MP: मध्य प्रदेश से क्यों बार-बार राजस्थान जा रहे चीते…?
शिवपुरी। प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क से चीते कुछ दिनों पहले राजस्थान की सीमा में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में राजस्थान का वन विभाग इन चीतों को वहीं बसाने का सोच रहा है। इस बात की पूरी संभावना है कि 4 जून के बाद चुनाव आचार संहिता खत्म होने पर राजस्थान का वन विभाग इस बारे में केन्द्र सरकार व मध्यप्रदेश सरकार को प्रस्ताव भेजेगा।
दरअसल, कुछ दिन पहले कूनो से दो चीते राजस्थान में चले गए थे। एक चीता मध्यप्रदेश की सीमा लगभग 70-80 किलोमीटर दूर बारां जिले और एक करीब 100-110 किलोमीटर दूर करौली के जंगलों तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन दिनों चीते खुद की टेरेटेरी (इलाका) ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। अप्रैल में कूनो से एक चीता झांसी (उत्तर प्रदेश) तक पहुंच गया था। वहीं एक चीता मध्य प्रदेश के ही दूसरे जिले मुरैना तक पहुंच गया था।
चीतों के लिए राजस्थान के जंगल ज्यादा सुरक्षित?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मध्य प्रदेश के कूनो से निकलकर बारां और करौली के जंगलों तक का सफर चीता एक-दो दिन में तो कर नहीं सकता। कुछ जगहों पर शिकार भी किया होगा, पानी भी पीया होगा। नदी-नालों, पहाड़ों, खेतों, खदानों, जंगलों को पार भी किया होगा।
ऐसे में वन्य जीव विशेषज्ञ यह मान रहे हैं कि चीतों के लिए राजस्थान के जंगल फ्रेंडली हैं। इस बीच टाइगर, पैंथर, जंगली सूअर, भेड़िया, लकड़बग्घा, मगरमच्छ आदि वन्य जीवों से भी उनका कोई टकराव नहीं हुआ। विशेषज्ञ मानते हैं कि कूनो से 100-110 किलोमीटर तक मूव कर पा रहे हैं तो यह उनका स्वाभाविक इलाका हो गया है। वे इससे परिचित हो गए हैं। झांसी से बारां, कूनो, श्योपुर, करौली, मुरैना के बीच के इस पूरे इलाके में उनका मूवमेंट यह बता रहा है कि वे अब ज्यादा दिन कूनो के एक तयशुदा इलाके में नहीं रहेंगे।t
राजस्थान के वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पवन उपाध्याय का कहना है कि चीतों के राजस्थान की तरफ हुए मूवमेंट पर विभाग की नजर है। इस संबंध में आचार संहिता हटने के बाद ही कुछ कदम बढ़ाना संभव है। चीतों के सन्दर्भ में केन्द्र सरकार के स्तर पर स्टीयरिंग कमेटी भी बनी हुई है। उसका फैसला ही अंतिम होगा