MP : कलेक्टर सतीश कुमार एस… बिना तामझाम साइकिल से ऑफिस जाते हैं

सतना। डॉ. सतीश कुमार एस, जो मूल रूप से तमिलनाडु के वेल्लोर के रहने वाले हैं, 28 जनवरी 2025 को मध्य प्रदेश सरकार के प्रशासनिक फेरबदल के तहत सतना के कलेक्टर नियुक्त किए गए। बचपन में ही कलेक्टर बनने की प्रेरणा पाने वाले सतीश कुमार ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की और 2013 में आईएएस बने। भिंड जिले में कलेक्टर रहते हुए उन्होंने अनुशासनप्रिय प्रशासन की छवि बनाई।

सतना में पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने निजी स्कूलों की मनमानी पर सख्त कार्रवाई की और जनसुनवाई के दौरान लापरवाही बरतने वाले हेडमास्टर को सस्पेंड कर दिया।

डॉ. सतीश कुमार एस का बचपन तमिलनाडु के वेल्लोर में बीता। उन्हें बचपन में ही कलेक्टर बनने की प्रेरणा मिल गई थी। बचपन में वो अपने पिता के साथ कभी-कभी कलेक्ट्रेट जाया करते थे। वहीं उन्होंने अधिकारियों की कार्यशैली को देखा और उसी दौरान तय कर लिया कि वह भी एक दिन कलेक्टर बनेंगे। सतीश कुमार ने मद्रास मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। उनका सपना डॉक्टर नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक अधिकारी बनना था। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई के साथ ही सिविल सेवा की तैयारी की। 2013 में उन्हें सफलता मिली और वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित हुए।

जनता और अधिकारियों में लोकप्रिय
शिक्षिका मां और पटवारी पिता के घर में पले-बढ़े सतीश का पालन-पोषण एक अनुशासित और सेवा भावी वातावरण में हुआ। पढ़ाई में उन्हें बचपन से ही रुचि थी। अपने प्रशासनिक करियर में सतीश कुमार ने सख्ती और संवेदनशीलता का संतुलन बनाए रखा है। इसके चलते वे आम जनता और अधिकारियों दोनों के बीच चर्चा में आए। इससे पहले वे मध्य प्रदेश स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड, भोपाल के प्रबंध संचालक थे। वे पशुपालन एवं डेयरी विभाग में पदेन उप सचिव के रूप में भी कार्यरत रहे हैं।

साइकिल की सवारी करते हैं पसंद
डॉ. एस सतीश कुमार साइकिल की सवारी बेहद पसंद करते हैं। कभी-कभी वह साइकिल से ऑफिस पहुंच जाते हैं। कमिश्नर बीएस जामोद की अपील पर शुरू हुई ‘साइकिल डे’ पहल के तहत कई बार वह साइकिल से दफ्तर पहुंचकर लोगों को चौंका चुके हैं। उनका मानना है कि इससे वायु प्रदूषण कम होता है, ईंधन की बचत होती है और सबसे बड़ी बात स्वास्थ्य बेहतर बनता है। वह मानते हैं कि साइकिल चलाना एक बेहतरीन व्यायाम है, जो न केवल शरीर को तंदरुस्त रखता है, बल्कि मानसिक रूप से भी ऊर्जा प्रदान करता है। यह निजी आर्थिक बचत और राष्ट्रीय संसाधनों के संरक्षण में भी सहायक है।

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