भोपाल। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उन्होंने अपनी कथा के दौरान धर्मराज यमराज और भगवान श्री चित्रगुप्त जी का परिहास करते हुए उन्हें “मुच्छड़” कह कर संबोधित किया और चित्रगुप्त जी से कहा – “अरे ऐ चित्रगुप्त! तू सबका हिसाब रखना पर मेरा मत रखना”। यह कथन न केवल असंवेदनशील था बल्कि सनातन धर्म के आराध्य देवों का अपमान भी था।
कथावाचक प्रदीप मिश्रा की भगवान चित्रगुप्त जी के प्रति की गई टिप्पणी से देश भर में कायस्थ समाज नाराज है। कायस्थ समाज के आराध्य भगवान चित्रगुप्त जी को सृष्टि के कर्मों का लेखा-जोखा रखने वाला माना जाता है। समाज ने कहा- पंडित प्रदीप मिश्रा बताएं कि उन्हें देवताओं का परिहास करने का अधिकार किसने दिया? बार-बार देवी-देवताओं का अपमान कर वे किस सनातन धर्म की सेवा कर रहे हैं? जिस समाज ने उन्हें मान-सम्मान, प्रतिष्ठा और पहचान दी, उसी समाज के पूज्य देवताओं का मज़ाक उड़ाना निंदनीय और असहनीय है।”
रायसेन में रविवार रात को श्री चित्रगुप्त मंदिर में सामूहिक आरती के बाद समाज के लोगों ने एकजुट होकर पंडित मिश्रा के वक्तव्य की निंदा की। समाज ने उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की। इसके साथ ही मंगलवार को कलेक्टर को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया है।अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने इस कृत्य की घोर निंदा की है। समाज के जिलाध्यक्ष सूर्यप्रकाश सक्सेना ने पंडित मिश्रा से सार्वजनिक बयान जारी करने की मांग की। साथ ही उन्हें भगवान श्री चित्रगुप्त जी के मंदिर में जाकर दंडवत रूप से अपनी गलती स्वीकार करने को कहा है। यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी पंडित मिश्रा कथा के दौरान श्री राधे रानी सरकार के बारे में अमर्यादित टिप्पणी कर चुके हैं।
इस मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय कायस्थ महासभा मध्य भारत जिला गुना की एक आकस्मिक बैठक जाटपुरा स्थित चित्रगुप्त मंदिर परिसर में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता जिला अध्यक्ष बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने की। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि पं. प्रदीप मिश्रा को उनकी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए। महासभा ने चेतावनी दी है कि यदि 10 दिनों के भीतर माफी नहीं मांगी गई तो कायस्थ समाज देशभर में आंदोलन करेगा, पुलिस में रिपोर्ट दर्ज की जाएगी और ज्ञापन सौंपे जाएंगे।
