MP : High Court  के आदेश में महेंद्र गोयनका का जिक्र तक नहीं, न्यायालय ने सिर्फ आईजी के गिरफ्तारी आदेश पर दिया निर्णय, कौन फैला रहा अफवाह…?

भोपाल। देश के प्रतिष्ठित खनन व्यवसाइयों में गिने जाने वाले महेंद्र गोयंका को लेकर आखिर इतना भ्रमजाल क्यों बुना जा रहा है, इसके पीछे की कहानी कुछ और ही है। माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश को लेकर जिस तरह से खबरें चलाई जा रही हैं, उनसे तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे न्यायालय ने महेंद्र गोयनका की गिरफ्तारी के लिए ही कोई आदेश दिया हो जबकि ऐसा है नहीं। न्यायालय ने जबलपुर जोन के आईजी द्वारा दिए गए एक आदेश को लेकर जो कहा उसमें महेंद्र गोयनका का जिक्र तक नहीं। यहां तक की जिस मामले को लेकर  न्यायालय ने अपना फैसला दिया उसमें महेंद्र गोयंका आरोपी तक नहीं। जब महेंद्र गोयनका का रिकॉर्ड में कोई उल्लेख नहीं तो आखिर उन्हें आरोपी बनाकर कौन फायदा उठाना चाहता है, इसे लेकर कटनी में चर्चाओं का बाजार गर्म है।

आपको बता दें कि यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के डायरेक्टर सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल, हिमांशु श्रीवास्तव, श्रीमती लाछी मित्तल को घोखाधड़ी आरोपी बनाया था। इस मामले में कटनी पुलिस ने जिन चार डायरेक्टर के खिलाफ मामला दर्ज किया उन्होंने भी पुलिस मुख्यालय में शिकायत दर्ज कराते हुए पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग रखी थी। जिसके आधार पर पुलिस मुख्यालय के द्वारा मामले की जांच के निर्देश दिए गए हैं। मुख्यालय द्वारा मामले को लेकर दिए गए निर्देशों के बाद जबलपुर जोन के आईजी ने गिरफ्तारी पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे। आपको यह भी बता दें कि माननीय न्यायालय के द्वारा दिया गया उक्त निर्णय अंतिम निर्णय नहीं है, उक्त मामले को लेकर दो अपील माननीय न्यायालय के पास लंबित है, जिन पर सुनवाई चल रही है।


क्या संजय पाठक के कर्मचारी हैं महेंद्र गोयनका?
क्या विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक के कर्मचारी हैं महेंद्र गोयनका। सोशल मीडिया में वायरल हो रही खबरों में महेंद्र गोयनका को विजय राघवगढ़ विधायक श्री पाठक का कर्मचारी क्यों बताया जा रहा है। इसके पीछे असल कहानी क्या है, कौन लोग हैं जो ऐसा कर कर अपना फायदा तलाश रहे हैं। झूठ को फैलाने के लिए आखिर इतना जोर क्यों लगाया जा रहा है अब यह कहानी आपके दिलों दिमाग में साफ हो चुकी होगी। देश के नामी खनन व्यवसाई को विधायक श्री पाठक का कर्मचारी बताना एक हसीन सपने को संजोने जैसा है।

गोयनका न तो डायरेक्टर और न ही आरोपी


हाईकोर्ट ने कटनी जिले में दर्ज यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के डायरेक्टर सन्मति जैन, सुनील अग्रवाल, हिमांशु श्रीवास्तव एवं श्रीमती लाची मित्तल के खिलाफ धोखाधड़ी के मामले में उनकी गिरफ्तारी न करने को लेकर जबलपुर जोन आईजी अनिल कुशवाह द्वारा दिए गए गिरफ्तारी न करने को लेकर आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर यह बात कही की वरिष्ठ अधिकारी होने के नाते आईजी यदि यह मानते हैं की जांच सही दिशा में सही तरीके से नहीं चल रही तो उन्हें जांच अधिकारी बदलने का पूरा अधिकार है मगर गिरफ्तारी रोकने का अधिकार उन्हें नहीं है। आपको यह भी बता दें कि हाईकोर्ट के द्वारा दिया गया निर्णय अंतिम निर्णय नहीं है। उक्त मामले को लेकर दो अपील माननीय न्यायालय के पास अभी भी लंबित है। जिन पर सुनवाई चल रही है और जल्द ही फैसला भी आ सकता है।

पुलिस कार्यवाही पर उठे सवाल

कटनी पुलिस द्वारा यूरो प्रतीक इस्पात कंपनी के चार डायरेक्टरों पर धोखाधड़ी का मामला दर्ज किए जाने के बाद स्वयं महेंद्र गोयनका एवं चारों डायरेक्टर ने पुलिस मुख्यालय सहित प्रदेश शासन से इस संबंध में लिखित शिकायत करते हुए जांच की मांग की है। इन्हीं शिकायतों के आधार पर आईजी द्वारा गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई थी।



Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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