भोपाल। मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता संतोष सिंह परिहार केंद्र व राज्य सरकारों की महत्वाकांक्षी योजना “व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD)” पैनिक बटन परियोजना में बड़े घोटाले की आशंका व्यक्त करते हुए केन्द्र और राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है।
श्री परिहार ने कहा कि मध्य प्रदेश परिवहन विभाग में महिला सुरक्षा और स्कूली बच्चों की सुरक्षा के नाम पर लागू की गई व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) एवं पैनिक बटन योजना अब गंभीर सवालों के घेरे में है। योजना शुरू हुए तीन वर्ष से अधिक का समय बीतने के बावजूद, लक्षित वाहनों में डिवाइस लगाने का कार्य निर्धारित मानकों पर पूरा नहीं हुआ है।
महिला सुरक्षा योजना कागजों पर सीमित
वर्ष 2020 में निर्भया फंड के तहत इस योजना की शुरुआत हुई थी। बीएसएनएल को कमांड एवं कंट्रोल सेंटर की ज़िम्मेदारी दी गई, परंतु पांच वर्षों बाद भी प्रदेश में कमांडें कंट्रोल सेंटर पूरी तरह संचालित नहीं हैं। उच्च कोटि सॉफ्टवेयर परचेज, तकनीकी संसाधन और प्रशिक्षित मैनपावर तक की भारी कमी है।
व्यापक अनियमितताएँ
VLTD निर्माता अटलांटा (निर्माता नरूला जी) कंपनी पर दो बार टेस्ट फेल होने के बावजूद सिफारिशों के दम पर सूचीबद्ध किए जाने के आरोप हैं। विभाग में एक व्यक्ति विशेष की कथित दखलंदाजी और वसूली की चर्चा जोरों पर है।
BSNL और उसकी सब-एजेंसी सेंसराइज को वर्क ऑर्डर तो मिला, पर 2024 तक एग्रीमेंट नहीं हुआ। इसके बावजूद प्रदेशभर में डिवाइस विक्रय और वसूली जारी रही।
वाहन स्वामियों पर भारी आर्थिक बोझ
डिवाइसों की कीमतों और बीएसएनएल के नाम पर वसूली में भारी गड़बड़ी सामने आई है।
वेबसाइट पर ₹8,200 की डिवाइस ₹10,000–₹11,000 में बेची जा रही है।
नए वाहनों पर ₹12,000–₹16,000 तक वसूले जा रहे हैं।
वार्षिक शुल्क ₹1,416 तय होने के बावजूद ₹3,700–₹9,000 तक वसूली की जा रही है।
प्रत्येक डिवाइस पर ₹3,000 की उगाही एवं स्टिंग ऑपरेशन का खुलासा दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में हो चुका है।
शिकायत व निगरानी व्यवस्था ठप
कमांड सेंटरों पर ताले लटके हैंशिकायत हेतु कोई पोर्टल या टोल फ्री हेल्पलाइन तक नहीं।
मोबाइल ऐप फीचर जैसे जियोफेंसिंग और *हाई-स्पीड अलर्ट महज औपचारिक हैं।
*प्रत्येक जिलों में सर्विस सेंटर नदारत l
जांच की मांग:
श्री परिहार ने यह जांच की मांग करते हुए कहा कि गंभीर विषय केवल वित्तीय अनियमितताओं का नहीं, बल्कि महिला एवं बच्चों की सुरक्षा से सीधा जुड़ा है।
देश की जांच एजेंसियों — ईडी, सीबीआई और सीवीसी — को स्वतः संज्ञान लेकर इस रैकेट की उच्चस्तरीय जांच करनी चाहिए।
श्री परिहार ने सवाल किया कि कितने वाहनों में पैनिक बटन वास्तव में सक्रिय हैं?“अटलांटा” जैसी कंपनियों को अनुमति कैसे मिली? अन्य योग्य निर्माताओं को अनुमोदन क्यों नहीं दिया गया?विभागीय वेबसाइट पर फर्जी व विरोधाभासी डीलर लिस्ट क्यों अपलोड है?नरूला नामक व्यक्ति की मंत्रालय और परिवहन विभाग में सक्रियता किन रसूखदारों के संरक्षण में जारी है?
