MP: मऊगंज में पुलिसवालों पर हमला, ASI की मौत:हनुमना तहसीलदार के हाथ-पैर तोड़े; जिस युवक को बचाने गए थे, उसे भी मार डाला

मऊगंज। मध्य प्रदेश क़े मऊगंज जिले में शाहपुर थाना क्षेत्र के गड़रा गांव में आदिवासी परिवार ने एक युवक को बंधक बनाकर पीटा। उसे बचाने पहुंचे टीआई समेत पुलिस की टीम पर भी आरोपियों ने हमला कर दिया। हमले में एक एएसआई रामगोविंद गौतम की मौत हो गई है। टीआई संदीप भारती के सिर पर गंभीर चोट आई है। वहीं, हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका को भी पीटा गया है, जिसमें उनके हाथ-पैर में फ्रैक्चर है। इसके अलावा 8 और पुलिसकर्मी हमले में घायल हैं।

गांव में धारा 163 लगाई, भारी पुलिस फोर्स तैनात
मऊगंज कलेक्टर अजय श्रीवास्तव ने बताया कि दो गुटों के बीच विवाद को लेकर गांव वाले इकट्‌ठा हो गए थे। गांव में एहतियातन धारा 163 (पहले धारा 144 थी) लगा दी गई है। पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में भी लिया है।

सड़क हादसे में हुई मौत से जुड़ा है पूरा विवाद
पूरा विवाद दो महीने पहले हुए एक सड़क हादसे से जुड़ा है। हादसे में अशोक कुमार आदिवासी की मौत हो गई थी। आदिवासी परिवार ने इसे हादसा न मानते हुए सनी द्विवेदी नाम के युवक पर हत्या का आरोप लगाया था। शनिवार शाम करीब 4 बजे आदिवासी परिवार ने सनी द्विवेदी को पकड़कर एक कमरे में बंद कर दिया और उसकी पिटाई की। मारपीट में सनी की भी मौत हुई है।

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महिला SDOP और SI ने खुद को कमरे में बंद कर बचाई जान
एसडीओपी अंकिता शूल्या और एसआई आरती वर्मा ने खुद को गांव में ही एक कमरे में बंद कर लिया। इसके बाद भारी पुलिस फोर्स पहुंचा। फायरिंग करते हुए पुलिस अंदर घुसी और बंधक बनी एसआई-एसडीओपी को बाहर लाई। सनी द्विवेदी के शव को भी बाहर लाया गया।

ASI की मौत, TI-तहसीलदार समेत 10 घायल
हमले में एसएएफ के एएसआई रामगोविंद गौतम की मौत हो गई। घटना में घायल शाहपुर थाना प्रभारी शाहपुर संदीप भारती, हनुमना तहसीलदार कुमारे लाल पनका, एएसआई जवाहर सिंह यादव, राम केवट, राम लखन मिश्रा को रीवा रेफर किया गया है।
वहीं, विकास पांडेय, प्रीति यादव, रामवचन यादव, देववती सिंह, बृहस्पति पटेल को सिविल अस्पताल और आशीर्वाद हॉस्पिटल, मऊगंज में भर्ती कराया गया है। मृतक एएसआई रामगोविंद गौतम, 25वीं बटालियन भोपाल में थे। वे सतना के कोठी थाना इलाके के पवैया गांव के रहने वाले थे। 8 महीने बाद उनका रिटायरमेंट था।

जमीन विवाद से हुई थी इस पूरे मामले की शुरुआत
स्थानीय लोगों ने बताया कि रजनीश द्विवेदी की गड़रा गांव में जमीन है। गांव का ही रहने वाला अशोक कोल (आदिवासी) उनके यहां अधिया पर काम करता था। कुछ दिन पहले अशोक ने इसी जमीन से लगी भूमि को खरीद लिया था। लोगों का कहना है कि सनी और उसके परिवार वालों को यह बात अच्छी नहीं लगी।

