MP: संभागीय अपर आयुक्त IAS जमुना भिड़े के आदेश के खिलाफ कलेक्टर गए रिवेन्यू बोर्ड

इंदौर। इंदौर संभाग में पदस्थ बैच 2014 की प्रमोटी IAS व अपर आयुक्त जमुना भिड़े के 20 करोड़ से अधिक कीमत की जमीन पर हुए विवादित आदेश से सीधा फायदा इस क्षेत्र में सक्रिय भूमाफिया को हुआ है। उन्होंने यहां पर पट्टा धारकों से यह जमीन 4-4 लाख रुपए में लेकर अवैध कॉलोनी काटकर बेचना शुरु कर दिया है। उधर, अब कलेक्टर आशीष सिंह के आदेश के बाद रिवेन्यू बोर्ड ग्वालियर में भिड़े के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की जा रही है।

भूमाफिया ने यह किया खेल

राऊ रंगवासा की जिस जमीन का यह आदेश है, यहां पट्टाधारी किसानों से भूमाफियाओं द्वारा 4- 4 लाख रुपए में जमीन खरीदने की खबर है। इसके बाद किसानों के जरिए इन्होंने खेल करते हुए यह याचिका पहले कलेक्टर के पास लगाई, लेकिन खेल वहां नहीं जमा और तत्कालीन कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी ने जमीन बिक्री की मंजूरी खारिज कर दी।

इसके बाद अपर आयुक्त के पास केस लगा और उन्होंने पांच फाइल में से तीन में मंजूरी दे दी, फिर एक की मंजूरी खारिज कर दी और दो की बनी रहने दी। इसमें एक हेक्टेयर जमीन को बेचने की मंजूरी पट्टा धारकों को मिल गई। बाकी तीन मामलों में हाईकोर्ट में केस लगा है।

यह कर रहे हैं जमीन पर खेल

वहीं किसानों से जमीन का सौदा करने के बाद यहां पर राहुल तंवर, हेमचंद मितले, शिवा गारी, राजेश ठाकुर व अन्य द्वारा मिलीभगत कर अवैध तौर पर प्लाट काटकर जमीन का बेचा जा रहा है। यह पूरी जमीन 18 पटा धारकों के । जानकारी के Subscribe जमान 87 एकड़ के कराब छ, जा 1968- 69 में गणेश सामूहिक कृषि संस्थान को खेती के लिए दी थी।इसके बाद संस्थान ने यह जमीन आपस में बांटकर 2003-04 में तहसीलदार से बटांकन करा लिया। इसके बाद फिर 2023 में इन्होंने जमीन बेचने का खेल शुरु किया और कलेक्टर के पास आवेदन लगाए। जबकि पट्टा धारकों को मिली जमीन गुजर-बसर करने के लिए खेती के लिए देय थी।  जमीन बेचने के लिए आईएएस अपर आयुक्त जमुना भिड़ ने एनओसी जारी कर दी।

भिडे ने इस आदेश में कहा है कि अधीनस्थ कोर्ट (कलेक्टर) का आदेश गलत है, इसमें कहा गया है कि जमीन बिकने पर भूमिहीन हो जाएंगे। जबकि वह इस जमीन को बेचकर अन्य जमीन खरीदेंगे और यह जमीन पथरीली है और यहां खेती नहीं हो सकती है, पक्षकारों को जीवन भरण पोषण में समस्या आ रही है।बेचने की मंजूरी दी जाती है, बशर्ते
पक्षकार चेक से राशि ले और इस राशि से अन्य जगह पर तीन माह के भीतर जमीन ले।हाईकोर्ट ने एक केस में कहा है कि अधीनस्थ स्तर पर फिर से पक्षकार को सुनकर फैसला लिया जाए।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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