Bhopal : सैफ अली खान की बहन सबा सुल्तान अचानक पहुंची भोपाल, अब नवाब की संपत्तियां उम्मीद पोर्टल पर दर्ज होंगी

भोपाल। नवाब भोपाल की संपत्तियों और शाही औकाफ की मुतवल्ली सबा सुल्तान मंगलवार को अचानक शहर पहुंची। उन्होंने राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष से मुलाकात कर नवाब की संपत्तियों के प्रबंधन और उससे हुई आय से सामाजिक कार्यों में खर्च को लेकर चर्चा की। इस दौरान तय हुआ कि शाही औकाफ से जुड़ी संपत्तियां राज्य सरकार के उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराई जाएंगी। इसके साथ ही मक्का-मदीना की तीर्थयात्रा पर जाने वाले भोपालियों के रुबात की राह भी खुल सकेगी। सबा सुल्तान प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता सैफ अली खान की बड़ी बहन हैं।

बोर्ड अध्यक्ष सनवर पटेल ने बताया कि सबा सुल्तान नए वक्फ बिल के संबंध में विस्तार से चर्चा करने पहुंची थीं। बोर्ड ने उन्हें ‘उम्मीद पोर्टल’ पर वक्फ संपत्तियों को दर्ज कराने का सुझाव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार किया है। बताया गया कि इस बार शाही वक्फ बोर्ड की आय बढ़कर एक करोड़ रुपये से अधिक हो गई है, जो पहले 80 लाख रुपये हुआ करती थी।

इस दौरान मदीना की रुबात से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई। बोर्ड ने बताया कि इस दिशा में सरकार के साथ मिलकर काम किया जा रहा है और जल्द ही समाधान निकलेगा। बोर्ड के अध्यक्ष सनवर पटेल ने कहा कि जल्द ही यह खुलासा किया जाएगा कि किन लोगों की वजह से मदीना की रूबात भोपाल वासियों के लिए बंद हुई थी, और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

शाही औकाफ की आय दोगुनी हुई
पत्रकारों से बातचीत में सबा सुल्तान ने कहा कि हमें मालूम है कि मदीना की रुबात को लेकर भोपाल वासियों में नाराजगी है, लेकिन वे इस पर काम कर रही हैं। उनका वीजा दो बार लगा, पर निजी कारणों से मैं नहीं जा सकी। जल्द ही मैं वहां जाऊंगी, सब ठीक होगा। उन्होंने बताया कि शाही औकाफ की पुरानी समिति में बदलाव कर नए लोगों को जिम्मेदारी दी गई है, जिससे अब कामकाज बेहतर हो रहा है। इस बार शाही औकाफ की आय दोगुनी हुई है, यह राशि संपत्तियों के संरक्षण, लड़कियों की शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च की जाएगी।

क्या है रुबात का विवाद
मक्का और मदीना जाने वाले यात्रियों के ठहरने और भोजन की निश्शुल्क सुविधा के लिए पुरानी मुस्लिम रियासतों ने संपत्तियां खरीदी थीं, जिन्हें रुबात कहा जाता है। भोपाल नवाब और शाही औकाफ ने वहां ऐसी ही संपत्ति बनाई थी। मदीने में 210 हाजियों के ठहरने की व्यवस्था है, जिनका चयन कुरा (लाटरी) द्वारा किया जाता है। औकाफ के उत्तराधिकार विवाद की वजह से पिछले चार वर्षों से यह निश्शुल्क सुविधा बंद है।

Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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