करीब दो महीने पहले अशोक रजिस्ट्री करवाने के लिए हनुमना गया था। बाइक से लौटते वक्त सड़क हादसे में उसकी मौत हो गई थी। परिवार वालों का आरोप था कि सनी ने उसकी हत्या की है।
पुलिस ने हादसा कहा, परिजन हत्या बता रहे थे
शाहपुर थाने के तत्कालीन टीआई जगदीश ठाकुर ने बताया था कि अशोक की बाइक भैंस से टकरा गई थी। इसी कारण वह गिर गया था, जिससे गंभीर घायल होने से मौत हुई है। अशोक के परिवार वाले हत्या का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग कर रहे थे। इसी के बाद से अशोक के परिवार वालों ने द्विवेदी परिवार से दुश्मनी मान ली।

पीसीसी चीफ बोले-एमपी में कानून खत्म हो गया

इंदौर में तुकोगंज थाने के टीआई को वकीलों द्वारा दौड़ा-दौड़ा कर पीटने, मऊगंज में आदिवासियों द्वारा एक एएसआई की हत्या करने और मंडला में एक आदिवासी का नक्सली बताकर कथित तौर पर एनकाउंटर करने के मामलों पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मप्र सरकार को घेरा है।

जीतू पटवारी ने भोपाल में अपने आवास पर मीडिया से चर्चा में कहा, मध्य प्रदेश में जिस तरह की कानून व्यवस्था के हाल हो गए हैं। ऐसा पहला प्रदेश बन गया है, जहां पर पुलिस की पिटाई लगातार और बार-बार होती है।
पिछले तीन दिनों में तीन जगह पुलिस पिटी है। इंदौर में वकीलों ने एक टीआई यादव जी को दौड़ा-दौड़ा कर मारा। वकीलों का आरोप है कि यादव जी टीआई साहब दारू पीकर शराब के नशे में पहुंचे थे।
मऊगंज में पुलिस की हत्या हो जाना यह क्या मैसेज है? फिर मंडला में एक आदिवासी की पुलिस ने नक्सली बताकर हत्या कर दी। देश के प्रधानमंत्री, देश के गृहमंत्री जी मध्य प्रदेश में कानून नाम की चिड़िया नहीं बची।

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पटवारी बोले- मुख्यमंत्री इस्तीफा दें
जीतू पटवारी ने कहा, मैं मानता हूं कि उनको(सीएम) इस्तीफा देना चाहिए। प्रधानमंत्री जी से आग्रह करता हूं कि अगर वे (मुख्यमंत्री) इस्तीफा नहीं देते हैं तो आपको इनका इस्तीफा लेना चाहिए। पुलिस की हत्या होना छोटी घटना नहीं है और पुलिस को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर मारना भी छोटी हत्या, छोटी घटना नहीं है।
भाषण अच्छे हो सकते हैं, विज्ञापन अच्छे हो सकते हैं लेकिन जिस तरीके के हालात हैं, यहां कानून है क्या? यह पता नहीं चलता। कानून कोलेप्स हो गया है।



Sanjay Saxena

BSc. बायोलॉजी और समाजशास्त्र से एमए, 1985 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय , मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दैनिक अखबारों में रिपोर्टर और संपादक के रूप में कार्य कर रहे हैं। आरटीआई, पर्यावरण, आर्थिक सामाजिक, स्वास्थ्य, योग, जैसे विषयों पर लेखन। राजनीतिक समाचार और राजनीतिक विश्लेषण , समीक्षा, चुनाव विश्लेषण, पॉलिटिकल कंसल्टेंसी में विशेषज्ञता। समाज सेवा में रुचि। लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को समाचार के रूप प्रस्तुत करना। वर्तमान में डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से जुड़े। राजनीतिक सूचनाओं में रुचि और संदर्भ रखने के सतत प्रयास।

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