Bhind : दिक्कत खाद की और मुद्दा रेत का…असलियत कुछ और, भाजपा की अंदरूनी कलह चरम पर

भोपाल। भिंड में भाजपा विधायक और कलेक्टर के बीच चल यहा विवाद नया मोड़ लेता दिख रहा है। विवाद शुरू हुआ था खाद को लेकर, कलेक्टर से बहस हुई तो कलेक्टर ने एम एल ए को रेत चोर बोल दिया। मामला भोपाल ही नहीं दिल्ली तक पहुँच गया। आईएएस असोसिएशन भी हरकत में आ गया। अब भाजपा की अंदरूनी कलह भो सामने आ गई है।
भाजपा विधायक और कलेक्टर, दोनों ने रिपोर्ट दर्ज करवाने का आवेदन दिया है। दोनों आवेदन भोपाल रेफर हो गये हैँ। विधायक की तो पेशी हो गई, पर कलेक्टर का से कुछ भी नहीं कहा गया. पता चला है कि अचानक पार्टी के ही जिले के मंत्री राकेश शुक्ला, पूर्व मंत्री अरविन्द भदौरिया, विधायक अंबरीश शर्मा, जिला भाजपा अध्यक्ष एक साथ हो गए हैँ और ये नरेंद्र कुशवाहा के खिलाफ कलेक्टर के साथ खड़े हो गये हैँ। केंद्रीय मंत्री सिंधिया भी कलेक्टर का साथ देते बताये जा रहे हैँ, जबकि विधानसभा के स्पीकर नरेंद्र तोमर मौन हैँ। घटना के बाद से अरविन्द भदौरिया और कुछ नेता भोपाल में सीएम से मिले और लम्बी चर्चा की। जिस आईएएस असोसिएशन ने कलेक्टर के पक्ष में सीएम को ज्ञापन दिया, उसके अध्यक्ष मंत्री राकेश शुक्ला के विभाग के ऐसीएस हैँ। बताया जा रहा है कि इसमें उनकी भूमिका रही।
ख़बरें बाहर आईं कि विधायक को संगठन ने फटकार लगाई लेकिन संगठन कि तरफ से कोई बयान नहीं आया. बताया जाता है कि विधायक ने अध्यक्ष और महामंत्री से साफ कह दिया कि यदि अवैध रेत परिवहन में उनकी भूमिका पाई जाती है तो वे इस्तीफ़ा दें देंगे। वे खुद चाहते हैँ कि रेत के अवैध परिवहन कि जांच हो। जानकारी के अनुसार इसमें पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री के लोग लगे हुए हैँ। जाँच में इसकी पुष्टि हो सकती है, पर सही जाँच हो, तब।
इस मामले का एक आश्चर्य जनक पहलू ये भी है कि जन प्रतिनिधि पर उंगली उठाने के विडिओ को नजर अंदाज किया जा रहा है। विधायक को रेत चोर कहा गया, ये भी गंभीर मामला है। यदि सावित नहीं होता तो अवमानना का मामला बनता है, लेकिन इस पर कोई बात नहीं हो रही है। बात एकतरफा हो रही है। निरंकुश प्रशासन पर भी कहीं कोई चर्चा नहीं।
भिंड में रेत खनन
भिंड में रेत खनन कि बात करें तो जो तथ्य सामने आ आरहे हैँ, वो प्रशासन पर ही सवालिया निशान लगा रहे हैँ. कलेक्टर ने खनिज विभाग के बजाय राजस्व विभाग के अधिकारियों व पटवारियों को खनिज नाकों पर तैनात किया है, जब नाको पर उनके अफ़सर हैँ तो कैसे अवैध परिवहन हो रहा है? किसी ने ये सवाल पूछा क्या? कलेक्टर कि जानकारी में रेत खनन और संग्रहण के अड्डे हैँ तो आज तक छापे क्यों नहीं मारे गये? कलेक्टर किसके साथ प्राइवेट वाहन में बैठ कर रेत परिवहन करने वालों की चेकिंग करते हैँ? बाबा मिश्रा कौन है, जो कलेक्टर क्व नाम पर वसूली करता है? जिला पुलिस अधीक्षक से कलेक्टर की क्यों नहीं बनती? मुख्यमंत्री ने विवाद को लेकर एसपी से जानकारी ली, उसमें क्या कहा गया? ऐसे तमाम सवाल हैँ, जिनके जवाब आ जाएं तो मसला हाल हो सकता है।





