भोपाल। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मान्य नियमों में किये गए संशाधनों के चलते स्कूल संचालक परेशान हैं वे विभाग में चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अफसर उनकी सुन नहीं रहे, शिक्षा मंत्री से मिलने का प्रयास किया लेकिन उनसे मुलाकात संभव नहीं हो पा रही, भोपाल पहुंचे सैकड़ों संचालकों ने थक हारकर भाजपा मुख्यालय पहुंचकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मिलने का सोचा लेकिन वे भी नहीं मिले तो वे भाजपा के प्रदेश कार्यालय मंत्री को अपना ज्ञापन दे आये और इसे ऊपर तक पहुँचाने का अनुरोध किया है। इस मामले में शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप सिँह ने चुप्पी साध रखी है।
मध्य प्रदेश में 8000 प्राइवेट स्कूल इस बार मान्यता की सूची से बाहर हैं यानि उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग ने इस साल के लिए मान्यता नहीं दी है, उन्होंने सरकार उनकी बात सुनेगी इस भरोसे में अपने यहाँ एडमिशन ले लिये लेकिन अब वे बीच में फंस गए हैं, क्लासेस शुरू होने को हैं और उनके पास मान्यता नहीं है, अब उन्हें चिंता सता रही है कि वे क्या करें, स्कूलों में एडमिशन ले चुके बीपीएल के ही करीब 25 हजार बच्चों का भविष्य दांव पर लगा है।
BJP मुख्यालय पहुंचकर लगाई गुहार
भोपाल में उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की लेकिन उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए मदद करने से इंकार कर दिया, संचालकों ने स्कूल शिक्षा मंत्री से मिलने की कोशिश की लेकिन मुलाकात संभव नहीं हो सकी तो वे भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंच गए, उन्होंने सोचा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से मिलकर उन्हें अपनी परेशानी बताएँगे लेकिन वे भी वहां नहीं थे तो फिर स्कूल संचालकों ने अपना ज्ञापन भाजपा प्रदेश कार्यालय मंत्री को सौंप दिया और इसे स्कूल शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का अनुरोध किया।
दशकों पुराने स्कूलों पर मान्यता का संकट
उन्होंने कहा कि शासन क्वालिफाइड शिक्षक मांगता है डीएड, बीएड चाहिए अब यदि स्कूलों को मान्यता नहीं मिली तो ये शिक्षक कहाँ जायेंगे, इन 8000 स्कूलों में 2 लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं स्कूल लंबे समय से चल रहे हैं, कई स्कूल तो तीन दशक पुराने हैं लेकिन अब नया नियम इनके संचालन में आड़े आ रहा है।
मान्यता पोर्टल खोलने की मांग
संचालकों ने कहा कि हम इतना चाहते हैं कि हमें मान्यता में छूट दी जाये इस साल हमारी मान्यता दी जाये हम प्रयास करेंगे कि सभी नियमों का पालन हो सके, उन्होंने मांग की कि पोर्टल को पुनः खोल दिया जाये जिससे वे मान्यता के लिए आवेदन कर सकें और बच्चों का भविष्य दांव पर लगने एवं शिक्षकों को बेरोजगार होने से बचा सकें।