शिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले का सफेद पत्थर उद्योग अब बड़े संकट में है. कभी यह उद्योग जिले की सबसे मजबूत पहचान था. शिवपुरी स्टोन देश और विदेश के बाजारों में सप्लाई किया जाता था. स्थानीय अर्थव्यवस्था भी इसी उद्योग पर टिकी थी. लेकिन अब वही खदानें बंद पड़ी हैं और उद्योग लगभग खत्म होने की स्थिति में है. जिले की प्रमुख सफेद और लाल पत्थर की खदानें अब जमीन पर सक्रिय नहीं हैं. कागजों में इनके संचालन के रिकॉर्ड मिल जाते हैं. लेकिन खदानों में मजदूरों की आवाज और मशीनों की गूंज पूरी तरह गायब हो चुकी है. कई खदानें वर्षों से बंद पड़ी हैं।
स्थानीय लोग बताते हैं कि खदानें चलती थीं, तब काम की कमी नहीं थी. मजदूरों को रोज मजदूरी मिलती थी. इससे हजारों परिवारों की आजीविका चलती थी. लेकिन खदानों के बंद होने के बाद हालात बदल गए. मजदूर सुबह-सुबह काम की तलाश में निकलते हैं. कई बार पूरा दिन बिना काम खत्म होता है. स्थानीय अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा असर दिख रहा है।
मंजूरी संबंधी विवाद और खनन नियमों के कड़े प्रावधान
शिवपुरी स्टोन उद्योग जिले की पहचान का हिस्सा था. इस पत्थर की खास सफेद चमक और मजबूती की वजह से इसकी मांग विदेशों तक रहती थी. निर्माण क्षेत्र में इसका व्यापक इस्तेमाल होता था. लेकिन मंजूरी संबंधी विवादों और खनन नियमों के कड़े प्रावधानों ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी. खदानें बंद होने के बाद कारोबारियों ने काम रोक दिया. स्थानीय परिवहन, मशीन मालिक और दुकानदार भी इससे प्रभावित हुए हैँ। फिलहाल कहीं से कोई पहल होती नहीं दिख रही है।
