CBI: इंस्पेक्टर राहुल राज व्यापमं महाघोटाले का भी जांच अधिकारी रह चुका है, अब पुराने केस खंगालेगी एजेंसी

भोपाल। नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत लेकर उन्हें सूटेबल बताने वाली सीबीआई की गैंग का सरगना रहे इंस्पेक्टर राहुल राज को गृह मंत्रालय ने बिना देर किए बर्खास्त कर दिया है। लेकिन, राहुल की भूमिका सिर्फ नर्सिंग घोटाले तक सीमित नहीं है। सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि राहुल राज को व्यापमं महाघोटाले से जुड़े कई अहम केस की जांच भी सौंपी गई थी।

दिल्ली सीबीआई इस बात की भी इंटरनल जांच करेगी कि राहुल ने पहले के केसों में भी क्या किसी को जानबूझकर फायदा पहुंचाया है? वहीं राहुल राज ने हाईकोर्ट में नर्सिंग कॉलेजों को लेकर जो सूटेबल कॉलेजों की लिस्ट सौंपी है क्या उसमें भी कोई घालमेल हुआ है ? इसे लेकर सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि अब गेंद पूरी तरह से हाईकोर्ट के पाले में है।

राहुल राज को लेकर पूरे महकमे में चर्चाओं का दौर है। कहा जा रहा है कि राहुल राज का अधिकारियों पर भी गहरा प्रभाव था। इसलिए उसे गृहमंत्री अवॉर्ड भी मिला था। अधिकारियों को इस बात के भी पक्के सबूत मिल चुके हैं कि राहुल ने ही सीबीआई के दूसरे अधिकारियों को रिश्वत के खेल में शामिल किया था। सीबीआई के डीएसपी आशीष प्रसाद, रिषिकांत असाठे और सुशील मजोका को भी उसने ही प्रलोभन देकर गुमराह किया था।
24 घंटे भी नहीं लगे राहुल की बर्खास्तगी के फैसले में

इंस्पेक्टर राहुल राज ने जिस तरह से नर्सिंग कॉलेजों को मान्यता देने के लिए पूरी वसूली गैंग बना ली थी। उसका खुलासा होने के बाद सीबीआई की साख पर बट्टा लगा है। सीबीआई की विजिलेंस टीम को जैसे ही उसके खिलाफ पुख्ता सबूत हाथ लगे उसने छापा मारने में देरी नहीं की।

सीबीआई दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि राहुल ने सीबीआई की क्रेडिबिलिटी के साथ धोखा किया है। उसे सीबीआई दिल्ली ने रंगे हाथों रिश्वत के साथ पकड़ा है। दलालों के साथ उसके ऑडियो मिले हैं। उसके खिलाफ पक्के सबूत हैं।

इसी आधार पर 24 घंटे के भीतर उसे बर्खास्त करने का फैसला हुआ है। वे कहते हैं कि डीएसपी आशीष प्रसाद की भूमिका अभी जांच के घेरे में है, इसलिए उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
राहुल राज की वजह से नर्सिंग सिस्टम तीन साल पीछे गया

दिल्ली सीबीआई की एंटी करप्शन यूनिट के अधिकारी मंगलवार सुबह सीबीआई भोपाल के 2 इंस्पेक्टर्स सहित गिरफ्तार 13 आरोपियों को लेकर स्पेशल प्लेन से दिल्ली रवाना हो गए। लेकिन इस घोटाले से एमपी का पूरा नर्सिंग सिस्टम फिर 3 साल पीछे चला गया है।

एमपी में नर्सिंग कॉलेज में हुए घोटाले को उजागर करने वाले लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष और एडवोकेट विशाल बघेल का कहना है कि सीबीआई की रिपोर्ट के बाद ही हाईकोर्ट ने एमपी के नर्सिंग कॉलेजों के 40 हजार बच्चों की परीक्षा कराने के आदेश दिए थे।

चार साल की पढ़ाई के बाद बच्चे पहली बार परीक्षा दे रहे हैं, लेकिन परीक्षा से पहले ही उनके कॉलेजों की मान्यता फिर सवालों में फंस गई है। विशाल बघेल का कहना है कि हाईकोर्ट से हम गुहार लगाएंगे कि जिन कॉलेजों को सीबीआई इंस्पेक्टर्स ने सूटेबल करार दिया है, उनकी मान्यता रद्द कर नए सिरे से जांच कराई जाए।

उधर, सीबीआई के सीनियर अधिकारी नर्सिंग घोटालों की रिपोर्ट पर चुप्पी साधे हुए हैं। उनका कहना है कि अब गेंद हाईकोर्ट के पाले में है। हमने अपना काम किया है। यदि सीबीआई की नाक के नीचे वसूली गैंग पनप रहा था, तो उसे भी सीबीआई ने ही एक्सपोज किया है। सीबीआई 308 कॉलेजों की रिपोर्ट पहले ही हाईकोर्ट को सौंप चुकी है।

बचे हुए 350 कॉलेजों के इंस्पेक्शन का काम चल रहा था। इसी दौरान सीबीआई की एंटी करप्शन विंग को इसमें सीबीआई अधिकारियों व कॉलेज संचालकों के बीच रिश्वत के लेनदेन का सुराग मिला था।
सीबीआई ने किस आधार पर कॉलेजों को बताया सूटेबल और अनसूटेबल

हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 5 से 7 टीमों का गठन किया था। इस टीम को एक सीबीआई अधिकारी ने लीड किया उनके साथ मप्र नर्सिंग काउंसिल की तरफ से नॉमिनेट नर्सिंग ऑफिसर और पटवारियों को भी शामिल किया गया।

नर्सिंग ऑफिसर ने नॉर्म्स के मुताबिक कॉलेजों की जांच की, तो पटवारियों ने नर्सिंग कॉलेज की जमीन की नप्ती की। नर्सिंग कॉलेज के लिए साल 2018 में सरकार ने जो नॉर्म्स तय किए हैं उसके मुताबिक

कॉलेज का न्यूनतम 18 हजार वर्ग फुट पर निर्माण होना चाहिए।
30 छात्रों पर 90 बेड का अस्पताल होना जरूरी है।
छात्रों की संख्या बढ़ती है तो प्रति छात्र 3 बेड बढ़ाने होंगे।
10 छात्रों पर एक फैकल्टी अनिवार्य है।
फैकल्टी में प्रिंसिपल को 15 साल, वाइस प्रिंसिपल को 12 साल का अनुभव जरूरी।
एसोसिएट प्रोफेसर को 8 साल और असिस्टेंट प्रोफेसर को 3 साल का अनुभव जरूरी है।
नर्सिंग अधिकारी और पटवारियों की रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई ने 169 कॉलेजों को सूटेबल, 74 कॉलेजों को डिफिशिएंट और 65 कॉलेजों को अनसूटेबल की कैटेगरी में रखा था।
जिन्हें सूटेबल कैटेगरी में रखा उनमें भी नॉर्म्स पूरे नहीं

अब ये भी जांच का विषय है कि सीबीआई ने जिन कॉलेजों को सूटेबल का सर्टिफिकेट दिया उनमें कितने कॉलेज संचालकों ने सीबीआई को रिश्वत देकर अपने कॉलेज को सूटेबल बनवाया। ये सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है क्योंकि जिन कॉलेजों को सूटेबल बताया वो नॉर्म्स पूरे ही नहीं करते।

ग्वालियर में एक ही परिसर में नंदकिशोर हेल्थकेयर अस्पताल और राजनंदम मैरिज गार्डन चल रहा है। अस्पताल ‎परिसर में मौजूद स्टाफ के मुताबिक अस्पताल‎ तो 5 माह से ज्यादा समय से बंद है, क्योंकि‎ 2020-21 से नर्सिंग परीक्षा की अनुमति नहीं‎ मिली। कॉलेज में कोई टीचिंग स्टाफ भी नहीं मिला। जिन दो दर्जन डॉक्टरों के नाम बोर्ड पर लिखे थे, वो भी यहां काम नहीं करते।

ऐसे में सूत्रों का ये कहना है कि रिश्वत का ये मामला सिर्फ 169 कॉलेजों का नहीं है। इसका लिंक नर्सिंग के डिप्लोमा कोर्स करवाने वाले 300 से ज्यादा कॉलेजों से जुड़ा है। इनकी मान्यता के लिए सीबीआई के अधिकारी कॉलेज का वैरिफिकेशन कर रहे थे। सीबीआई के अधिकारियों ने जो वसूली गैंग तैयार की थी, वो इन्हीं कॉलेजों को लेकर थी।
बच्चे बोले- मां-बाप हर दिन पूछते हैं तुम्हारी परीक्षा कब होगी

व्यापमं घोटाले के लिए बदनाम रहे मध्यप्रदेश में नर्सिंग घोटाले की जांच में सीबीआई के इस एक्शन से एमपी में नर्सिंग की शिक्षा भी सवालों के घेरे में है। 2022 से लगभग बंद पड़े इन कॉलेजों के 30 हजार से ज्यादा बच्चों ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद हाल ही में परीक्षाएं दी हैं। अब ये बच्चे भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

भोपाल के एक नर्सिंग कॉलेज में 4 साल पहले एडमिशन लेने वाला आकाश मीणा फोर्थ ईयर की बजाय फर्स्ट ईयर के ही एग्जाम दे रहा है। आकाश ने कहा कि मैं घर वालों को बोल कर आया था कि 4 साल बाद कोर्स कम्पलीट हो जाएगा। लेकिन अभी 4 साल बाद पहली बार एग्जाम दे रहा हूं।
मेरे घर वाले मुझे कैसे पैसे देते है, मैं उससे फीस और बाकी चीजें कैसे मैनेज करता हूं? मेरे परिवार पर क्या गुजर रही है? ये तो मुझे ही पता है।
माया बोलीं- मेरे माता-पिता मजदूर, मैं ही जानती हूं कैसे खर्च उठा रहे
राजगढ़ की माया मेघवाल कहती हैं – मैंने 2020 में नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन लिया था। मां-बाप ने बड़ी आशा से एडमिशन कराया था कि पढ़ लिखकर मैं कुछ अच्छा करूंगी। मगर, मैं अब नर्सिंग कोर्स से परेशान हो चुकी हूं।
सेशन के हिसाब से मेरा चौथा साल है और फर्स्ट ईयर के एग्जाम दे रही हूं। 5-6 बार तो एग्जाम की तारीख ही बदल चुकी है। माता-पिता सवाल करते हैं कि डिग्री कब मिलेगी। इसका मेरे पास कोई जवाब नहीं है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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