सीबीआई, कार्रवाई इतनी गोपनीय कि सरकारी वकील भी दिल्ली से लाए,  2.33 करोड़ रुपए जब्त


भोपाल। शनिवार, 18 मई की रात को मध्यप्रदेश पुलिस और सीबीआई के अफसर जब दफ्तर से छुट्टी के मूड में अपने घरों के लिए रवाना हो रहे थे, तब भोपाल की पॉश प्रोफेसर कॉलोनी में सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज के घर दिल्ली सीबीआई सोने के बिस्किट और नकदी गिन रही थी। किसी को इस कार्रवाई की कानों कान खबर नहीं थी।
अगले दिन रविवार को सीबीआई ने इंस्पेक्टर राहुल के घर से 7.80 लाख रुपए और सोने के बिस्किट बरामद कर दावा किया कि ये पैसे और सोना राहुल राज ने नर्सिंग कॉलेजों से रिश्वत के रूप में लिया है। राहुल राज के साथ ही सीबीआई ने 2 और लोगों को गिरफ्तार किया। जब इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, तब एमपी के अफसरों को इस छापामार कार्रवाई की भनक लगी। अफसर कुछ समझते उससे पहले ऐसी ही कार्रवाई रतलाम में भी की गई। अब तक सीबीआई इस मामले में 2 इंस्पेक्टर सहित 13 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। सीबीआई ने इंदौर, भोपाल, रतलाम और जयपुर में 31 ठिकानों पर छापा मारकर 2.33 करोड़ रुपए 4 गोल्ड के बिस्किट और 36 मोबाइल जब्त किए हैं।
अहम सवाल ये है कि दिल्ली सीबीआई को एमपी में आकर इतने गुपचुप काम करने की जरूरत क्यों पड़ी? असल में अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिए थे। सीबीआई ने 17 जनवरी 2024 को बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के सामने आने पर इस पर सवाल उठे। ये भी पता चला कि रिपोर्ट के बाद ही इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर के फोन सीबीआई ने सर्विलॉन्स पर डाल दिए थे। चार महीने तक कॉल रिकॉर्डिंग की, जब अधिकारियों और नर्सिंग कॉलेज संचालकों के साठगांठ के पुख्ता सबूत मिले तो छापा मार कार्रवाई कर रिश्वत के इस खेल को उजागर किया।
17 जनवरी को सीबीआई ने बंद लिफाफे में हाईकोर्ट के सामने जो रिपोर्ट पेश की उसमें कॉलेजों की 3 कैटेगरी थी। सूटेबल, डिफिशिएंट और अनसूटेबल। सीबीआई ने प्रदेश के कुल 308 में 169 कॉलेज को सूटेबल बताया था। यानी इन्हें क्लीन चिट दी थी।
इनमें से 73 कॉलेजों को डिफिशिएंट बताया गया था यानी इनमें सुधार की जरूरत थी। 66 कॉलेजों को अनसूटेबल बताया था यानी इन्होंने नॉर्म्स का पालन ही नहीं किया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इस पर सवाल उठ गए। नर्सिंग घोटाले से जुड़े व्हिसिल ब्लोअर रवि परमार कहते हैं कि जब ये रिपोर्ट बाहर आई तो पता चला कि सीबीआई ने इसमें कई ऐसे कॉलेजों को भी सूटेबल बता दिया था, जिसमें खामियां थी। परमार का तर्क है कि उन्होंने 15 अप्रैल को भोपाल सीबीआई को इसकी शिकायत भी की थी।
इस शिकायत में बिलखिरिया के मलय नर्सिंग कॉलेज, एम्स के पास एपीएस एकेडमी, जहांगीराबाद में महको नर्सिंग कॉलेज और इंदौर के आरडी नर्सिंग कॉलेज को सूटेबल बताए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी। इसके पक्ष में उन्होंने तर्क भी दिए थे। शिकायत पर ध्यान देने के बजाय भोपाल सीबीआई अपने रोजमर्रा के दूसरे काम में जुटी रही। भोपाल की सीबीआई ब्रांच के प्रमुख डीआईजी प्रमोद कुमार मांझी का फोकस आर्थिक गड़बडिय़ों से जुड़े दूसरे मामलों पर था। उन्हें अपने ही दफ्तर के जांबाज इंस्पेक्टर्स पर कोई संदेह नहीं था।
दिल्ली सीबीआई की इंटरनल विजिलेंस टीम को कैसे लगी रिश्वत की भनक
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 7 कोर टीम और 5 सहायक टीम का गठन किया था। इनमें सीबीआई अधिकारियों के साथ पटवारी और मप्र के नर्सिंग कॉलेजों द्वारा नामित किए अधिकारी शामिल थे। जब सीबीआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की और इस पर सवाल उठे तो सीबीआई की इंटरनल विजिलेंस टीम ने इस पर नजर रखना शुरू किया। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही विजिलेंस टीम को पता चल गया कि इंस्पेक्टर राहुल राज रिश्वत लेकर नर्सिंग कॉलेज की रिपोर्ट में फेर बदल कर रहे हैं।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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