Madhya Pradesh : बढ़ते कर्ज पर राजनीतिक तकरार…

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार जहां अपने दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिना रही है, वहीं दूसरी ओर प्रदेश पर बढ़ते कर्ज को लेकर सियासी तकरार तेज हो गई है। राज्य सरकार बीते एक साल में करीब 50 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है और दिसंबर में फिर से कर्ज लेने की तैयारी कर रही है। ऐसे में कांग्रेस ने सरकार पर हमला किया है। पार्टी ने इसे सरकार की वित्तीय नाकामी बताया है।कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय यादव के आरोपों पर उप मुख्यमंत्री एवं वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने सफाई देते हुए कर्ज के गणित को सामने रखा और विपक्ष को उसकी सरकारों के कार्यकाल की याद दिलाई। वित्त मंत्री का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा लिया जा रहा कर्ज पूरी तरह नियम और प्रक्रिया के तहत है, जिसमें भारत सरकार की अनुमति शामिल होती है। उन्होंने कहा कि विकास कार्यों और जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए कर्ज लेना एक सामान्य वित्तीय प्रक्रिया है। देवड़ा, सरकार की उपलब्धियां गिनाने के लिए पिछले दिनों जबलपुर आए थे।दिसंबर में फिर कर्ज ले रही सरकारसाल 2025 की विदाई से पहले ही प्रदेश में “कर्ज लेकर घी पीने” जैसे आरोपों को लेकर सियासी वार-पलटवार शुरू हो गया है। जानकारी के मुताबिक 12 नवंबर को मध्यप्रदेश सरकार ने 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसके बाद दिसंबर में एक बार फिर 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जा रहा है। वित्त विभाग के नोटिफिकेशन के अनुसार 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज तीन हिस्सों में लिया जाएगा। इसे चुकाने की अवधि क्रमशः 8 साल, 13 साल और 23 साल तय की गई है।कब कितना कर्ज लिया4 जून 2025 – 4500 करोड़ रुपए8 जुलाई 2025 – 4800 करोड़ रुपए30 जुलाई 2025 – 8600 करोड़ रुपए5 अगस्त 2025 -5000 करोड़ रुपए26 अगस्त 2025 – 4800 करोड़ रुपए9 सितंबर 2025 – 3000 करोड़ रुपए23 सितंबर 2025 – 3000 करोड़ रुपए30 सितंबर 2025 – 3000 करोड़ रुपए28 अक्टूबर 2025 – 5200 करोड़ रुपए11 नवंबर 2025 – 3000 करोड़ रुपएपूंजीगत कार्यों में खर्च होता है कर्जवित्तमंत्री का कहना है कि कर्ज सीमा के अंतर्गत ही लिया जाता है और ये राशि पूंजीगत कार्यों में ही खर्च होती है, ना कि राजस्व मद में। उन्होंने कहा कि कर्ज लेकर समय पर ब्याज दिया जाता है। कर्ज लेना कोई बुरी बात नहीं है, यह कर्ज नहीं बल्कि निवेश है। कर्ज लेकर अगर सड़क बन रही है, तालाब बन रहे हैं, बिल्डिंग बन रही है, रोजगार मिलेगा, विकास होगा जो कि कहीं से गलत नहीं है।वित्तमंत्री ने कहा कि पहले जब कांग्रेस की सरकार थी, तब कर्ज लेकर वेतन बांटा जाता था पर हमारी भाजपा सरकार ने कर्ज लेकर सिर्फ पूंजीगत कार्यों में खर्च कर रही है, एक पैसा भी दूसरे कामों में खर्च नहीं किया जाता है। पहले जो हालत सड़क की थी, सिंचाई की थी, आज पूरी तरह से बदल गई है।बजट से ज्यादा कर्ज ले चुकी सरकारमौजूदा वित्तीय वर्ष में मध्यप्रदेश सरकार का बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ है, लेकिन सरकार पर कर्ज 4 लाख 64 हजार करोड़ पहुंच गया है जो बजट से 43 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। कांग्रेस कर्ज के बढ़ते बोझ को सरकार की वित्तीय नाकामी बताकर उसे जमकर घेर रही है। कांग्रेस के पूर्व विधायक संजय यादव ने राज्य सरकार के कर्ज लेकर प्रचार-प्रसार में खर्च किया है। जितने का बजट नहीं है, उससे ज्यादा का कर्ज मोहन सरकार ले रही है।उन्होंने कहा कि राज्य का हर व्यक्ति कर्ज की दलदल में फंस रहा है। भाजपा के वित्त मंत्री से ना ही वित्त मंत्रालय संभल रहा है और ना ही सरकार। लगातार सरकार पर कर्ज बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते दयनीय स्थिति हो गई है।

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