचार और सरकारी लापरवाही का प्रतीक बनता जा रहा है। यहां सिंचाई विभाग के कर्मचारी सरकार के पैसों से खुद की ‘सिंचाई’ तो कर रहे हैं, लेकिन किसानों को अब भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है।
सुल्तानपुर के ग्राम गुंद्रई में करीब 20 साल पहले एक डैम का निर्माण हुआ था। उद्देश्य था—किसानों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा देना। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक इस डैम से एक बूंद पानी भी नहरों में नहीं छोड़ा गया। डैम पर बना कुआं, जहां से पानी का प्रवाह होना चाहिए था, अब कचरे और मलबे से पूरी तरह जाम हो चुका है। वहीं नहरों को आसपास के किसानों ने अपने खेतों में मिला लिया है, और विभाग आंखें मूंदे बैठा है।
जब इस मुद्दे पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से बात की गई, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। सभी ने या तो सवालों को टाल दिया या फिर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी। यह समस्या सिर्फ एक डैम तक सीमित नहीं है—सुल्तानपुर में ऐसे कई डैम हैं, जो कागजों में तो ‘सक्रिय’ हैं लेकिन ज़मीन पर किसानों के लिए किसी काम के नहीं।
गौरतलब है कि रायसेन जिले में सबसे अधिक डैम सुल्तानपुर क्षेत्र में ही हैं। इसके बावजूद सिंचाई विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से किसानों की हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।
अब बड़ा सवाल यह है—क्या जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट तक इन ‘काले कारनामों’ की रिपोर्ट कभी पहुंचेगी? और अगर हाँ, तो कब? किसानों को उम्मीद है कि अब इस गहराते संकट पर कोई ठोस कार्रवाई होगी।





रायसेन से अमन की रिपोर्ट





