MP जल संसाधन विभाग: रिटायर्ड इंजीनियर को प्रमुख अभियंता बनाए जाने पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई, पीएस को दिया नोटिस

भोपाल। मप्र हाईकोर्ट जबलपुर ने जल संसाधन विभाग में सेवानिवृत्त अधीक्षण यंत्री शिरीष मिश्रा को प्रमुख अभियंता यानि इंजीनियर-इन-चीफ का प्रभार देने पर आगामी आदेश तक रोक लगा दी। जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने मामले में मुख्य सचिव व जल संसाधन विभाग के एडीशनल सेक्रेटरी और शिरीष मिश्रा को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं।

प्रदेश के जल संसाधन में प्रमोशन नहीं होने की वजह से वरिष्ठ पदों पर प्रभार का सिलसिला जारी है। हालात यह हैं कि यहां रिटायर्ड अधिकारियों को संविदा नियुक्ति पर प्रमुख अभियंता तक बनाना पड़ रहा है। इंजीनियरों की वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए संविदा पर प्रमुख अभियंता बनाया गया है। यह मामला हाईकोर्ट जबलपुर पहुंच गया है। मामले में जल संसाधन विभाग मुख्य सचिव से जवाब मांगा गया है।

लगातार इंजीनियरों की वरिष्ठता की अनदेखी
विभाग के एक इंजीनियर ने बताया कि इसके पहले विभाग में इंजीनियरों की वरिष्ठता की अनदेखी करते हुए संविदा पर प्रमुख अभियंता की संविदा नियुक्ति  की जा चुकी है। विभाग में प्रमुख अभियंता के पद पर एमएस डाबर की पदस्थापना के बाद वे रिटायर हुए तो सरकार ने उन्हें संविदा पर वापस उसी पद पर पदस्थ कर दिया था। इसके बाद उनकी संविदा अवधि खत्म हुई तो अब अधीक्षण यंत्री के पद से रिटायर हुए शिशिर कुशवाहा को प्रमुख अभियंता बना दिया गया है, जबकि कई अधीक्षण यंत्री के रूप में काम करने वाले कई इंजीनियर मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के पद की पात्रता रखते हैं।

नियम का उड़ाया जा रहा मखौल
विभाग के जानकार बताते हैं कि विभागीय पदोन्नति की जो व्यवस्था है उसके अनुसार पांच साल तक सहायक यंत्री पद पर कार्य करने के बाद कार्यपालन यंत्री बनाया जाता है तथा पांच साल की सेवा के बाद कार्यपालन यंत्री को अधीक्षण यंत्री बनाया जाता है। इसी प्रकार पांच साल या तीन साल की सेवा करने के बाद अधीक्षण यंत्री को मुख्य अभियंता बनाया जा सकता है। तीन साल की सेवा पूर्ण करने पर या वरिष्ठ मुख्य अभियंता को प्रमुख अभियंता मेंबर इंजीनियर एवं सचिव बनाया जा सकता है।

जानकारी के लिए बता दें कि जल संसाधन विभाग में पदस्थ कई इंजीनियर अधीक्षण यंत्री के पद पर काम कर रहे हैं, लेकिन वे प्रमुख अभियंता नहीं बन सके। ये अधिकारी मुख्य अभियंता पद से रिटायर हो रहे हैं। ऐसे अधीक्षण यंत्रियों की संख्या दस बताई जा रही है जो प्रमुख अभियंता के पद की पात्रता के बाद भी वंचित हैं। इधर, संविदा पर प्रमुख अभियंता का पद भरने की कार्यवाही जल संसाधन विभाग के अफसरों ने कर दी है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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