कटनी। बीते दिनों देश के नामी खनन व्यवसाई महेंद्र गोयंका को लेकर जिस तरह से कटनी जिले में विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक का कर्मचारी बताते हुए भ्रामक खबरें चलाई गई, उसी मामले से संबंधित दो पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय जबलपुर ने अहम फैसला दिया है। गत 13 मई को माननीय उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने अपने निर्णय में मामले की जांच कटनी पुलिस से न कराकर जांच को डीजीपी की निगरानी में कराए जाने के आदेश दिए। न्यायालय ने जिस तरह से दोनों याचिकाओं में सुनवाई करते हुए आदेश दिया उससे काफी हद तक कहानी साफ हो चुकी है।
उच्च न्यायालय जबलपुर के न्यायाधीश ने दो याचिकाओं की समीक्षा करते हुए कहा कि हरमीत सिंह लांबा का पुलिस स्टेशन माधव नगर, जिला कटनी में कथित बयान उक्त पुलिस स्टेशन से लेकर एस.पी. (क्यूडी) भोपाल को भेजें। मूल दस्तावेज उक्त पुलिस स्टेशन द्वारा एस.पी. (क्यूडी) को सौंपे जाएंगे और उस स्थिति में एस.पी. (क्यूडी) भोपाल को निर्देश दिया जाता है कि वे दस्तावेज जिस पर स्वीकृत हस्ताक्षर हैं अर्थात बैंक खाता आदि के स्वीकृत हस्ताक्षरों से मिलान कर रिपोर्ट तैयार करें और उसके बाद डी.जी.पी. के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करें। वर्तमान आदेश केवल न्याय के हित में पारित किया गया है ताकि यह पता चल सके कि क्या हरमीत सिंह लांबा और सुरेन्द्र सिंह सलूजा ने वास्तव में कंपनी से इस्तीफा दिया है। न्यायालय ने यह भी कहा कि पुलिस अधीक्षक कटनी को मूल त्यागपत्र दिनांक 27.06.2023 के अलावा यदि उसी दिनांक का कोई अन्य त्यागपत्र है तो उसे भी एसपी क्यूडी को भेजना सुनिश्चित करें |
याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया है कि एस.पी. कटनी जांच को प्रभावित कर रहे हैं। इस बात को लेकर उच्च न्यायालय ने डीजीपी को निर्देश देते हुए कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से इसकी निगरानी करें और यदि आवश्यक हो तो जांच किसी अन्य स्वतंत्र एजेंसी को सौंपें।
खुलेगी परतें
बहुचर्चित इस मामले में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए अहम निर्णय के बाद अब फाइलों में दफन कई चौंकाने वाले राज सामने आने की आशंका नजर आने लगी न्यायालय ने यह भी साफ किया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी चाहे तो इस पूरे मामले की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवा सकते हैं।