MP : मऊगंज में सिरप पिलाने के बाद बच्चे ने तोड़ा दम, कारण जानने कब्र से निकाला शव

मऊगंज. जिले के शाहपुर क्षेत्र के खटखरी गांव के एक परिवार का आरोप है कि कफ सिरप पिलाने के बाद मासूम आधे घंटे भी जिंदा नहीं रहा। वे कहते हैं- सरकार, कफ सिरप, मेडिकल स्टोर.. दोष किसे दें, यह समझ नहीं आ रहा है।
पुलिस-प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को जांच के लिए बच्चे के शव को कब्र से बाहर निकलवाना पड़ा है। मध्य प्रदेश में कफ सिरप से 26 मौतों के बाद मऊगंज में ऐसा ही मामला सामने आया है।
बच्चे की माँ श्वेता का कहना है – 24 अक्टूबर को बेटे धर्मेंद्र को हल्की सर्दी-खांसी हो रही थी। घर से 20 मिनट की दूरी पर खटखरी बाजार है। मैं बच्चे को लेकर बाजार पहुंची। यहां विनोद मेडिकल स्टोर पर विक्स लेने गई। मैंने कहा- भैया बच्चे को सर्दी-खांसी हो रही है। इस पर मेडिकल स्टोर संचालक ने बच्चे को देखा और कहा- इसे गंभीर समस्या है। उसने तत्काल तीन सिरप दे दिए।
उसने तत्काल आराम मिलने की बात कहते हुए बिना किसी डॉक्टर की पर्ची और जांच के बच्चे को अपनी दुकान में रखी सिरप पिला दी। मुझसे कहा- बेटा ठीक हो जाएगा। इसके बाद मैं अपने घर आ गई।
घर आते-आते बच्चा सुस्त पड़ गया। उसकी सांसें बंद हो चुकी थी। मैंने परिवार को यह बात बताई। सभी चौंक गए, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। लोकल में ही एक डॉक्टर को बताया।
मेरी गोद में बच्चे ने दम तोड़ दिया था। मेरी और परिवार के दूसरे सदस्यों की हालत देखकर घरवाले बच्चे के शव को लेकर अंतिम क्रिया के लिए चले गए।
मेडिकल स्टोर संचालक ने तीन दवाएं दी थीं
परिजन ने कहा- हमने सिरप से बच्चे की मौत की बात कही, लेकिन किसी ने हमारी नहीं सुनी। दो-तीन दिन बाद इस बात की चर्चा शुरू हुई। 29 अक्टूबर को एसडीएम के आदेश पर मौत के कारणों का पता लगाने के लिए शव को कब्र से बाहर निकला गया।
बच्चे के सिर और हाथ का कुछ हिस्सा गल चुका था। चींटियां भी लग चुकी थीं। यह देखकर परिवार का दर्द फिर सामने आ गया। मां श्वेता की तो तबीयत बिगड़ गई। जैसे-तैसे शव को समेट कर पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया।
पहले हनुमना और फिर संजय गांधी अस्पताल, रीवा भेजा गया। फॉरेंसिक जांच के लिए श्याम शाह मेडिकल कॉलेज भी भेजा गया, जहां पर विशेषज्ञों की टीम ने जांच की। 1 तारीख को शव को वापस गांव लाया गया, जहां उसे दोबारा दफना दिया गया।
सिरप देने वाला मेडिकल स्टोर संचालक गिरफ्तार
थाना प्रभारी अजय खोब्रागड़े ने बताया कि मेडिकल स्टोर संचालक ने बिना चिकित्सकीय परीक्षण के बच्चे को सिरप पिला दी थी। बच्चे की मां की गोद में कुछ मिनटों में मौत हो गई। परिजन बिना शिकायत दर्ज कराए ही गांव लौट गए थे। उन्होंने बच्चे का अंतिम संस्कार कर दिया था। सूचना मिलते ही पुलिस ने आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया।
20 साल से बिना लाइसेंस चल रहा मेडिकल स्टोर
खटखरी गांव के रहने वाले सुखलाल प्रजापति ने बताया कि मेडिकल संचालक जितेंद्र गुप्ता 20 साल से बिना लाइसेंस स्टोर चला रहा है। वह बुखार से लेकर मलेरिया और टाइफाइड तक सभी बीमारियों का इलाज करता था। इंजेक्शन-बोतल तक लगाता था।
सुखलाल ने कहा- मेडिकल स्टोर की शुरुआत मिश्रीलाल गुप्ता ने की थी। उनकी मौत के बाद उनके दोनों बेटों ने इलाज करना शुरू कर दिया।





